एक एक्स धूम्र पानी के तजुर्बे से मैं यह कहूंगा -जैसे बीमारियों में मधुमेह सब रोगों की माँ है वैसे ही ऐबों,कुटेबों में स्मोकिंग है .एक धूप बत्ती सारी हवा को सुवासित कर देती है और एक सिगरेट सारे परिवेश को नष्ट कर देती है .दूसरों के संस्कार काटती है सिगरेट .करे मुल्ला पिटे जुम्मा .जब हम धूम्र पान करते थे ,मूर्खता के शिखर पर थे ,सरे आम करते थे ,इसे अपना बुनियादी हक़ समझते थे कोई टोकता तो कहते भाई साहब अपनी सोसल टोलेरेंस बढ़ाओ .हम सारे अल्पसंख्यक इकठ्ठा हो जाते न पीने वालों की नाक में दम कर देते ..विभाग में बतौर व्याख्याता सबसे छोटे थे (बीस बरस के होते होते व्याख्याता बन गये थे और पहला काम यह किया अपने वयस्क होने का एक सबूत जुटाया .कोई न कोई हीरो रहा होगा घर में ही हीरो हमारा .बाहर उन दिनों देवानंद साहब थे -मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ,हर फ़िक्र को धुएं मैं उडाता चला गया,गाइड में तो उनके सिगरेट पीने का अंदाज़ ही अलग था . .बंद कमरों में खूब धूम्रपान कियाहमने ,तिस पर तुर्रा यह खुद को इन्तेलेक्च्युअल भी मानते थे .छल्ले बनाते थे धुएं के ।
एक दौर आया हालाकि हम सिगरेट छोड़ चुके थे ,पत्नी के चले जाने केबाद .लेकिन एक तरफ स्मोकिंग स्टेंस नेहमारी मुक्तावली को मुक्त नहीं किया दूसरी तरफ दंतावाली भी गई .गम डिजीज के हवाले . दूसरी तरफ बंद धमनियों ने हमारा बीस क्या पच्चीस साल बाद भी पीछा किया .७० %बंद धमनी हो तो गुज़ारा हो जाता है यहाँ तो एक १००%,दूसरी ९०%तथा तीसरी ७०%बंद थी .उसी के सहारे हम एंजाइना झेल भोग रहे थे .ओपन हार्ट सर्जरी हुई ।
छोटी बिटिया जब तक भारत में रही क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (श्व्शनी शोथ) से ग्रस्त रही .अब यहाँ अमरीका की साफ़ हवा में ज़िंदा है ।ब्रों -काई -टिस हमें तो घेरे ही रही .
लेकिन हमारे दो पौते उतना नसीब लेकर नहीं आये ,दोनों दमे से ग्रस्त रहतें हैंबेशक दमा हमारे पिताजीको भी था ,जो डीएम के साथ ही गया पहले नहीं सिगरेट वह भी पीते थे ,पोतों के नाना को भी हैदमा .लेटेस्ट खबर यह है अब मछली चिकित्सा के लिए हैदराबाद जा रहें हैं .होम्यो -पैथी ,एलो -पैथी और आयुर्वैदिक चिकित्सा की त्रिवेणी बच्चों ने उनपे आजमाई है .विशेष कुछ निकला नहीं है ।
तो ज़नाब पीढ़ी दर पीढ़ी पीछा नहीं छोडती है यह लत .मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ...
रेड एंड वाईट पीने वालों की बात ही कुछ और है ........भरमाने वाले बहुत हैं .समझाने वाले बहुत कम हैं ।
डॉ .मोनिका सिंह सारगर्भित पोस्ट के लिए आपका आभार .
बुधवार, 1 जून 2011
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4 टिप्पणियां:
सही बात है, धूम्रपान हज़ारों बीमारियों की जड़ है.
धूम्रपान कई समस्याओं को न्योता देता है .....
बात तो सही है पर मजबूर है आदत से मजबूर वही भी बुरी आदत , ज्ञानवर्धक पोस्ट आभार
आज ६ बरस हो गये इससे पीछा छुड़ा लिया...वरना जहाँ हम हों, वहाँ धुँआ न हो...कम ही होता था.
बहुत सार्थक पोस्ट.
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