रविवार, 12 जून 2011

री -मिक्स :चप्पल जूता मम्मी जी (डॉ .रूप चंद शास्त्री ,उच्चारण).

हास्य गीत :चप्पल जूता मम्मीजी जी (मूल रचना- कार :डॉ .रूप चंद शाष्त्री मयंक ,उच्चारण )। तन रहता है भारत में ,रहता मन योरप मम्मीजी ,
इसीलिए तो उछल रहें हैं ,जूते चप्पल मम्मी जी
कुर्सी पर बैठाया तुमने ,लेकिन दास बना डाला
भरी तिजोरी मुझको सौंपी ,लेकिन लटकाया ताला
चाबी के गुच्छे को तुमने ,खुद ही कब्जाया मम्मी जी ,
इसीलिए तो उछल रहें हैं , जूते -चप्पल मम्मीजी
छोटी मोटी भूल चूक को ,अनदेखा करती हो ,
बड़ा कलेजा खूब तुम्हारा ,सबका लेखा रखती हो ,
मैं तो चौकी -दार तुम्हारा , हवलदार तुम मम्मीजी ,
इसीलिए तो उछल रहें हैं ,जूते-चप्पल मम्मीजी
जनता के अरमानों को शासन से मिलकर तोड़ा है ,
लोक तंत्र की पीठ है नंगी ,पुलिस हाथ में कोड़ा है
मैं तो हूँ सरदार नाम का ,असरदार तुम मम्मीजी ,
इसीलिए तो उछल रहें हैं ,जूते -चप्पल मम्मीजी
ये कैसा है त्याग कि, कुर्सी अपनी कर डाली ,
ऐसी चाल चली शतरंजी ,मेरी मति भी हर डाली
मैं तो ताबेदार बना ,कुर्सी तुम धारो मम्मीजी ,
इसीलिए तो उछल रहें हैं ,जूते चप्पल मम्मीजी ,

खड़े बिजूके को तुमने क्यों ताज पहनाया मम्मीजी ,
सिर पे कौवे बैठे ,और फिर हडकाया मम्मीजी ,
परदे के पीछे रहकर ,तुम सरकार चलातीं मम्मीजी ,
दिल की बात कही मैंने आगे तुम जानों मम्मीजी
रिमिक्स प्रस्तुति :डॉ नन्द लाल मेहता वागीश .डी .लिट
एवं वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

प्रस्तुति : वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

10 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

मजेदार गीत

Arvind Mishra ने कहा…

वाह रे मम्मी जी -सशक्त रचना !

BrijmohanShrivastava ने कहा…

शर्मा जी । मयंक जी के ब्लाग पर तो नही पढ पाया था लेकिन एक ब्लाग पर आपने आज ही टिप्पणी की उसे पढ कर आपकी सेवा में हाजिर हुआ । उनकी कविता तो पढली फिर मैने आपके लिखे हुये दो आर्टीकल हुसेन साहब पर लिखे और एक एडवाइजरी कमेटी पर लिखा पढा।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

रीमिक्स तो बहुत मजेदार हे।
उछल रहे हैं जूते चप्पल....
वाह, क्या बात है।

Dr Varsha Singh ने कहा…

रीमिक्स में तो आपका जवाब नहीं......

gazalkbahane ने कहा…

परदे के पीछे रहकर ,तुम सरकार चलातीं मम्मीजी ,
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गठ बन्धन के कारण खुद को लाचार बताती मम्मीजी
मनमोहन को सुबहो-शाम बस फटकार लगाती मम्मीजी

बेनामी ने कहा…

Vaah ...kya badhiya rimix geet likha hai.

Bahut khoob!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

वीरू भाई, आपका जवाब नहीं।

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हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

कौने सी चप्पल कौन से जूते
कुछ भी मारो कितने ही
हमने सिर पर बांधी पगड़ी
इज्जत बची न कितनी ही
तूने ही सरदार बनाया
दुर्गति करले कितनी ही
कुर्सी पर बैठाए रख बस
मुंछ उखाड़ले कितनी ही

virendra sharma ने कहा…

क्या देशी मुहावरा मारा है -"मूंछ उखाड़ ले "वैसे हरयाणवी में मूंछ पाड़ ले होता है .
कुर्सी पर बैठाए रख ,
मूंछ पाड़ ले कितनी ही ।
शुक्रिया ज़नाब का .