सोमवार, 20 जून 2011

गीत :इक्कीस कभी न होनी है . .

गीत : "इक्कीस कभी न होनी है ",गीतकार :डॉ .नन्द लाल मेहता "वागीश "।
आओ सारे मिलकर देखें ,किस्मत किसकी सोहनी है ।
दिल्ली के दंगल में अब तो ,कुश्ती अंतिम होनी हैं ।।

राजनीति की इस चौसर पर ,जैसे गोट-वोट ज़रूरी है ,
ऐसे काले धन की खातिर ,भ्रष्ट व्यवस्था बहुत ज़रूरी ,
साथ-साथ दोनों हैं चलते ,नहीं कहीं कोई तकरार ,
गठबंधन की आड़ में यारो ,कैसी अज़ब गज़ब सरकार ।
मंत्री मुख पर पड़ी नकाबें ,शक्लें सब मनमोहनी हैं ,
दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी हैं।










मंद बुद्धि के पाले में ,फिर तर्क जुटाते कई उकील ,
चम्पू कई हैं ,जुगत भिड़ाते ,गढ़ते रंगीली तस्वीर ।
कहते हैं अब उम्र यही है ,भारत की बदले तकदीर ,
निकल गई गर हाथ से बाज़ी ,पड़ेगी दिल्ली खोनी है ,
उन्नीस की गिनती है उन्नीस ,इक्कीस कभी न होनी है ।
दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है ।।

लाख भोपाली जादू टोने अफवाहें ,छल छदम घिनौने ,
काम नहीं कर पायेंगें ये ,अश्रु जल से चरण भिगोने ।
अपनी रोनी सूरत से तुम ,बदसूरत चैनल को करते ,
दोहराते हो झूठ बराबर ,शर्मसार भारत को करते ,
अब तो आईना सच का देखो ,सिर पर बैठी होनी है ,
दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है ।
आओ सारे मिलकर देखें किस्मत किसकी सोहनी है ।
उन्नीस की गिनती है उन्नीस इक्कीस कभी न होनी है ।
विशेष :इक्कीस जून सोनिया जी का जन्म दिन हैं मुबारक उन्हें .उनके भोपाली चिरकुटों को ।
प्रस्तुति एवं सहभावी :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

3 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

नैनीताल गया था जी,
आप कविता में मस्त हो।

Arvind Mishra ने कहा…

जबरदस्त रचना!

अशोक सलूजा ने कहा…

हमारी तो मुबारक आप को ...
लगे रहो वीरू भाई ..
शुभकामनाएँ!