राजीव गांधी की राजनीति में आत्मघाती गलती क्या था ?खुद को मिस्टर क्लीन घोषित करवाना .इंदिराजी श्यानी थीं उनकी सरकार में चलने वाले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जब उनकी राय पूछी गई उन्होंनेझट कहा यह तो एक भूमंडलीय फिनोमिना है .हम इसका अपवाद कैसे हो सकतें हैं .(आशय यही था सरकारें मूलतया होती ही बे -ईमान और भ्रष्ट हैं ).यह वाकया १९८३ का है जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय केएक ईमानदार न्यायाधीश महोदय ने निराशा और हताशा के साथ कहा था वहां क्या हो सकता है भ्रष्टाचार के बिरवे का जहां सरकार की मुखिया ही उसे तर्क सम्मत बतलाये .यही वजह रही इंदिराजी पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा न ही उन्होंने कभी अपने भ्रष्टाचार और इस बाबत निर्दोष होने का दावा किया .ज़ाहिर है वह मानतीं थीं-"काजल की कोठारी में सब कालेही होतें हैं .ऐसा होना नियम है अपवाद नहीं ।
राजीव गांधी खुद को पाक साफ़ आदर्श होने दिखने की महत्व -कांक्षा पाले बैठे थे और इसलिए उन्हें बोफोर्स के निशाने पर लिया गया और १९८९ में उनकी सरकार को खदेड़ दिया गया .जब की इंदिराजी ने खुद को इस बाबत इम्युनाइज़्द ही कर लिया था ,वे आखिर व्यावहारिक राजनीतिग्य थीं ।
राजनीति -खोरों के लिए इसमें यही नसीहतऔर सबक है अगर ईमानदार नहीं हो तो वैसा दिखने का ढोंग (उपक्रम )भी न करो .
लेकिन सोनिया जी ने अपने शोहर वाला रास्ता अपनाया है त्यागी महान और ईमानदार दिखने का .लगता है १९८७-१९८९ वाला तमाशा फिर दोहराया जाएगा .हवा का रुख इन दिनों ठीक नहीं है ।आसार भी अच्छे नहीं हैं .अप -शकुनात्मक हैं ।
राजीव गांधी का अनुगामी बनते हुए और इंदिराजी को विस्मृत करते हुए नवम्बर २०१० में एक पार्टी रेली में उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टोलरेंस "का उद्घोष किया ।
चंद हफ़्तों बाद ही उन्होनें अपना यह संकल्प कहो या उदगार दिल्ली के प्लेनरी सेशन में दोहरा दिया .उन्होंने पार्टी काडर का आह्वाहन किया भ्रष्टाचारियों को निशाने पे लो किसीभी दगैल को छोड़ा नहीं जायेगा . दार्शनिक अंदाज़ में यह भी जड़ दिया भ्रष्टाचार विकास के पंख नोंचता है ।
तब से करीब पच्चीस बरस पहले राजीव गांधी ने भी पार्टी के शताब्दी समारोह में मुंबई में ऐसे ही उदगार प्रगट किये थे ।
अलबत्ता दोनों घोषणाओं के वक्त की हालातों में फर्क रहा है ,राजीव जी के खिलाफ तब तक कोई "स्केम ",कोई घोटाला नहीं था .क्लीन ही दीखते थे वह ।
लेकिन सोनिया जी से चस्पा थे -कोमन वेल्थ गेम्स ,टू जी ,आदर्श घोटाले ।
राजीव जी बोफोर्स के निशाने पर आने से पहले बे -दाग ही समझे गए .लेकिन सोनियाजी की राजनीतिक तख्ती पर सिर्फ कात्रोची ही नहीं लिखा है ,क्वाट -रोची स्विस बेंक की ख्याति वाले और भीं अंकित हैं साफ़ और मान्य अक्षरों में ।
मामला इस लिए भी संगीन रुख ले चुका है एक तरफ विख्यात स्विस पत्रिका और दूसरी तरफ एक रूसी खोजी पत्रकार द्वारा गांधी परिवार के सनसनी खेज घोटालों के खुलासे के बाद सोनिया जी के कान पे आज दो दशक बाद भी जूं भी नहीं रेंगीं हैं ,है सूंघ गया सामिग्री सामिग्री है .साहस नहीं हुआ है उनका प्रतिवाद का या मान हानि के बाबत मुक़दमे या और कुछ करने का .
(ज़ारी ...).
सन्दर्भ -सामिग्री:-
गुरुवार, 16 जून 2011
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8 टिप्पणियां:
आदरणीय वीरू भाई नमस्ते ! आपकी विचार से पूर्णत: सहमत हूँ...
आपका पोस्ट निम्न लिंक पर प्रकाशित किया जा चुका है कृपया आ कर अवलोकन कर लें
http://bharathindu.blogspot.com/2011/06/blog-post.html
http://poorvanchalbloggerassociation.blogspot.com/2011/06/blog-post_16.html
हमें भी कुछ भान हो रहा है कि कुछ होने वाला है
बिलकुल सहमति है आपसे ....
भ्रष्टाचारी केंद्र सरकार के बहुत कम दिन बचे हैं |
Read all the posts... very well summed up !!
जादू की छड़ी सोनिया जी के पास है !
Sir ji.....Bahut hi dhaardaar lkhten aap!
aapse sahmat hun.
वीरेंद्र भाई ,ज्योति मिश्रा जी ,सुरेन्द्र सिंह "झंझट जी ,मदन भाई साहब ,अरविन्द भाई साहब आप सभी का बहु -विध आभारी हूँ .
आपका यह लेख गांधी परिवार पर आधारित मेरे विशेष ब्लॉग गांधी4इंडियन पर भी प्रकाशित किया गया है। गांधी परिवार पर आपके लेख सदैव आमंत्रित हैं। इस ब्लॉग का यूआरएल है:-
http://gandhi4indian.blogspot.com/
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