अन्ना के हैं साथी चार ,हुर्रे हुर्रे ,
इनसे नहीं डरती सरकार ,हुर्रे हुर्रे ।
राम देव का हश्र देख लो ,हिम्मत है तो बात करो ,हुर्रे हुर्रे ।
नामी कई वकील हैं मंत्री, तर्क से झूंठ करें सही ,हुर्रे हुर्रे ।
ये क्या सिविल सोसायटी है ,कोरे हम क्या घासलेटी हैं ,हुर्रे हुर्रे ।
हम कुर्सी पर हैं आसीन ,जनता क्या है दीन हीन ,हुर्रे हुर्रे ।
कैसा ये जन -लोकपाल है ,इससे अच्छा जोक -पाल है ,हुर्रे हुर्रे ।
सरकार तो है आखिर सरकार ,फच्चर उसकेकई हज़ार ,हुर्रे हुर्रे ।
थाना पुलिस कचहरी अपनी ,आयकर सी बी आई भी अपनी ,
ऐसा केस बनायेंगें पानी भरते रह जायेंगें ,हुर्रे हुर्रे ।
एक साथ जब करेंगें वार ,छोड़ के धोती भांगें यार ,हुर्रे हुर्रे ।
हम हैं काबिल शह सवार ,मम्मीजी का खूब दुलार ,हुर्रे हुर्रे ।
जो अपनी पर आयेंगें ,बुल डोज़र चल वायेंगें ,हिप -हिप -हुर्रे ,हिप -हिप- हुर्रे ,क्या कर लेंगें मरगिल्ले ।
रचनाकार :डॉ ,नन्द लाल मेहता वागीश .डी .लिट ।
प्रस्तुति एवं सहभावी
शुक्रवार, 17 जून 2011
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7 टिप्पणियां:
मस्त कविता। हुर्रे हुर्रे।
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
शुक्रिया भाई जाकिर अली रजनीश !आप लोगों ने बहुत दिल से सज़ा संवार के छापा है इस पोस्ट को .
मजेदार रचना .....
तल्ख़ सच्चाई को या अंतस की व्यथा को हँसते-हँसते कह देने की कला निराली होती है
मस्त...मस्त है जी ....क्या बात है...
AADARNIYE Viru SIR,
SAAdar pranaam swikaar ho!
AAp ke blog par aakar bahut achha lagaa. Aap behad dhaardaar likhten hain.
AAPKE aashirvaad ke liye mere blog par ye post lagi hai........
सोनिया गाँधी एक गाँव में स्कूल के दौरे पर गईं, वहाँ उन्होंने बच्चों से कहा - बच्चों कोई सवाल पूछने हो तो बोलो…
रामू खड़ा हुआ… मैडम मेरे सिर्फ़ दो सवाल हैं -
1) आप प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकतीं?
2) स्विस बैंक में आपका कितना पैसा जमा है?
सोनिया कुछ जवाब देती उससे पहले ही भोजनावकाश की घण्टी बज गई…
आधे घण्टे बाद सब बच्चे वापस अपनी क्लास में पहुँचे, तो फ़िर सोनिया ने कहा, बच्चों कोई सवाल हो तो बेझिझक पूछो…
श्यामू बोला… मैडम मेरे भी दो सवाल हैं
1) भोजनावकाश की घण्टी 15 मिनट पहले कैसे बजी?
2) रामू कहाँ गायब हो गया?
AADARNIYE VIRU SIR JI...
SAADAR ABHIVAADAN!
AAPKI YE RACHNA BEHAD PASAND AAYI.
ISKE LIYE AAPKO BDHAAI!
राजनीति हिप हिप हुर्रे स्टाइल वाली ही हो गई है आजकल - सुंदर हास्य प्रस्तुति - व्यंग्य की छोंक के साथ
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