स्विस बेंक में गांधी परिवार के खातों के बारे में क्या कहतें हैंभारतीय जन -संचार माध्यम ,इंडियन -मीडिया ?
राजीव गांधी के दुखद और आकस्मिक अंत पर स्विस और रूसी भंडा फोड़ इन खातों के बाबत थोड़ा आगे खिसक गया .मुलतवी रहा कुछ देर .लेकिन सोनिया गांधी के कोंग्रेस की बागडोर संभालते ही भारतीय जन -संचार माध्यमों की इनमें दिलचस्पी बढ़ गई ।
स्टेट्स -मेन अंग्रेजी रिसाले में इस बाबत ३१ दिसंबर १९८८ को सबसे पहले ए जी नूरानी ने लिखा ।
अप्रेल २९.२००२ :सुब्रामनियम स्वामी जी ने अपनी वेब साईट पर इन खातों के बाबत तमाम सामिग्री ,किताब ,स्विस पत्रिका आदि की फोटो प्रतियां लगा दींजिनमे उस स्विस पत्रिका का ई -मेल (फरवरी २३ ,२००२ )भी शामिल था .पुष्ट हुआ राजीव गांधी का एक गुप्त खाता है जिसमें ढाई अरब स्विस फ्रांक जमा हैं .पत्रिका ने स्वामी को इस पत्रिका की मूल प्रति भी मुहैया करवाने की पेश कर दी ।
अप्रेल २९ ,२००९ को मेंगलोर में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा ,कोंग्रेस स्विस बेंक में जमा अन -टेक्स्द मनी की समस्या पर गंभीरता से विचार कर रही है ।
इसकी अनुक्रिया स्वामी ने "दी न्यू इंडियन एक्सप्रेस (अप्रेल २९ ,२००९ )अंक में अपने आरोपों को फिर दोहराते हुए इस शपथ और निश्चय को ही अपने ख़ास निशाने पर लिया .अपने परिवार के खातों का सच वह कैसे सामने लायेंगी ?वही जानें ?
अगस्त १५ , २००६ को स्तम्भ कार राजेन्द्र पूरी ने भी के जी बी द्वारा सामने लाये गए तथ्यों का खुलासा किया ।
हाल में दिसंबर २७ ,२०१० को "इंडिया टुडे "में राम जेठ मालानी ने अपनी कलम चलाते हुए पूछा -कहाँ हैअब वह स्विस बेंक में जमा पैसा .
दिसंबर ७ ,१९९१ को सी पी आई (एम् )के अमल दत्ता ने संसद में इन खातों के बाबत पूछा ,प्रोसीडिंग्स में से तत्कालीन स्पीकर ने गांधी नाम निकाल दिया ।
(ज़ारी ...).
बुधवार, 15 जून 2011
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5 टिप्पणियां:
तो आपने यह आगाज कर ही दिया -सभी पढ़ा हूँ -कई विचार दिमाग में कौंध रहे हैं !
वीरू भाई ,राम-राम !
सोनिया एंड कम्पनी...के बारे में तो आप को अपने जवाब मिलने ही चाहिए ...और ये काम वो बुद्धिजीवी ही कर सकते हैं ..जो इस कम्पनी के भक्त हैं |
हम तो आप के कहे मुताबिक संत ब्लोगर हैं ..
और संतो का हाल जो हुआ है ...वो किसी से छिपा भी नही ...?
ये मोर्चा खोलने के लिये !
शुभकामनाएँ !
shukriyaa bhaai saahab "khoob kahi "ke liye -
oodhon mohe sant sadaa ati pyaare ,
main santan ke paachhe jaaoon sant na mote nyaare ....
बहुत खूब कही भाई साहब ,शुक्रिया -
ऊधौ मोहे संत सदा अति प्यारे ,
मैं संतनके पाछे जाऊं संत न मोते न्यारे ,
संत मिलें तो मैं मिल जाऊं संत न मोते न्यारे ,
सत की नाव खेवटिया सत गुरु भाव सागर से तारे ,
ऊधौ मोहे संत सदा अति प्यारे ...
अरविन्द भाई आपके चौतरफा प्रोत्साहन के लिए आपका बहुबिध आभारी हूँ .
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