बार -बार झूठ बोलने से सच को ही ताकत मिलती है .दरअसल वर्तमान केन्द्रीय सरकार मजबूरी में ही सही इतने झूठ बोल चुकी है कि कोई उनके सच पर विश्वास नहीं करता .यहाँ तक के सरकार होने का सच भी विश्वसनीय नहीं रहा .संस्कृत की एक उक्ति है राजा नहीं उसका प्रताप शासन करता है .जिस सरकार का प्रताप ख़त्म हो गया हो वही सरकार रात के डेढ़ बजे साधू -संतों ,निरीह साधकों और स्त्री बच्चों पर अपना प्रताप दिखलाती है .हम तो इस सरकार की दीर्घ आयु की कामना कर सकतें हैं .पर लोग हैं कि मानते नहीं ।
अब लोग यह कह रहें हैं कि वित्त मंत्रालय में चुइंगम का क्या काम .अगर इस सरकार के प्रवक्ता ने ये झूठ न बोला होता कि वह जासूसी यंत्रों का गम न होकर चुइंगम था तो सरकार को यह सब न सुनना पड़ता ।
अब कई भारतीय यह भी पूछ रहें हैं कि क्या सरकार ही वित्त मंत्रालय को चुइंगम सप्लाइ करती थी .यह हो सकता है कि एक आदि कर्मचारी च्युइंगम खाता हो .कहीं ऐसा तो नहीं सारे ही खातें हों और सरकार को पता न हो .कम से कम वित्त मंत्री पर तो यह शक नहीं जाना चाहिए .ये पुरानी भारतीय धारा के बंग भद्र जन हैं .वे च्युइंगम क्यों खायेंगें .भले ही हाई कमान से क्यों न आया हो .
झूठ के पर नहीं होते .सरकार अगर मान ही लेती कि हाँ किसी ख़ास वजह से जासूसी करवाई गई तो सरकार को बे -सिर पैर के इलज़ाम तो न झेलने पड़ते .अब लोग यह पूछ रहें हैं कि प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के बाद दूसरे नंबर के वरिष्ठ मंत्री और सरकार चलाने के अनुभव में तो सबसे वरिष्ठ प्रणव मुखर्जी अपनी ऐसी विशिष्ट स्थिति में भी सरकार का हिस्सा नहीं हैं तो फिर अलग से सरकार क्या होती है ।
क्या सिर्फ प्रधान मंत्री को ही सरकार कहा जाता है ?या कोई और असंवैधानिक सरकार होती है क्या ?हम तो सरकार के हिमायती हैं .कमसे कम सरकार उस शख्स को ढूंढकर पुरूस्कार तो दे ही सकती है जिसने पूरे कौशल से कहीं कुर्सी के पीछे ,कहीं मेज़ के नीचे ,कहीं दाएं ,बाएँ ,या ऊपर नीचे च्युइंगम चिपकाई थी ,जहां से आवाज़ को पकड़ा जा सके ।
कहीं ऐसा तो नहीं है ,भारत सरकार ने ऐसी कोई च्युइंगम मंगाई हो ,कहीं से आयात की हो जो खाने के काम भी आती हो और बा -वक्त जासूसी उपकरणों के चिपकाए जाने में भी इस्तेमाल होती हो .सरकार समर्थ है .और बाबा तुलसीदास कह गए हैं :
समरथ को नहीं दोष गुसाईं ।
अब सरकार के पास वक्त भी है ,भले ही आम भारतीय को रोज़ी रोटी के चक्कर में वक्त नसीब न होता हो .मैं भी आम भारतीय हूँ .सरकार चाहें तो किसी भोपाली जादूगर को बुलाकर ये पता करवा सकती है ,कि यह च्युइंगम कहाँ से आई ?भारत के लोग शान्ति प्रिय हैं .फिलाल तो वह यही कह रहें हैं :
जय च्युइंगम- सरकार की .
गुरुवार, 23 जून 2011
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8 टिप्पणियां:
हाय रे च्युंगम
सरकार होने का सच भी विश्वसनीय नहीं रहा .
बहुत सही कहा आपने।
इति श्री चूयिंग्गम कथा
theek kaha aapne......sadhuwad..
वीरुभाई राम-राम !
च्युंगम- सरकार की जासूसी तो कर ली ...
पर लगता है,मेरी मेल नही पा सके ..नही तो मेरी पहचान बता दी होती ..?आखिर इक दिन प्यार हो ही गया |
मोर्चे के लिये
शुभकामनाएँ !
कहीं ये सरकार च्युंगम की तरह न चिपक जाए ... जनता को ध्यान रखने वाली बात है ...
समरथ कों नहीं दोष गुसाईं
जब बाबा तुलसीदास भी माँ चुके हैं, तो हम तुम भी मान ही लेते हैं| समर्थ व्यक्ति जो न करे, वो थोड़ा है|
च्युइंगम ..........kursi pe lgi hai....dekho kb utrti hai....tbhi jayegi sarkar.........
people are watching very closly......are not fool now......
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