शुक्रवार, 25 मई 2012

सिजेरियन सेक्शन की सौगात बचपन का मोटापा

सिजेरियन सेक्शन की सौगात बचपन का मोटापा 


सिजेरियन सेक्शन की सौगात बचपन का मोटापा 

रिसर्चरों की एक टीम ने अपने ताज़ा अध्ययन में यह दावा किया है ,प्रसव के लिए सी -सेक्शन (C-Section, cae -sarean section) का  विकल्प  चुनने  वाली  माताओं  की  संतानों  के ओबीस (मोटापा रोग से ग्रस्त होना )होने की संभावना दो गुना बढ़ जाती है .

बोस्टन चिल्ड्रन अस्पताल ,मासाचुसेट्स के शोध कर्मियों की एक टीम ने १९९९-२००२ की अवधि में १२५० नव -प्रसूताओं (जच्चा -बच्चा दोनों ) और उनके नवजातों की पड़ताल की है .पता चला इनमे से जिन माताओं ने सी -सेक्शन की बैसाखी थामी सामान्य प्रसव को छोडके तीन साला होते होते उनके नव -जायों (बच्चों )के लिए ओबेसिटी का ख़तरा दो गुना ज्यादा बढ़ गया है .

गणना माँ के पहले से चले आये मोटापे की भी की गई आकलन में इसे भी शरीक किया गया .मोटापे के लिय कुसूरवार अन्य घटकों को भी मद्दे नजर रखा गया तब भी नतीजा वही रहा ,तीन साल की उम्र आते आते ये नवजात अपने ओबीस हो जाने के जोखिम को दो गुना बढ़ा लेतें हैं . 



गुप्त यौन सम्बन्ध ,अपने जीवन साथी के साथ बे -वफाई दगा बाज़ी भी बनती है दिल के दौरे की वजह .ऐसा खासकर तब होता है जब आपकी यौन संगिनी आपकी पत्नी से कम उम्र होती है .एक तरफ उसे पूरी यौन तृप्ति दे पाने का तनाव दूसरी तरफ इस सम्बन्ध को छिपाए रहने का परदे के पीछे बनाए रखने का दवाब धमनियों के फेटि प्लाक्स से अवरुद्ध हो जाने की वजह बन जाता है ऐसे ही दवाब के क्षणों में यह फेटि प्लाक विस्फोट के साथ फट भी जाता है .नतीजा होता है :हार्ट अटेक .. जर्मनी में संपन्न अनेक  अध्ययनों  के अनुसार दाम्पत्य प्रेम मिलन में बिरले ही मैथुनी मृत्यु के मामले दर्ज़ हुएँ हैं  दिल का दौरा दाम्पत्य मैथुन के दौरान यदा कदा  ही पड़ा है लेकिन दाम्पत्य की सात्विक आंच और कुदरती सुरक्षा से दूर दगा बाज़ी करते हुए चोरी छिपे मैथुनी रंगरलियाँ मनाते हुए कितनी ही मर्तबा Coital death के मामले सामने आयें हैं .


जर्मनी में किये गए अनेक अध्ययनों का यही सार है .

दगा बाज़ी न सिर्फ दाम्पत्य के प्रेम की आंच को ले उडती है दिल को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है .एक अभिनव शोध का भी अब  यही सन्देश है .इतालवी शोध कर्ताओं ने पूर्व में संपन्न अध्ययनों में बे -वफाई के कारणों और उसके बाद आये बहुत बुरे नतीजों का गहन अध्ययन किया है .

पता चला आकस्मिक मैथुनी मृत्यु (Sudden coital death ) के मामले दाम्पत्य दायरे से बाहर बनाए गए प्रेम मिलन में ही अकसर सामने आयें हैं . दगाबाजी अपनी कीमत खुद वसूलती है .दाम्पत्य प्रेम मिलन में यदा कदा ही दिल का हलका दौरा पड़ना देखने में आया है .

रिसर्चर इस आकस्मिक मृत्यु के लिए एक तबेवफाई भी बनती है दिल के दौरों की वजह .रफ अपराध भावना का व्यक्ति को अन्दर -अन्दर से खरोंचना सालना , आत्म ग्लानी से भर जाना  बताते हैं तो वहीँ इसके लिए   खुद की ही नजरों में खुद को ही दगा बाज़ बतलाना भी .

यह नतीजे फ्लोरेंस विश्व -विद्यालय के रिसर्चरों ने उन तमाम शोध पत्रों की बारीक जांच के बाद निकालें हैं जिनके विषय थे -बेवफाई (Unfaithfulness),दाम्पत्य इतर यौन सम्बन्ध ,दाम्पत्य के दायरे से बाहर मैथुन सम्बन्ध (Extramarital affairs ),दाम्पत्य  संबंधों  में दगा विश्वाश्घात (Infidelity ) और 'Men' .

एक  तरह  से बेवफा मर्दों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई गई और इसके खतरनाक परिणामों की भी ,संभावित जोखिम के बढ़ते वजन की भी .   तो भाई साहब इधर उधर मुंह मारने से ख़तरा मात्र HIV -AIDS का ही नहीं है दिल के दौरों का भी है .  

इधर  उधर  मुंह  मारने  के  खतरे  :बेवफाई भी बनती है दिल के दौरों की वजह .

राम राम भाई !   राम राम भाई !  राम राम भाई !


गोपनीय जीव विज्ञान देगा सुराग येती के होने ,न ,होने का  


आइये पहले समझें क्या है गोपनीय जीव -विज्ञान (क्रिप्टो -जू -ओ -लाजी ,Cryptozoology).

ऐसे पशुओं का अन्वेषण जो मिथ बने  हैं यथार्थ में हैं भी या नहीं कोई नहीं जानता .अलबत्ता किस्से कहानी बहुत हैं लेकिन पुष्ट अभी तक कुछ नहीं हो सका है .

इसे  Loch Ness monster भी कहा जाता है .पौराणिक या फिर सुप्रसिद्ध नामचीन ज़रूर कहा जा सकता है इस अनोखे जीव या आदमी नुमा दैत्य  को .कोई इसके पदचिन्हों के देखे जाने के वृत्तांत प्रस्तुत करता है कोई बालों के गुच्छ मिलने का दावा करता है किससे कहानियां  बयान  करता है   इससे जुडी हुई .


लेकिन शायद अब दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है .


Genetic tech to help examine 'Yeti' DNA /SHORT CUTS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 23 ,2012,P19

सहयोग  का एक नया मार्ग प्रशस्त किया है उस हालिया करार  ने जो ऑक्सफोर्ड विश्व -विद्यालय और Lausanne Museum of Zoology के बीच संपन्न हुआ है .ये दोनों मिलके उन कार्बनिक अवशेषों का आनुवंशिक तकनीकों से अध्यन विश्लेषण करेंगें  जो कुछ लोगों के दावे के अनुसार उनके पास सुरक्षित हैं .


लगभग ऐसा ही  दावा कुछ लोग विलुप्त नर वानरों और विकसित अन्य   प्राणी  वर्ग के  जीवों के बारे में करतें हैं .आधुनिक मानव भी Primates के इसी वर्ग से ताल्लुक रखता है .

इस प्रोजेक्ट का नाम है :The Oxford -Lausanne Collateral Hominid Project .

इस प्रायोजना के तहत उन सब महानुभावों ,संस्थाओं को खुला न्योता है जिनके कब्जे में कैसा भी गोपनीय जैविक सामान है जैव पदार्थ है .Cryptozoological material मौजूद है .

उनसे पेशकश की गई है वह विस्तार से इस बाबत बतलाएं और प्रार्थना करके मांगे जाने पर खुद आके इस प्रोजेक्ट के करता  धर्ताओं को मुहैया करवाएं .खासकर Hair shafts आदि ताकी इनका गहन आनुवंशिक अध्ययन विश्लेषण किया जा सके .

Hominid :It's a primate belonging to a family of which the modern human being is the only species still in existence .Family :Hominidae  


यहाँ जेंडर चेंज सर्जरी महज़ हज़ार रूपये में उपलब्ध है जबकि निजी अस्पताल इसी काम का २-५ लाख रुपया वसूल रहें हैं .गौर तलब है सर्जरी में इस्तेमाल होने वाला सामान उतना महंगा भी नहीं है निजी अस्पतालों में पैसा देना पड़ता है डॉ के कौशल का ,हुनर का माहिरी  का और स्पेशल रूम में दस पन्द्रह दिन के किराए का .यही कहना है डॉ मुकुंद जगन्नाथन साहब का .

आप शीयन अस्पताल मुंबई में प्लास्टिक एवं सौंदर्य शल्य चिकित्सा के मुखिया हैं .यह अकेला सरकारी (तथाकथित खैराती )अस्पताल है जिसका संचालन BMC के हाथ में है .यहाँ पर इस सर्जरी की सुविधा उपलब्ध करवाना डॉ जगन नाथन की बरसों की साधना और समर्पण का प्रति -फल है .आपने इस विषय पर सैंकड़ों विज्ञान प्रपत्र जर्नल्स खंगालें हैं .केस स्टडीज़ का गहन अध्ययन किया है और सबसे बढ़के बाहर विदेशों की ख़ाक छान के माहिरों की क्लिनिक में काम सीखा है .सिंह अवलोकन किया है इस काम का जेंडर चेज़ सर्जरी के विभिन्न पक्षों आयामों का .

एक तरफ इस सर्जरी से चस्पां सामाजिक अभिशाप और दूसरी तरफ बेहद की खर्ची इसे आम आदमी की पहुँच से बाहर बनाए रही है .आपने इसी मिथक को इसी सामाजिक वर्जना को तोड़ा है बकौल आपके जेंडर करेक्शन सर्जरी कोई  लक्ज़री नहीं है न ही यह कोई माइकल जेकशन  बनने की ललक है .

जेंडर डिसऑर्डर (लैंगिक शिनाख्त विकार ) एक चिकित्सकीय उलझाव पेचीला पन एक  मेडिकल कोम्प्लिकेशन है भाई साहब .यह आदमी के मनो -भौतिक शरीर को अन्दर अन्दर मार डालता है तबाह कर देता है उसके अंतर जगत को ,मानस को .उसका और उसके परिवारियों के लिए जीवन जीना दुष्कर हो जाता है

"किस प्रकार के सदमे से ये गुजारतें हैं उसे मैंने नज़दीक से देखा है .उत्तर शल्य आने वाले बदलावों को भी मैंने दृष्टा भाव से निहारा है "यही कहतें हैं डॉ .जगन नाथन .जो चाहतें हैं इन्हें सामाजिक मान्यता एवं ,तदानुभूति मिले .

क्या होता है यहाँ शल्य से पहले 

      मनोरोग विभाग के मुखिया डॉ .नीलेश शाह तीन चरणों में डॉ .जगन नाथन के मरीजों का जायजा लेतें हैं .पहले चरण में मरीज़ के व्यवहार पर नजर रखी जाती है .पुख्ता किया जाता है इस बात को कि यह लैंगिक पहचान का सच्चा और विश्वसनीय  ईमानदार मामला है भी या नहीं .

बचपन से पड़ताल शुरू की जाती है अमुक बचपन में किन खिलौनों से खेलताथा  /खेलती थी  .कौनसे वस्त्र उसकी पहली पसंद बनते थे .मित्र /मित्राएं कौन थे ?

दूसरा स्तर वय:संधि के शुरूआती दौर से ताल्लुक रखता है इस विमर्श का ,

तीसरे सत्र में माँ बाप को भी शरीक किया जाता है .

शाह जब मामले को हरी झंडी दिखा देतें हैं तब यह अस्पताल की नीति शाश्त्र सम्बन्धी एथिक्स कमेटी के सुपुर्द कर दिया जाता है .

इस कमेटी का फैसला अंतिम होता है जो सभी पक्षों के लिए मान्य होता है बाध्यकारी  भी .

गत डेढ़ सालों में शीयन अस्पताल छ :मामले लैंगिक पहचान विकार शल्य के निपटा चुका है .

इनमे से दो का विवाह हो चुका है .सुख चैन से हैं वह अपने वैवाहिक जीवन में .

दो मामलों में  उत्तर शल्य परेशानियां सामने आईं हैं .उनका समाधान किया जा रहा है .

डॉ .जगन नाथन सहर्ष बिधान बरुआ की सर्जरी को राजी हैं .अलबत्ता वह उसके चिकित्सक से विमर्श भी करना चाहेंगें .उनके लिए बस  वह एक नया मरीज़ होगा .कोई आग्रह विग्रह नहीं .कोई संकोच नहीं .कोई भय नहीं सामाजिक या पारिवारिक किसी भी और से प्रक्षेपित .

शीयन अस्पताहला शल्य इस आशय की पहली  (जेंडर रेक्तिफिकेशन सर्जरी )अगस्त २०१० में संपन्न की  थी . 

सन्दर्भ सामिग्री :-Bidhan Barua's got a cheaper option at Sion hospital 

The gender change surgery which costs anything between Rs 2 and 5 lakh at a private hospital is available at Sion hospital for Rs 1,000

Mumabi Mirror ,May 22,2012 P8 

5 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

हे भगवान दुनि‍या भी कि‍न कि‍न वि‍षयों पर शोध कर रही है

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

दगा बाज़ी न सिर्फ दाम्पत्य के प्रेम की आंच को ले उडती है दिल को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है

Arvind Mishra ने कहा…

वीरू भाई एक साथ कई विषय न लिया करें -तात्कालिक विषयान्त्ररण से पढ़े हुए का आनन्द तिरोहित हो जाता है !:)
इतना अच्छा नवीन विषय आपने लिया था क्वाय्टल देथ का मगर उस पर चिंतन जाता रहा !

डॉ टी एस दराल ने कहा…

जब मां ही मेहनत करने को तैयार नहीं , फिर संतान तो सुस्त होगी ही .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़े ही रोचक तथ्य हैं...