बुधवार, 1 जून 2011

मल्तिपिल स्केलेरोसइस :पारिभाषिक शब्दावली .

गतपोस्ट से आगे ....
गत पोस्ट में हमने कीमो थिरेपी की चर्चा तो की थी लेकिन इसके पार्श्व प्रभाव को छोड़ दिया था क्योंकि ये अवांछित प्रभाव एक अलग पोस्ट की मांग करतें है :
कीमोथिरेपी के पार्श्व प्रभाव दवा के अलावा दवा की दी गई खुराक पर भी निर्भर करतें हैं .ज्यादातर एंटी -कैंसर दवाएं उन कोशाओं को असर ग्रस्त करतीं हैं जो तेज़ी के साथ विभाजित होती रहतीं हैं .इनमे ब्लड सेल्स भी शामिल होतीं हैं जो एक तरफ संक्रमण से बचातीं हैं तथा दूसरी तरफ खून का थक्का बनाने में मदद करतीं हैं ,शरीर के तमाम अंगों को भी ओक्सीजन भी पहुंचाती रहतीं हैं ।
ऐसे में कैंसर रोधी दवाओं से ब्लड कैंसर के असर ग्रस्त होने पर मरीजों के लिए संक्रमण के खतरे और भी ज्यादा बढ़ जातें हैं .आल्सो पेशेंट्स मे ब्रूस एंड ब्लीड इज़ीली.ऊर्जा हीनता बेदमी दम ख़म की कमी महसूस होती है ।
वह कोशायें जो पाचन ट्रेक्ट का अस्तर तैयार करतीं हैं वह भी तेज़ी से विभाजित होतीं हैं ।इसीलिए -
कीमोथिरेपी के फलस्वरूप मरीजों को लोस ऑफ़ एपेटाईट ,मिचली आना ,बालों का झड़ना जैसे पार्श्व प्रभाव भी घेरे रहतें हैं .मुंह में जख्म भी हो जातें हैं ।
इन पार्श्व प्रभावों से बचाने के लिए भी कुछ मरीजों को दवा भी दी जा सकती है .
ये तमाम पार्श्व प्रभाव स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते करते चुक जातें हैं ,इलाज़ बंद होने पर धीरे -धीरे समाप्त हो जातें हैं ।
हेयर लोस को लेकर बहुत से मरीज़ चिंतित रहतें हैं .कुछ दवाएं जहां सिर्फ बाल को पतला करती जातीं हैं वहीँ कुछ और दवाएं सारे शरीर से ही इनका सफाया कर देतीं हैं .यदि इलाज़ से पहले इस पर विचार कर लिया जाए तब इसके साथ तालमेल बेहतर तरीके से बिठाया जा सकता है ।
कुछ औरत मर्दों में कीमोथिरेपी से ऐसे बदलाव पैदा हो जातें हैं जो बांझपन की ओर ले जासकतें हैं .यह लोस ऑफ़ फर्टिलिटी प्रजनन क्षमता ह्रास स्थाई भी हो सकता है अस्थाई भी यह सब दवा कौन सी स्तेमाल की गई है मरीज़ की उम्र क्या रही है जैसी अनेक बातों पर निर्भर करता है ।
मर्द चाहें तो इलाज़ से पहले स्पर्म बेंकिंग का सहारा ले सकतें हैं .अपने स्पर्म संरक्षित रखवा सकतें हैं इलाज़ से पहले ही ।

महिलाओं में माहवारी बंद होने के अलावा ,योनी का सूख जाना भी देखा जाता है .हॉट फ्लेशिज़ भी जिसमे एक दम से बेहद की गर्मी शरीर में दौड़ती है चेहरा और चमड़ी लाल होजातीं हैं .
युवा महिलाओं में माहवारी दोबारा शुरू होने की संभावना रहती है ।
कुछ मरिजोंमे अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बोन मेरो ट्रांस -प्लान्टेशन )का सहारा तथा पेरिफर्ल स्टेम सेल सपोर्ट ब्लड सेल प्रोडक्शन को दोबारा शुरू करवाने के लिए लिया जा सकता है .क्योंकि कीमोथिरेपी तथा रेडियेशन थिरेपी इस प्रक्रिया को ही नष्ट कर सकती है .
बात ज्यादा गंभीर हो गई इसलिए अब आखिर में एक शैर पढ़ा जाए -
मकतबे इश्क का दस्तूर निराला देखा ,
उसको छुट्टी न मिली जिसने सबक याद किया ।
मकतबे इश्क माने -इश्क का मदरसा (स्कूल ऑफ़ लव ).

3 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

नमस्कार जी, आप का हर एक लेख एक धरोहर के समान है,

virendra sharma ने कहा…

शुक्रिया भाई साहब !

G.N.SHAW ने कहा…

बहुत ही ज्ञानाबर्धक पोस्ट !