शनिवार, 4 जून 2011

मल्तिपिल स्केलेरोसिस :पारिभाषिक शब्दावली (ज़ारी .....)

मल्तिपिल स्केलेरोसिस पारिभाषिक शब्दावली :ऍफ़ डी ए ?
ऍफ़ डी ए :संक्षिप्त रूप है फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का .यह एक अमरीका के जन स्वास्थ्य विभाग के तहत काम करने वाली संस्था है जो जन स्वास्थ्य विभाग और मानवीय सेवाओं का भी अंग है मोटे तौर पर इसे अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था भी कह देते हैं ।
अमरीकी द्वारा खर्च प्रत्येक सालाना डॉलर के एक चौथाई का विनियमन यही संस्था करती है दूसरे शब्दों में एक हज़ार अरब या एक ट्रिलियन डॉलर के उत्पादों का
रेग्युलेशन इसी संस्था के हाथों में रहता है ।
दवाओं ,सौन्दर्य प्रशाधनों ,चिकित्सा उपकरणों अन्य मेडिकल दिवाईसिज़ की निरापदता गुणवत्ता और असर -कारिता का विकिरण का स्तेमाल करने वाले उपभोक्ता उपकरणों की निरापदता की जांच यही एजेंसी सुनिश्चित करती है .सबसे बड़ी बात यह कि यह एक दिखाऊ (बिकाऊ )संस्था नहीं है .कठोर परीक्षणों से गुज़रना पड़ता है यहाँ हरेक उत्पाद को ।
फीड एंड ड्रग्स फॉर पेट्स एंड फ़ार्म एनिमल्स की जांच भी इसी के हाथों संपन्न होती है ।
एप्रूवल ऑफ़ न्यू ड्रग्स :
ऍफ़ डी ए नै आने वाली दवाओं को कठोर जांच के बाद ही मंजूरी देती है . चाहें वे नुश्खे से(प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स ) मिलने वाली दवाएं हों या बिना डॉक्टरी पर्ची के सहज सुलभ ओवर दी काउंटर ड्रग्स हों सबके लिए जांच नियम यकसां हैं ।
यूं ऍफ़ डी ए खुद रिसर्च नहीं करती है ,निर्माता कंपनियों द्वारा शोध कार्य की जांच पड़ताल करती है यह संस्था .इसे यह सुनिश्चित करना होता है नै दवा वो तमाम फायदा पहुंचाए जिसके लिए उसे बाज़ार में उतारा जा रहा है ,अवांछित प्रभाव लाभ पर हावी न हो पायें ।
सेफ्टी ऑफ़ फ़ूड प्रो -डक -त्स :
खाद्य सामिग्री की जांच ख़ास तौर पर यह देखने के लिए की जाती है कहीं इसमें एक सुरक्षित सीमा से ऊपर मात्रा में जीव -नाशी (पेस्ट -ई -साइड्स )तो डेरा नहीं डाले हुए हैं .संदूषण पाए जाने पर उसकी दुरुस्ती के लिए कदम उठाए जातें हैं .जीव -नाशी अवशेष सुरक्षित सीमा से यहाँ हो ही नहीं सकते (कोई यूरिया से दूध बनाके तो दिखलाए माई का लाल )।
यहाँ लेबलिंग का भी मानकीकरण किया जाता है .हर उत्पाद के लिए लाजिमी है उपभोक्ता को पूरी जानकारी मुहैया करवाना क्या कुछ वह खाने जा रहा है इस सामिग्री के संग ।
फीड एंड ड्रग्स फॉर पेट्स एंड फ़ार्म एनिमल्स :
ऍफ़ डी ए मेडिकेतिदफीड्स तथा पालतू और फ़ार्म एनिमल्स को दी जाने वाली अन्य दवाओं की भी निगरानी करती है .
सेफ्टी ऑफ़ दी ब्लड सप्लाई :ब्लड बैंक ऑपरेशंस की हरेक चरण पर पड़ताल करती है यह संस्था जिसमें रिकोर्ड रखने ,परीक्षण करने और संदूषणों की पड़ताल .,सभी कुछ शामिल होता है .
सेफ्टी ऑफ़ बाय्लोजिकल्स :लिविंग ओर्गेनिज्म से तैयार मेडिकल नुश्खों की मसलन इंसुलिन तथा टीकों आदि की जांच का काम भी इसी संस्था के जिम्मे है ।
सेफ्टी ऑफ़ मेडिकल दिवाईसिज़ :इनका वर्गीकरण और विनियमन जन स्वास्थ्य को पहुँचने वाली संभावित नुकसानी के आधार पर किया जाता है ।
जीवन रक्षक ,जीवन को बनाये रखने वाली प्रणालियों या फिर प्रत्यारोपित की जाने वाली प्रणालियों यथा पेस मेकर्स को भी पहले इस संस्था से मंजूरी लेनी पड़ती है तभी इन्हें बाज़ार के हवाले किया जा सकता है ।
(ज़ारी ॥)
(ऍफ़ डी ए का बाकी विवरण अगली पोस्ट में पढ़ें )

2 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

पोस्ट जानदार है, हमेशा की तरह,

आज एक शब्द देख कर मजा आ गया वो है,

मिलावट करने वाला "माई का लाल"

माई के लाल तो भारत में एक ढूंढो तो हजार मिलेंगे"

मनोज कुमार ने कहा…

ज्ञानवर्धक पोस्ट।