रविवार, 5 जून 2011

मल्तिपिल स्केलेरोसिस :पारिभाषिक शब्दावली .(ज़ारी ..)

ऍफ़ डी ए (कृपया इसे गत पोस्ट से आगे पढ़ें जो ऍफ़ डी ए के बारे में लिखी जा चुकी है ....)।
कोस्मेटिक ,डाईज एंड एडिटिव सेफ्टी :जो सौन्दर्य प्रशाधन निरापद नहीं हैं ,अ-सुरक्षित है जिनका स्तेमाल कोई नुकसानी पहुंचा सकता है यह संस्था उन्हें बाजार से हटा सकती है ।
तरह तरह के रंजक (डाईज )जिनका स्तेमाल ,किस्म -किस्म के संरक्षी, जिनका स्तेमाल अनेक दवाओं और खाद्य पदार्थों में किया जाता है ऍफ़ डी ए की स्क्रूटनी से गुज़रतें हैं .यहाँ से मंजूरी मिलने पर ही इनका(इन रसायनों का ) स्तेमाल किया जा सकता है .
इन्स्पेक्संस एंड लीगल सेंक्संस :
घरेलू और आयातित नमूनों की वैज्ञानिक जांच का काम भी ऍफ़ डी ए के हाथों में रहता है ,इसे लेबिल चेक्स कहतें हैं .दोष पूर्ण पाए जाने पर इस सामिग्री को बाज़ार से हटा दिया जाताहै चाहें वे चीन में बने खिलौने हों या कुछ और .दोष निवारण के बाद ही फिर स्वीकृति मिलती है बाज़ार में उतारने की .जो कम्पनियां इन दिशा निर्देशों की अवहेलना करतीं हैं ऍफ़ डी ए इनके खिलाफ वैधानिक कारवाई के लिए अदालती कारवाई करती है ।
प्रो -दक्ट्स रिकाल :
तकरीबन ३००० उत्पाद उपभोक्ता के स्तेमाल के लायक न होने की वजह से हर बरस बाज़ार से हटा लिए जातें हैं ।
भले इसके लिए अदालती कारवाई करनी पड़े ,कंपनियों का अडियल रुख होने दिखने पर ।

कमसे कम ३०,००० इम्पोर्ट शिपमेंट्स को पोर्ट ऑफ़ एंट्री पर इसीलिए रोक लिया जाता है क्योंकि कन्साइन- मेंट स्तेमाल के आइन्तिफिक एक्स्पर्ताइज़ श्र्किएन्तिफ़िक एक्स्पेर्तिसे एविडेंस तो बेक उप ।
Scientific expertise :Evidence to back up ऍफ़ डी ए लीगल केसिज इज प्रिपेयर्ड बाई ऍफ़ दी ए लेब साइंटिस्ट्स .यानी व्यापक जांच करतीं हैं ऐसी प्रयोगशालाएं संदेहास्पद उत्पादों की और प्रमाण भी जुटातीं हैं ऐसी जांच के बाद ।
कुछेक प्रयोगशालाओं का काम यह देखना होता है कहीं किसी उत्पाद में इल्लीगल पदाथों का संदूषण तो नहीं है ।
दूसरे साइंसदान कंपनियों द्वारा मुहैया करवाए गए टेस्ट्स रिज़ल्ट्स की पड़ताल करतें हैं .इनमे अनेकानेक टीकों (वेक्सींस ),खाद्य संरक्षी ,रंजकों पर संपन्न परीक्षणों के नतीजे शामिल होतें हैं .इस प्रकार इस अमरीकी खाद्य और दवा संस्था का दायरा अति विस्तृत होता है .

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