क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
Jenna Talackova : Transgender beauty queen
Dr Kalpesh Gajiwala , caught in the middle of the controversy surrounding Bidhan Barua's sex-change operation ,writes exclusively for Mumbai Mirror
Bidhan doc's plea: Don't demonise boy or his parents
A true success story is not when a transformed transgender is paraded as a trophy ,but when social integration is seamless/Mumbai Mirror ,Lead story ,Cover Page/MAY12,2012
भारतीय विद्या भवन के संस्थापक एवं सविधान सभा के सम्मानीय सदस्य KM Munshi साहब ने अपनी मशहूर कृति 'कृष्णावतार 'में एक पाठ का शीषक रखा था 'The boy who was a girl' (लड़का जो लडकी था ).इस पाठ में आप ने उस कौशल और बड़े हुनर का ज़िक्र किया है जिसका इस्तेमाल करके कृष्ण राजकुमारी शिखंडी के मनो -भौतिक शरीर को पुरुष काया स्वीकार करवाते हैं .
बेशक बाद में कृष्ण अपनी इसी सृष्टि का रणनीतिक इस्तेमाल महाभारत युद्ध में अर्जुन का सारथी बन कूटनीतिक तौर पर करतें हैं .शिखंडी एक ट्रांस -जेंडर था और तत्कालीन युद्ध के अनुसार केवल पुरुष ही युद्ध में शरीक हो सकते थे ,शिखंडी नहीं .न ही उस पर कोई अश्त्र शश्त्र चला सकता था .लक्ष्य भेदी मिसाइल (तीर )दाग सकता था .
यहाँ इस उद्धरण को देने का मतलब सिर्फ इतना ही है कि हमारे कायिक शरीर में विपरीत लैंगिक एक मनो -शरीर का होना कोई नै बात नहीं है .और न ही बिधान बरुआ वर्तमान दशक का पहला ट्रांस -सेक्सुअल है .प्रकृति की लीला कह लो या कोशा विभाजन में होने वाली चूक वह भी शुक्र और अंडाणु के मिलन मनाने के बाद यानी निषेचन के बाद यह चूक अनेक रूपों में प्रगटित ,रूपायित होती रही है .कभी किसी महिला को कोई छंगा (छ : उँगलियों वाला ) नवजात पैदा होता है .कभी कुछ और विकृति स्वरूपा बालक .
एकल निषेचित ह्यूमेन एग निषेचित अंडाणु से ही यह सृष्टि खड़ी हुई है .जो अभी नहीं जन्मा है वह बीज रूप पड़ा हुआ है .सारा कमाल और कौशल और अपवाद उस सिंगिल फ़र्तिलाइज़्द एग का है जिससे पहले भ्रूण (पश्चिमी सोच के तहत पहले पखवाड़े तक एम्ब्रियो बाद के कोशिका विभाजन के बाद निषेचित अंडाणु फीटस कहलाता है ) हमारे यहाँ पौर्बत्य दर्शन में एक ही शब्द प्रयोग भ्रूण प्रचलित है .
विभेदीकरण (Differentiation ) से पहले जब कोशिका विभाजन निषेचन के बाद चंद कदम ही आगे रख पाता सभी कोशाये एक समान, यकसां होती हैं .विभेदन के बाद सबका रोल अलग अलग हो जाता है .सब के पास एक सोफ्ट वेयर होता है कौन आगे चलके क्या करेगा . .कौन सिर बनाएगा भ्रूण का कौन धड ,हाथ पैर कौन बनाएगा ,नाखून और चरम कौन ?विभेदन से पहले की कोशिकाएं ही जादुई स्टेम सेल्स कहलातीं हैं .जिन्हें सोफ्ट वेयर देकर आप कोई भी अंग शरीर का चुनिन्दा तौर पर तैयार करवा सकते हो .
भ्रूण का विकसित होना एक जटिल प्रक्रिया है यहाँ अनेक पेचीला श्रृंखला बद्ध क्रियाएं संपन्न होती हैं .कितनी ही एक ही समय पर संपन्न होतीं हैं कितनी ही क्रमवार .बस ज़रा सी चूक होने की देर है .नतीजा होता है Blue Baby (ऐसा बच्चा जिसके दिल में जन्मना सूराख होता है ) ,या फिर Cleft lip लिए चला आता है नवजात तो कभी आत्मविमोही बना (Autistic,Autism से ग्रस्त ).तो कभी ऐसा जन्मना रोग लिए चला आता है जिसमे न पढ़ पाता हैं न लिख पाता (Dyslexia).
व्यक्ति का ट्रांस -जेनडर होना भी इसी कोशिका विभाजन के तेहत चलने वाली प्रक्रियाओं में किसी स्तर पर हुई चूक की ही परिणिति है .
जहां नवजात का अतिरिक्त अंग लिए चले आना स्वीकृत है चाहें वह मामला छ :उँगलियों का हो या दो अगूंठों का या cleft lip का .माँ बाप इन मामलों में सहर्ष इलाज़ भी जल्दी से जल्दी करवातें हैं .और अब तो प्लास्टिक सर्जरी मयस्सर है विकृत अंग सुधार के लिए चाहे वह क्लेफ्ट लिप का मामला हो या कोई और विकृति .
Cleft lip is a condition in which one is born with his/her upper lip split.
Cleft lip is a congenital deformity of a cleft in the upper lip , on one or both sides of the midline.It occurs when the three blocks of embryonic tissue that go to form the upper lip fail to fuse and it is often associated with a cleft palate .
Cleft palate is a congenital fissure along the midline of the roof of the mouth.
लेकिन न तो जन्म के समय और बाद इसके कॉफ़ी समय तक आत्मविमोही बालक के कोई प्रगट :लक्षण होतें हैं न डिस्लेक्सिक बालक और न ही ट्रांस -जेंडर के .
बेशक प्रजनन अंगों को देखते ही हम लोग तो लिंग निर्धारण तुरत फुरत कर डालते हैं नवजात का लेकिन स्वयं उसको इसका इल्म तब होता है जब वह २-३ वर्ष आयु का हो जाता है .ज्यादातर लोगों में मतेक्य और तालमेल रहता है भौत्तिक काया और मनो -भौतिक शरीर में ,Perceived gender और assigned sex में .
लेकिन ट्रांस -जेंडर में यह तालमेल टूट जाता है साथ ही टूट जाती है जीवन की लय .मनो -भौतिक शरीर अपने असली वजूद के लिए छटपटाने लगता है .एक नै काया ढूंढता है अपने में ही .
माँ बाप भाई बहिन अन्य नाते रिश्ते बौखलाहट छिपा नहीं पाते अपनी .माँ बाप पर तो जैसे वज्र पात ही हो जाता है .एक ठेस लगती है हतप्रभ हो कह उठते हैं -यह कुदरत की कैसी माया है ?ज्यादातर माँ बाप इस स्थिति को स्वीकार नहीं पाते .मौन या फिर मुखर अ - स्वीकृति लिए जैसे तैसे दिन गुजारते हैं .इसे एक अपवाद मान आगे नहीं आ पाते इलाज़ के लिए .क्रोध और उन्माद विवेक हीनता अपना खेल खेलने लगती है .एक भ्रम की स्थिति बनी रहती है .
क्या करे निकटतर समाज वृहत्तर समाज ऐसे मामलों में ?
तदानुभूति दिखलाए या मज़ाक उडाये हास्य व्यंग्य विनोद और उपहास का विषय बनाए असर ग्रस्त व्यक्ति को जो खुद एक दुविधा झेल रहा है अपने असल व्यक्तित्व की तलाश में भटक रहा है अपने ही अन्दर अपने आप को तलाश रहा है .?
यहाँ माँ बाप और उनकी ट्रांस -जेंडर संतान दोनों सहानुभूति से आगे निकलके तदानुभूति के हकदार होने चाहिए समाज के लिए .यह कोई सामाजिक अभिशाप नहीं बनना चाहिए .सोचना होगा हमें -दोनों ही असाधारण परिस्थितियों के मारे हैं .
ये मामला पाप पुण्य का नहीं है जन्म पूर्व कोशिका के स्तर पर पैदा हुई चूक का है गडबडी का है .कल को जन्म पूर्व इसका समाधान भी निकल सकता है शिनाख्त भी हो सकती है गर्भ में ही गर्भस्थ ट्रांस -जेंडर की .
यहाँ पर मनो -वैज्ञानिक सलाह मशिवरा कोंसेलिंग की बराबर दोनों पक्षों को माँ बाप और ट्रांस जेंडर संतानों को निरंतर और दीर्घावधि ज़रुरत है .बच्चों को अपनी संपत्ति मानकर इन मामलों में ज़बरजस्ती नहीं की जा सकती .आनर किलिंग वाले हमारे समाज को ज्यादा खबरदार और जानकारी की ज़रुरत है जहां ब्याह शादी ही नहीं केरीयर भी माँ बाप ही अरेंज करतें हैं .जेंडर भी .जबकि ये मामला है जेंडर बेन -डर
(GENDER BENDER)का .
सभी पक्षों को विवेक से काम लेने की ज़रुरत है समाज परिवार ट्रांस -जेंडर व्यति और चिकित्सा समाज . सभी को संवेदन शील भी होना पडेगा परस्पर ..
परीक्षा और सावधानी की घडी है यह
एक छोर पर बिधान के घरवाले डॉ कल्पेश गाजीवाला पर दवाब बनाए हुएँ हैं कि वह बिधान की सर्जरी से बाज़ आयें दूसरे छोर पर मुंबई का सैफी अस्पताल इस सामाजिक सरोकारों वाले मुद्दे पर मनमोहन सिंह जी की तरह मौन धारे हुए है .संतोष का विषय यही है इस समय मुंबई के प्लास्टिक सर्जनों का परिवार बिधान और उसके प्लास्टिक सर्जन डॉ गिरजेश के साथ है जो कोर्ट कचहरी की बहु -मूल्य राय को अमली जामा पहनाने को तैयार खड़ें हैं .
बहुत दूर का सफ़र है
कई चरणों में सर्जरी होनी है फिर दीर्घावधि मनो -वैज्ञानिक सलाह मशविरा सावधानी न बरतने पर किसी भी पक्ष से चूक हो सकती है जबकि इस मोड़ पर सबका समस्वर होना रहना ज़रूरी है .ताकी बिधान को उत्तर सर्जरी जन समुन्दर में वैसे ही दोबारा छोड़ा जा सके जैसे समुन्दर से छिटकी किसी मछली को समुन्दर में .
ब्लॉग जगत की शुभकामनाएं सभी पक्षों को .
कृपया देखें -
Jenna Talackova : Transgender beauty queen
Dr Kalpesh Gajiwala , caught in the middle of the controversy surrounding Bidhan Barua's sex-change operation ,writes exclusively for Mumbai Mirror
Bidhan doc's plea: Don't demonise boy or his parents
A true success story is not when a transformed transgender is paraded as a trophy ,but when social integration is seamless/Mumbai Mirror ,Lead story ,Cover Page/MAY12,2012
भारतीय विद्या भवन के संस्थापक एवं सविधान सभा के सम्मानीय सदस्य KM Munshi साहब ने अपनी मशहूर कृति 'कृष्णावतार 'में एक पाठ का शीषक रखा था 'The boy who was a girl' (लड़का जो लडकी था ).इस पाठ में आप ने उस कौशल और बड़े हुनर का ज़िक्र किया है जिसका इस्तेमाल करके कृष्ण राजकुमारी शिखंडी के मनो -भौतिक शरीर को पुरुष काया स्वीकार करवाते हैं .
बेशक बाद में कृष्ण अपनी इसी सृष्टि का रणनीतिक इस्तेमाल महाभारत युद्ध में अर्जुन का सारथी बन कूटनीतिक तौर पर करतें हैं .शिखंडी एक ट्रांस -जेंडर था और तत्कालीन युद्ध के अनुसार केवल पुरुष ही युद्ध में शरीक हो सकते थे ,शिखंडी नहीं .न ही उस पर कोई अश्त्र शश्त्र चला सकता था .लक्ष्य भेदी मिसाइल (तीर )दाग सकता था .
यहाँ इस उद्धरण को देने का मतलब सिर्फ इतना ही है कि हमारे कायिक शरीर में विपरीत लैंगिक एक मनो -शरीर का होना कोई नै बात नहीं है .और न ही बिधान बरुआ वर्तमान दशक का पहला ट्रांस -सेक्सुअल है .प्रकृति की लीला कह लो या कोशा विभाजन में होने वाली चूक वह भी शुक्र और अंडाणु के मिलन मनाने के बाद यानी निषेचन के बाद यह चूक अनेक रूपों में प्रगटित ,रूपायित होती रही है .कभी किसी महिला को कोई छंगा (छ : उँगलियों वाला ) नवजात पैदा होता है .कभी कुछ और विकृति स्वरूपा बालक .
एकल निषेचित ह्यूमेन एग निषेचित अंडाणु से ही यह सृष्टि खड़ी हुई है .जो अभी नहीं जन्मा है वह बीज रूप पड़ा हुआ है .सारा कमाल और कौशल और अपवाद उस सिंगिल फ़र्तिलाइज़्द एग का है जिससे पहले भ्रूण (पश्चिमी सोच के तहत पहले पखवाड़े तक एम्ब्रियो बाद के कोशिका विभाजन के बाद निषेचित अंडाणु फीटस कहलाता है ) हमारे यहाँ पौर्बत्य दर्शन में एक ही शब्द प्रयोग भ्रूण प्रचलित है .
विभेदीकरण (Differentiation ) से पहले जब कोशिका विभाजन निषेचन के बाद चंद कदम ही आगे रख पाता सभी कोशाये एक समान, यकसां होती हैं .विभेदन के बाद सबका रोल अलग अलग हो जाता है .सब के पास एक सोफ्ट वेयर होता है कौन आगे चलके क्या करेगा . .कौन सिर बनाएगा भ्रूण का कौन धड ,हाथ पैर कौन बनाएगा ,नाखून और चरम कौन ?विभेदन से पहले की कोशिकाएं ही जादुई स्टेम सेल्स कहलातीं हैं .जिन्हें सोफ्ट वेयर देकर आप कोई भी अंग शरीर का चुनिन्दा तौर पर तैयार करवा सकते हो .
भ्रूण का विकसित होना एक जटिल प्रक्रिया है यहाँ अनेक पेचीला श्रृंखला बद्ध क्रियाएं संपन्न होती हैं .कितनी ही एक ही समय पर संपन्न होतीं हैं कितनी ही क्रमवार .बस ज़रा सी चूक होने की देर है .नतीजा होता है Blue Baby (ऐसा बच्चा जिसके दिल में जन्मना सूराख होता है ) ,या फिर Cleft lip लिए चला आता है नवजात तो कभी आत्मविमोही बना (Autistic,Autism से ग्रस्त ).तो कभी ऐसा जन्मना रोग लिए चला आता है जिसमे न पढ़ पाता हैं न लिख पाता (Dyslexia).
व्यक्ति का ट्रांस -जेनडर होना भी इसी कोशिका विभाजन के तेहत चलने वाली प्रक्रियाओं में किसी स्तर पर हुई चूक की ही परिणिति है .
जहां नवजात का अतिरिक्त अंग लिए चले आना स्वीकृत है चाहें वह मामला छ :उँगलियों का हो या दो अगूंठों का या cleft lip का .माँ बाप इन मामलों में सहर्ष इलाज़ भी जल्दी से जल्दी करवातें हैं .और अब तो प्लास्टिक सर्जरी मयस्सर है विकृत अंग सुधार के लिए चाहे वह क्लेफ्ट लिप का मामला हो या कोई और विकृति .
Cleft lip is a condition in which one is born with his/her upper lip split.
Cleft lip is a congenital deformity of a cleft in the upper lip , on one or both sides of the midline.It occurs when the three blocks of embryonic tissue that go to form the upper lip fail to fuse and it is often associated with a cleft palate .
Cleft palate is a congenital fissure along the midline of the roof of the mouth.
लेकिन न तो जन्म के समय और बाद इसके कॉफ़ी समय तक आत्मविमोही बालक के कोई प्रगट :लक्षण होतें हैं न डिस्लेक्सिक बालक और न ही ट्रांस -जेंडर के .
बेशक प्रजनन अंगों को देखते ही हम लोग तो लिंग निर्धारण तुरत फुरत कर डालते हैं नवजात का लेकिन स्वयं उसको इसका इल्म तब होता है जब वह २-३ वर्ष आयु का हो जाता है .ज्यादातर लोगों में मतेक्य और तालमेल रहता है भौत्तिक काया और मनो -भौतिक शरीर में ,Perceived gender और assigned sex में .
लेकिन ट्रांस -जेंडर में यह तालमेल टूट जाता है साथ ही टूट जाती है जीवन की लय .मनो -भौतिक शरीर अपने असली वजूद के लिए छटपटाने लगता है .एक नै काया ढूंढता है अपने में ही .
माँ बाप भाई बहिन अन्य नाते रिश्ते बौखलाहट छिपा नहीं पाते अपनी .माँ बाप पर तो जैसे वज्र पात ही हो जाता है .एक ठेस लगती है हतप्रभ हो कह उठते हैं -यह कुदरत की कैसी माया है ?ज्यादातर माँ बाप इस स्थिति को स्वीकार नहीं पाते .मौन या फिर मुखर अ - स्वीकृति लिए जैसे तैसे दिन गुजारते हैं .इसे एक अपवाद मान आगे नहीं आ पाते इलाज़ के लिए .क्रोध और उन्माद विवेक हीनता अपना खेल खेलने लगती है .एक भ्रम की स्थिति बनी रहती है .
क्या करे निकटतर समाज वृहत्तर समाज ऐसे मामलों में ?
तदानुभूति दिखलाए या मज़ाक उडाये हास्य व्यंग्य विनोद और उपहास का विषय बनाए असर ग्रस्त व्यक्ति को जो खुद एक दुविधा झेल रहा है अपने असल व्यक्तित्व की तलाश में भटक रहा है अपने ही अन्दर अपने आप को तलाश रहा है .?
यहाँ माँ बाप और उनकी ट्रांस -जेंडर संतान दोनों सहानुभूति से आगे निकलके तदानुभूति के हकदार होने चाहिए समाज के लिए .यह कोई सामाजिक अभिशाप नहीं बनना चाहिए .सोचना होगा हमें -दोनों ही असाधारण परिस्थितियों के मारे हैं .
ये मामला पाप पुण्य का नहीं है जन्म पूर्व कोशिका के स्तर पर पैदा हुई चूक का है गडबडी का है .कल को जन्म पूर्व इसका समाधान भी निकल सकता है शिनाख्त भी हो सकती है गर्भ में ही गर्भस्थ ट्रांस -जेंडर की .
यहाँ पर मनो -वैज्ञानिक सलाह मशिवरा कोंसेलिंग की बराबर दोनों पक्षों को माँ बाप और ट्रांस जेंडर संतानों को निरंतर और दीर्घावधि ज़रुरत है .बच्चों को अपनी संपत्ति मानकर इन मामलों में ज़बरजस्ती नहीं की जा सकती .आनर किलिंग वाले हमारे समाज को ज्यादा खबरदार और जानकारी की ज़रुरत है जहां ब्याह शादी ही नहीं केरीयर भी माँ बाप ही अरेंज करतें हैं .जेंडर भी .जबकि ये मामला है जेंडर बेन -डर
(GENDER BENDER)का .
सभी पक्षों को विवेक से काम लेने की ज़रुरत है समाज परिवार ट्रांस -जेंडर व्यति और चिकित्सा समाज . सभी को संवेदन शील भी होना पडेगा परस्पर ..
परीक्षा और सावधानी की घडी है यह
एक छोर पर बिधान के घरवाले डॉ कल्पेश गाजीवाला पर दवाब बनाए हुएँ हैं कि वह बिधान की सर्जरी से बाज़ आयें दूसरे छोर पर मुंबई का सैफी अस्पताल इस सामाजिक सरोकारों वाले मुद्दे पर मनमोहन सिंह जी की तरह मौन धारे हुए है .संतोष का विषय यही है इस समय मुंबई के प्लास्टिक सर्जनों का परिवार बिधान और उसके प्लास्टिक सर्जन डॉ गिरजेश के साथ है जो कोर्ट कचहरी की बहु -मूल्य राय को अमली जामा पहनाने को तैयार खड़ें हैं .
बहुत दूर का सफ़र है
कई चरणों में सर्जरी होनी है फिर दीर्घावधि मनो -वैज्ञानिक सलाह मशविरा सावधानी न बरतने पर किसी भी पक्ष से चूक हो सकती है जबकि इस मोड़ पर सबका समस्वर होना रहना ज़रूरी है .ताकी बिधान को उत्तर सर्जरी जन समुन्दर में वैसे ही दोबारा छोड़ा जा सके जैसे समुन्दर से छिटकी किसी मछली को समुन्दर में .
ब्लॉग जगत की शुभकामनाएं सभी पक्षों को .
कृपया देखें -
10 टिप्पणियां:
ट्रांस-जेंडर से जेंडर-बैंडर तक का ऐसा संवेदनशील, दार्शनिक, सभी मानवीय पक्षों को अपने में समाहित किये हुए, उनके भीतर के अंतर्द्वंद्व का ऐसा मार्मिक चित्रण और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को साथ लेकर चलते हुए तमाम उपलब्ध वैज्ञानिक विवेचनाओं, विश्लेषण, उनकी व्याख्या व स्पष्टीकरण से लबरेज़ आपका यह लेख, मेरी सीमित जानकारी में, इस विषय पर अब तक लिखे गए किसी भी लेख से ज्यादा प्रमाणिक, अधिकतम जानकारी से भरा, हर दृष्टि से एक सर्वश्रेष्ठ आलेख है, जो कि इस निहायत ही विशिष्ट विषय पर दुर्लभ लेकिन भरपूर सामग्री देता है |
आपके द्वारा की गयी इस विषय पर शोध, संकलन, आपका अपना पूर्वसिंचित ज्ञान, और सबसे ऊपर आपका इस विषय पर सांगोपांग प्रस्तुतीकरण... आपके इस सत्कर्म को प्रणाम...
अतुलनीय...!
बेहद प्रशंसनीय...!!
विशिष्ट विषय पर उपलब्ध दुर्लभ ज्ञान की धरोहर के रूप में संग्रहणीय...!!!
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण[Scienctific] रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
♥
आदरणीय वीरेन्द्र जी
सादर प्रणाम !
"क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस-जेंडर ?" बहुत गूढ़ विषय पर इतने श्रम से सरल शब्दावली में ठोस जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आभार ! निश्चय ही संबद्ध विषय के विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है आपका आलेख ।
हम जैसे आम पाठकों के लिए भी यह सब जानना रोचक और ज्ञानवर्द्धक है …
आभार !
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बढ़िया जानकारी |
सूक्ष्म विश्लेषण |
परिश्रम को नमन |
सादर ||
apki baat padhkar Farmane Bari Ta'ala yad aa gaya ki ilm hasil karo.
in bato ka talluq ilm se hi he.
पूर्ण वैचित्र्य भरा जीवन में..
उपयोगी, ज्ञानवर्द्धक और रोचक आलेख...बहुत-बहुत आभार आपका
ज्ञानवर्धक प्रविष्टि को साझा करने के लिए आपका आभार!
बहुत सार्थक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति....आभार
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण[Scienctific] रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
एक टिप्पणी भेजें