बुधवार, 2 मई 2012

नुस्खे सेहत के

नुस्खे सेहत के  

गुणकारी है मस्क् -मेलन : कठोर छिलके (RIND) वाला यह फल विटामिन सी का अच्छा स्रोत है .एक ऐसा एंटी -ओक्सिडेंट है यह जो दिल के लिए बेहतरीन समझा जाता है .

Muskmelon is a fruit with a ribbed or rough rind and white yellow ,or green flesh with a sweet full flavour ,and a pleasant musky smell.

जेक  फ्रूट (कटहल )  मैग्नीशियम का भंडार  है . यह एक ऐसा  पोषक तत्व  है जो हमारी अस्थियों  को मजबूती प्रदान  करता है..

JACKFRUIT : Jackfruit is a tree that bears jaks and produces fine -grained yellowish wood.   

कटहल का पेड़ जिस पर कटहल .लगते हैं .

  


डिमैन्शा : राष्ट्रीय परिदृश्य ,एक विहंगावलोकन

डिमैंशा ओरगेनिक दिमागी रोग या आघात से उत्पन्न एक गंभ्भीर मानसिक विकार है जो हमारी सोचने ,याद रखने और रोजमर्रा के सामान्य व्यवहार की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है .प्रभाव भी ऐसा जो समय के साथ बढ़ता ही जाता है .और धीरे धीरे सोचने समझने याद रखने की क्षमता को ले उड़ता है और इसीलिए इसे लाइलाज या क्रोनिक कहा जाता है जिसमें  व्यवहार के साथ- साथ बोध सम्बन्धी प्रकार्य दिमाग का छीजता चला जाता है .यह इसीलिए एक न्यूरो-दिजेंरेतिव डिसऑर्डर भी कहाता है .याद रहे   महज़  सठियाना  नहीं है डिमेंशा .दिमाग  का  एक  अप  -विकासी  रोग  है  .
क्या है भारत की स्थिति इस लाइलाज रोग की बाबत एल्ज़ाइमर्स जिसका सहज उदाहरण है ? 
विश्वस्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट 'Dementia - a public health priority ' के  अनुसार     भारत में     तकरीबन     37 लाख    लोग   इस मर्ज़   के   साथ रह  रहें हैं .आगामी  बीस  बरसों  में ही यह संख्या दोगुनी  हो सकती  है . 
टूटते बिखरते न्यूक्लीयर परिवार  इसके मरीजों के प्रबंधन में एक बड़ी बाधा बनने जा रहें हैं .इसी के चलते जहां गाँवों  में इसके मरीजों की देखभाल करने वालों में फिलवक्त 70%बच्चे  और जीवन साथी हैं वहीँ शहरों में केवल ४०%ही ऐसा कर पा रहें हैं .
शहरों  में इनकी  देखभाल करने  वालों  में जहां  27 %जीवन   साथी  लगे  हें   वहीँ ग्रामीड़ क्षेत्रो में 23% ही ऐसा कर  पा रहें  है.
बुढापे का अकेलापन  उसी अनुपात में बढ़ता जा  रहा है जिस  अनुपात में न्यूक्लीयर परिवारों  की संख्या फ़ैल रही है .जबकि  इससे  ग्रस्त  उम्र  दराज़  लोगों  को चौबीसों  घंटा  देखभाल की ज़रुरत  रहती  है इसके बिना  गुज़ारा  ही नहीं  है .कालान्तर में न तो ये शौच आदि से खुद अपने आप निवृत्त हो सकतें हैं और न ही इन्हें अपनी स्थिति का बोध रहता है इन्हें नहीं पता रहता ये कब कहाँ हैं आस पास कौन है इनके .ये हैं रोग की बढ़ी हुई अवस्था के चंद लक्षणों की एक झलक .
योरोप में डिमेंशा की देखभाल  के लिए अनेक   सुविधाएं  सामने  आ गई  हैं .प्रोद्योगिकी का इसके प्रबंधन में बड़ा सहारा मिल रहा है .
सबके  पास  मोबाइल्स  हैं .इन्हें  सोफ्ट  वेयर  दे दिया जाता है मरीज़ को याद दिलाते  रहने  के वास्ते  .भारत में भी ऐसा आसानी से हो सकता है .
प्रेशर स्विचिज़ भी इन रोगियों की मदद के लिए हाज़िर हैं जब ये मरीज़ बैठतें हैं ,लाईट खुद बा खुद अपने से ही जल जाती है .   
pill dispensars खाने की मेज़ पर इन मरीजों को खाना खाने के बाद की दवा लेने को कहतें हैं उन्हें यह पूर्व रिकार्ड किया मेसेज दे दिया जाता है :भाई साहब दवाई खालो .
लाईट एमिटिंग डायोड आधारित लाइटें हैं जब आप दरवाज़े पर ताला  जड़तें हैं यही   LED  BASED LIGHTS आपको  याद दिलातीं हैं -भाई साहब चाबी निकाल लो . 
क्या है रोग का आलमी परिदृश्य ?
दुनिया भर में इस वक्त इसके तीन करोड़ छप्पन लाख मरीज़ हैं .२०३० तक इसके दोगुना हो जाने का अनुमान है ,२०५० तक तीन गुना .
हर बरस इसके सतत्तर 
 लाख नए मरीज़ सामने आरहें  हैं . 
एक सेकिंड में चार  नए मामले रोग के सामने आरहें हैं . 
भारत और चीन जैसे देशों के लिए जहां जीवन शैली (डायबिटीज़ और हाइपर -टेंशन ) रोग उफान पर हैं शकुन  अच्छा नहीं है .मधुमेह की तो भारत आलमी राजधानी ही बना हुआ है .
यहाँ सर्क्युलेशन सम्बन्धी रोगों के चलते डिमेंशा के रोगी और भी ज्यादा तेज़ी से बढ़ सकतें हैं .
एल्जाई -मार्स  के प्रबंधन के लिए फौरी तौर पर गाइड लाइंस की मांग माहिर कर रहें हैं करते रहें हैं .
माहिरों के अनुसार सहज सरल रोग नैदानिक उपकरणों की उपलब्धता वक्त की मांग है .रोग निदान जल्दी हो जाए तो प्रबंधन  भी आसान हो जाए .
भारत में गिनती के ही प्रोफेशनल सेंटर्स हैं .जरा मुल्क का साइज़ देखो और उपलब्ध सेंटर्स देखो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा .
रुरल एम्प्लोय्मेंट गारंटी स्कीमों (नरेगा ,मरेगा )के मार्फ़त ग्रामीड़ों को प्रशिक्षण इस बाबत दिया जाना चाहिए . 
अभी कुछ ख़ास नहीं बिगड़ा है बेटी बाप के घर में ही है .टालू रवैया   घातक सिद्ध होगा . 
सन्दर्भ -सामिग्री :-TECH HELP TO DEAL WITH
DEMENTIA        PRESSURE SWITCHES , PILL DISPENSERS TO ASSIST ELDERLY /TIMES NATION /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY1,2012 ,P12  

कैंसर     रोगसमूह     से    हिफाज़त करता है स्तन पान . 

स्तन पान  एक फायदे अनेक . शिशुओं को बचाए रहता है यह कई किस्म के कैंसर रोग समूह से .रिसर्चरों को माँ के स्तन से प्राप्त   दूध में एक कैंसर  का मुकाबला करने  वाले एजेंट का पता चला है इसे TRAIL (TNF-related  apoptosis inducing ligand ) कहा    जा   रहा है .   

यही वह तत्व है जो स्तन दुग्ध में कैंसर रोधी सक्रियता बनाए रहता है .इस अध्ययन  को जर्नल ऑफ़ ह्यूमेन लेक्तेशन में SAGE ने   प्रकाशित किया है .
अध्ययन में रिसर्चरों ने बच्चों (नवजातों )को दी जाने वाली  पहली फीड COLOSTRUM के   साम्पिल्स   के   साथ -साथ  नव प्रसुताओं से परिपक्व स्तन  के नमूने जुटाए .

पता चला रक्त की तुलना में कोलोस्ट्रम और मेच्युओर ब्रेस्ट मिल्क में क्रमश :400 और 100 गुना उच्चतर स्तर  TRAIL का  मौजूद है .
फोर्मुला मिल्क में TRAIL का   नामोनिशान तक नहीं होता . 

सन्दर्भ -सामिग्री :-'Mum's milk protects baby against cancer'/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 1, 2012  P17.

3 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

सदैव की तरह बहुत उपयोगी जानकारी...आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत खाया है इन गर्मियों में।

Anita ने कहा…

बहुत सार्थक पोस्ट, खरबूजा असम में मिलता ही नहीं, कटहल बहुत होता है. मेरी सासु माँ डिमेंशिया की मरीज थीं, बहुत तकलीफ देह है यह रोग, भुक्त भोगी ही जान सकते हैं.