प्रस्तुत दोहावली जो आगे भी ज़ारी रहेगी "सोनिया गांधी एंड कोंग्रेस सीक्रेट्स बिलियंस "का दोहानुवाद है ,भावानुवाद है कृपया इसके साथ संलग्न दो किश्तें इस भंडा फोड़ की भी पढ़िए ,पुरानी पोस्ट को क्लिक करके .मेहरबानी कद्रदान ।
कश्मीर
चाचा चालें चल चुकें ,चौपट चाम्प गुलाब ।
शालीमार निशात सब ,धुल धूसरित ख़्वाब ।।
चारों दिशा उदास हैं ,फैला है आतंक ।
ज़िम्मेदारी कौन ले ,मारे शाशन डंक ।।
भ्रष्टाचार भू -मंडलीय फिनोमिना (१९८३)।
माता के व्यक्तव्य से ,बाढ़ा हर दिन लोभ ।
भ्रष्टाचारी देव को ,चढ़ा रहे नित भोग ।।
पानी ढोने का करे ,जो बन्दा व्यापार ।
मुई प्यास कैसे भला ,सकती उसको मार ।।
काजल की हो कोठरी ,कालिख से बच जाय ।
हो कोई अपवाद गर ,तो उपाय बतलाय ।।
मिस्टर क्लीन
माता के उपदेश को भूले मिस्टर क्लीन ,
राज हमारा बनेगा ,भ्रष्टाचार विहीन ।।
भ्रष्टाचार विहीन नहीं मैं माँ का बेटा ,
सारे दागी लोग ,अगरचे नहीं लपेटा।
पर "रविकर "आदर्श ,बड़ा वो चले दिखाने ।
दागेइ लगे तोप ,उन्हीं पर कई सयाने .
दोहाकार :रविकर
(अतिथि पोस्ट )
स्विस बैंक में ज़मा खातों के बारे में जून १९८८ के बाद से आदिनांक चुप्पी साधे रखकर खुद ही सोनिया और अब बालिग़ हो चुके पुत्र ने अपने खिलाफ सबूत जुटाया .वो कहतें हैं न मौन का मतलब स्वीकृति ही तो होता है .हालाकि स्विस पत्रिका और भारतीय जन संचार माध्यमों ने भी उन्हें सवालों के सलीब पर टांगें रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ।
लेकिन हमेशा एक चुप सौ को नहीं हराता .सौ संदेहों को पोषित और पल्लवित ज़रूर कर देता है .जब पत्रिका ने कहा ,राजीव को रिश्वत में मिला पैसा सोनिया ने राहुल के नाम से ज़मा करवाए रखा तब दोनों ने न तो कोई प्रति -वाद किया और न पत्रिका पर मान हानि का मुकदमा दायर किया ।
न ही ए जी नूरानी और स्टेट्स -मेन अखबार के खिलाफ अपनी जुबां खोली ,जब उन्होनें ये तमाम आरोप १९९८ में दोहराए ।
सुब्रामनियम स्वामी ने तो तमाम आरोपों को अपनी वेब साईट पर ही परोस दिया था २००२ में और जब इन आरोपों का समर्थन एक्सप्रेस ने किया तब भी कोई कुछ नहीं बोला ।
एक बार फिर नाम चीन अंग्रेजी के रिसाले हिन्दू और टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने राजीव गांधी को रूसी खुफिया संस्था के जी बी द्वारा किये गए भुगतानों के बाबत१९९२ में लिखा .हालाकि रूसी सरकार ने शर्मिंदगी महसूस की.
१९९४ में येव्जेनिया अल्बट्स ने १९९४ में इन्हीं आरोपों को दोहराया ।
अगस्त १५ ,२०० ६ को अपने स्तंभ में राजेन्द्र पुरीसाहब ने भी इस बाबत कलम चलाई .लेकिन साहब होना हवाना क्या था ले देके कुछ फरमा बरदारों ने एक प्रोक्सी सुइट ज़रूर दायर किया .यह तब हुआ जब २००७ में न्यूयोर्क टाइम्स ने अल्बट्स एक्सपोज़ को एक पूरे पृष्ठीय विज्ञापन के रूप में ही छाप दिया .यह विज्ञापन कथित तौर पर सोनिया का असली चेहराअमरीकियों के सामने लाने की नीयत से अनिवासी भारतीयों के सौजन्य से प्रकाशित हुआ था .अमरीकी न्यायालय ने इस सुइट को पहली नजर में ही खारिज कर दिया क्योंकि यह सोनिया जी की तरफ से दायर ही नहीं किया गया था ।
इस सुइट ने भी २.२ अरब डॉलर की रकम राहुल के नाम स्विसबैंक में होने का प्रतिवाद नहीं किया ।
याद कीजिये उस वाकये को जब एक खोजी पत्रकार ने अपनी किताब में मोरारजी भाई देसाई को सी आई ए एजेंट लिख दिया था .मोरार जी आग बबूला हो गए थे .उस वक्त उनकी उम्र ८७ वर्ष थी लेकिन नैतिक बल सदैव जैसा ही था ,उन्होंने किताब के लेखक और पत्रकार सेमूर हर्ष के खिलाफ ५ करोड़ डॉलर का मानहानि का मुकदमा ठोक दिया था ।
जब यह मामला पेशी के लिए आया मोरारजी भाई ९३ बरस के हो गए थे .सात समुन्दर पार की लम्बी थकाऊ यात्रा करने में सर्वथा असमर्थ तब किसिंजर महोदय ने मोराजी भाई की तरफ से पैरवी करते हुए हर्ष की आरोप को गलत बाताते हुए खारिज कर दिया जिसे अकसर यह बान पड़ी हुई थी किसी न किसी को लांछित करते रहना .
मोरारजी भाई की मृत्यु के ५ बरस बाद २००४ में यह खुलासा "दी अमेरिकन स्पेक -टेटर"ने किया कल्पना करो अगर ये सारे आरोप आडवाणी और मोदी के खिलाफ होते तो एन डी टी वी (एंटी इंडिया टी वी )क्या करता ?
और अगर ये आरोप गलत भी होते तो सोनिया गांधी एंड कम्पनी क्या करती ?और एन डी टी वी ?
२०.८० लाख करोड़ रूपये की लूट :भारत को छोड़ कर सभी देश उस रिश्वत और लूट के पैसे को वापस स्वदेश लाना चाहतें .भारत की इसमें कोई रूचि नहीं है (यहाँ भारत का मतलब वर्तमान शासन तंत्र से है जिसने इस मुद्दे पर मौन समाधि ली हुई है )।
२००९ के संसदीय चुनाव प्रचार के दौरान जब आडवाणी ने कहा हम यदि सत्ता में आये ,स्विस बेंक में ज़मातकरीबन ५०० बिलियन डॉलर -१.२ ट्रिलियन डॉलर की रकम भारत वापस लाइ जायेगी ,कोंग्रेस ने इस धन की मौजूदगी को ही नकार दिया .कहा देश का कोई पैसा स्विस बेंक में जमा नहीं है .मम्मी और उनकी पीपनीमनमोहन ने समवेत स्वर में इससे इनकार किया .
लेकिन जब इस मुद्दे ने तूल पकड़ा दोनों ने अपना स्वर बदला और कहा,हम कोशिश करेंगें ये पैसा वापस आये .
ग्लोबल ब्लेक फंड्स के खिलाफ काम करने वाली एक संस्था है "ग्लोबल फिनेंशियल इन्तेग्रिती "यह एक गैर -लाभकारी संस्था है ,बकौल इस संस्था के फिलवक्त स्विस बेंक में भारत का ४६२ अरब डॉलर ज़मा है .रुपयों में इसकी कीमत हो जाती है तकरीबन २०.८० लाख करोड़ .इसका दो तिहाई उदारीकरण के झंडा बारदारों के नाम है .
इस संस्था के अनुसार १९४८ -२००८ तक भारत को कुल २१३ अरब डॉलर की नुकसानी ऐसी इल्लीगल केपिटल फ्लाईट (इल्लिसित फिनेंशियल फ्लोज़ )के मार्फ़त ही उठानी पड़ी है .कर चोरी ,भ्रष्टाचार ,रिश्वत खोरी और किक्बेक्स अन्य अपराधिक लीलाओं का ही यह नतीज़ा है।
यह बतलाने के लिए किसी संत घोषणा,भविष्य कथन की ज़रुरत नहीं है ,कोंग्रेस नरेश के खाते में जमा २.२ अरब डॉलर की रकम अब बढ़के ९-१३ अरब डॉलर हो गई है .
बतला दें आपको इस लूट राशि में २जी और कोमन वेल्थ गेम्स लूट पाट शामिल नहीं है जो इस रकम को भी बौना कर देगी .ऐसे घटाटोप में ये रकम वापस आये तो कैसे .जब रकम पर कुंडली मारे शासन ही विराजमान है ।
(ज़ारी ..).
शनिवार, 18 जून 2011
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9 टिप्पणियां:
वाह सर, कमाल का सटीक आलेख लिखा है आपने,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
Achha likha aapne
विवेक जैन जी ,वेद प्रकाश जी कमाल तो उस बुनकर का है जिसका नाम रविकर है जिसने इन आंकड़ों को दोहों में समेट दिया है बनके "सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर ,देखन में छोटे लगें ,घाव करें गंभीर "
Really a good writeup.
दोहे तो दमदार हैं ही, आलेख भी कई रहस्यों से परदा उठाता है।
वाह क्या एक से एक जानकारी है.
आदरणीय' वीरू भाई' जी सादर नमस्कार!
आपका लिखने का अंदाज़ बेहद निराला है !
बेईमानो के मुहं पर आपने लगाया ताला है !
एक बेहद ज्ञानबर्धक post के लिए
आपका आभार व्यक्त करता हूँ !
वाह क्या एक से एक जानकारी है.
भाई साहेब आपने तो कमाल कर दिया कहीं आप भी तो खोजी पत्रकार नहीं है राम राम जी ...
काजल की हो कोठरी ,कालिख से बच जाय ।
हो कोई अपवाद गर ,तो उपाय बतलाय ।।
सयाने से सयाना भी नहीं बच पाता भाई जी ....................
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