सबसे पहले हुसैन साहब सुपुर्दे ख़ाक हुए हमारा विनम्र नमन इस कलाकार को .आपका आभार इतनीज्यादा हुसैन साहब को मूर्त करती रिपोर्टिंग के लिए ।
बंधन हीनता कलाकार की कई सन्दर्भों में राष्ट्र और समाज को माफिक नहीं आती .बेशक कलाकार जीवन मूल्यों में समाज से हटके होता है .लेकिन तुलना करते हुए उन्हें गांधी और बहादुर शाह ज़फर के समक्ष बिठलाने का काम इधर कई अखबारी ब्लोगिये कर गए हैं .बेहूदा तर्क जुटा कर उन्होंने बिहारी और विद्यापति को भी रास लीला में ला घसीटा है राधा कृष्ण के शब्द चित्रों में ,ऊपर से तुर्रा ये ,कहतें हैंयही लोग :अश्लीलता मन की होती है .वह दरबारी कवियों का मध्य युगीन सन्दर्भ था उसे २१ वीं शती पर मढ़ रहें हैं ये चिठ्ठा कश.और उसी सांस में कह रहें हैं इस्लाम में मोहम्मद साहब के चित्र बनाने की मनाही है ।कला भाव जगत का संसार है यहाँ तर्कों का क्या काम ?
खजुराहो ,कोर्ण-आर्क , या और किसी हिंदु मंदिर का अपना काल था ,तत्कालीन परिस्थितियाँ ,मूल्य बोध था .ये साहब माँ काली को भी उसमे लपेट रहें हैं ।
भाई साहब आपकी समीक्षा कला कर्म से प्रेरित है ,संतुलित है ,आपकी दाद देतें हैं ,बाकी सब का हम सरयू घाट पे तर्पण करतें हैं ।
शुक्रिया आपका एक बार फिर .
सन्दर्भ :डॉ.रजेश्व्यस५@जीमेल.कॉम(डॉ.रजेश्व्यस५@जीमेल.कॉम),ब्लॉग :कलावाक् :डॉ .राजेश कुमार व्यास .
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वीरेंद्र शर्मा ,४३ ३०९ ,केंटन ,मिशगन -४८-१८८ ।
दूर ध्वनी :००१ -७३४-४४६ -५४५१ .
शुक्रवार, 10 जून 2011
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2 टिप्पणियां:
महान चित्रकार को मौन श्रद्धांजलि.भाव पूर्ण व सामयिक पोस्ट.
shukriyaa sapnaaji .
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