शनिवार, 26 मई 2012

नुश्खे सेहत के और शोध की खिड़की से और बहुत कुछ :

नुश्खे सेहत के और शोध की खिड़की से और बहुत कुछ :अश्थियों के विकास और पनपने में सहायक  सिद्ध होता है अनानास (पाइन -एपिल ) .क्योंकि इसमें प्राचुर्य रहता है खनिज लवण मैंगनीज़ का जो जख्म के भरने और चमड़ी को पोषण देने में भी कारगर रहता है .

(२)चीकू का नियमित सेवन उदरीय एंजाइमों (किण्वक  )के स्राव में मददगार रहता है .यह एक तरफ अपचयन (मेटाबोलिज्म )में और दूसरी तरफ वजन कम रखने में भी कारगर सिद्ध होता है .

(३) बीबी के साथ यौन दगा बाज़ी करना दिल के दौरे को न्योंता देना है .अपनी बीवी के साथ विश्वास घात करना दिल की सेहत को दीमक लगाना है .खतरे का जोखिम बढ़ाना है दिल के लिए .एक इतालवी अध्ययन ने इसी विषय पर पूर्व में संपन्न अध्ययनों का पुनर -आकलन करने के बाद ही ये निष्कर्ष निकालें हैं .

(४)विटामिन सी से भरा हुआ है कीवी फल (Kiwi fruit) जो रक्त वाहिकाओं के विकास एवं निर्माण में कारगर तथा चमड़ी की टूट फूट की भरपाई में विधायक सिद्ध होता है .

(५)किशमिश में मौजूद खाद्य रेशे पानी में भीगे रहने पर फूल जातें हैं .एक बढ़िया विरेचक ( Laxative ) का काम अंजाम देते हैं .

(६)विटामिन 'के ' से युक्त खीरा अश्थियों को मजबूती प्रदान करने वाला पाया गया है .
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(७)एंटी -ओक्सिडेंट लाइकोपीन से युक्त है तरबूज (Watermelon) .LYCOPENE हानिकारक अणुओं (मुक्त मूलकों ,FREE RADICALS)  को निष्प्रभावी कर देता है .कोशिकाओं की टूट फूट कम होती है भरपाई होने लगती है टूट फूट और कोशिका क्षय की ,Cells decay की  . 

(*८)विटामिन ई से युक्त रहतें हैं आम .फलों का राजा कहा जाने वाला आम हारमोनों का विनियमन करता है .यौनेच्छा में इजाफा  

(९)पोटाशियम और कोपर (ताम्बा )जैसे खनिज लवण  का अल्पांश लिए है लीची .दिल की धौंकनी को काबू में रखतें हैं ये लवण तथा परि -हृदय  धमनी रोग से हिफाज़त .

(१०)रेड एपिल्स में मौजूद रहता है एक ख़ास एंटी -ओक्सिडेंट Quercetin जो  हमारी  रोग  रोधी  प्रणाली को सशक्त करता है .रोग प्रति -रक्षण क्षमता को बढाता है .

(११)मशरूम्स  यानी खुम्बियों में होता है एंटी -बायोटिक यह हर चंद जीवाणु जन्य तथा फफूंद से पैदा हो सकने वाले संक्रमणों से बचाए रहता है यानी एंटी -फंगल और एंटी -माइक्रोबियल एजेंट के रूप में काम करता है .  
शोध की खिड़की 

(१)मोटापे के लिए कुसूरवार है दिमाग हमारा .इसके आधारीय हिस्से हाइपो -थेलेमस में जो न्युरोंस (नर्व सेल्स ,तंतु कोशिकाएं )नव निर्मित होतीं हैं वही इस बात को तय करतीं हैं कि आपको कब कितना खाना है .कुल मिलाके आपकी तौल आपका वजन इनके ही हाथों में सुरक्षित है .

जर्नल न्यूरो -साइंस में प्रकाशित एक एनीमल रिसर्च से उक्त बात पता चली है .

(२)रेशम के रेशे सूक्ष्म जीवों (माइक्रोब्स )को देखते ही देखते चट कर जातें हैं .मार देतें हैं  .बस एक सस्ता सा dip -and -dry treatment एक सरल उपाय रेशों को एक ख़ास तरल में डुबकी लगवाके  सुखालो .

इस प्रकार उपचारित  होने  पर  रेशम  के  रेशे anthrax जैसे जीवाणु का भी देखते ही देखते खात्मा कर देतें हैं जो बघनखे पहने रहता है .armour -coated spores लिए  रहता  है  .  



4 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अब लीजिये ... बिना सलाह के भी लोग कैल्शिं की गोलियां लेते हैं कि फ़ायदा ही करेगा .... एक जानकारी मिली

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हृदयाघात से सर्वाधिक डर लगता है..

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

@ बेहतर हो लोग ऐसी चीजें खाएं जिनमे कुदरती तौर पर केल्शियम का प्राचुर्य है यथा चीज ,दूध ,दही ,छाछ ,केला ,हरे पत्तेदार सब्जियां वगैरह।

ध्यान रखने योग्य जानकारी।

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

ध्यान रखने योग्य बातें..संवेदनशील पोस्ट....

पढ़े इस लिक पर
दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्थान में बना हुआ है!
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