रेड मीट और मख्खन (पास्च-रा -इज्द बटर ) की अत (अतिरिक्त सेवन ) संतृप्त वसाओं से सने खाद्यों का (संशाधित ,गैर -संशाधित ) ज्यादा इस्तेमाल बुढापे के डिमेंशिया अल्जाइमार्स रोग के खतरे का वजन बढ़ा देता है .खासकर उम्र दराज़ महिलाओं में इसकी वजह भी बन जाता है .
यह अन्वेषण संपन्न किया है हारवर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने .बतलाया गया है साथ ही जो लोग एकलअ - संतृप्त वसाओ(MUFA ,MONO-UNSATURATED FATTY ACIDS) से तैयार किये गए खाद्यों का ही ज्यादा सेवन करते हैं यथा ओलिव आइल ,सनफ्लावर ,सीड्स ,नट्स और अवोकादोज़ से तैयार वानस्पतिक तेलों का ज्यादा इस्तेमाल करतें हैं बेहतर याददाश्त बनाए रहते हैं उम्र दराज़ होने पर भी .
बोध सम्बन्धी बदलाओं का जायजा लेने के लिए संज्ञानात्मक प्रकार्य (Cognitive function ) का आकलन करने पर पता यह भी चला है आपकी खुराक में कुल कितना फेट शामिल रहा है उससे ख़ास फर्क नहीं पड़ता असल बात यह है उस फेट की गुणवता क्या रही है ?वह एकल असंत्रिप्त का बाहुल्य लिए रहा है या संतृप्त वसाओं का ,एनीमल फेट्स का या वानस्पतिक तेलों का .
यही वक्तव्य शोध के अगुवा रहीं Oliva Oke -reke ने अखबार डेली मेल को दिया है .
आप Brigham and Women's Hospital ,Boston से सम्बद्ध हैं .यह अस्पताल हारवर्ड मेडिकल स्कूल सम्बद्ध है .
आपने और आपके साथी रिसर्चरों ने 65 वर्ष से ऊपर आयु की उम्र दराज़ महिलाओं का जायजा लेने के बाद ही ये निष्कर्ष निकाले हैं .
चार सालों तक इनके बोध सम्बन्धी परीक्षण किये जाते रहे .खुराक और जीवन शैली सम्बन्धी प्रश्नावली इनसे भरवाई गई .
खुराक को संशोधित करने का सेहत के अनुरूप बनाने का सरल नुस्खा है :खुराक से खराब चिकनाई को बे -दखल किया जाए गुड फेट को जगह दी जाए .बोध सम्बन्धी ह्रास बुढापे के डिमेंशिया से बचा जाए .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Eating too much of red meat , butter can cause Alzheimer's/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MAY 22,2012 ,P15.
लेबल :रेड मीट और मख्खन डट के खाओ अल्जाइ -मर्स का जोखिम बढ़ाओ /जीवन शैली रेड मीट ,म्युफा और प्युफा
10 टिप्पणियां:
इसे न खाना ही सेहत के लिए बढिया है।
बढ़िया जानकारी देती पोस्ट ,,,,,,
बढ़िया जानकारी
भली जानकारी |
इस रोग से तो भगवान ही बचाए .
रेड मीट और मख्खन डट के खाओ अल्जाइ -मर्स का जोखिम बढ़ाओ....
बहुत ही बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
लाभकारी जानकारी है .. ऐसी चीजें न ही काई जाए तो अच्छा ..
राम राम जी ...
खुराक से खराब चिकनाई को बे -दखल किया जाए गुड फेट को जगह दी जाए .बोध सम्बन्धी ह्रास बुढापे के डिमेंशिया से बचा जाए .
याद रखने लायक नुस्खा है।
आभार आपका, इस इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए।
मक्खन की रोक हटा लीजिये, स्वादहीन हो जायेगा भोजन..
कन्हैया वाला माखन खा सकतें हैं पानी से संसिक्त .पाश्च -राइज्द नमक युक्त की अति से बचिए .असल बात अत है अति है .खुराक में इसका कुछ अंश निश्चय ही शामिल हो सकता है .जीरो फैट का पक्षधर कोई भी नहीं है .
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