बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

सुपरस्ट्रोम सैंडी (हरिकेन सैंडी ):दूसरी क़िस्त


सुपरस्ट्रोम सैंडी (हरिकेन सैंडी ):दूसरी क़िस्त

अमरिकी अन्तरिक्ष संस्था "नासा "ने सुपरस्टॉर्म सैंडी (हरिकेन सैंडी )की विनाश लीला के दायरे का जायज़ा अपने उपग्रह एकुवा (Satellite aqua) के 

द्वारा लिया है .पता चला है यह अठारह लाख वर्ग मील का 

इलाका तय करता हुआ  मध्य अन्धमहासागर  से शुरू हो  कर ओहायो घाटी होता हुआ कनाडा और न्यू इंग्लैण्ड तक पहुँचा है . यह उपग्रह एक 

स्पेक्ट्रोरेडिओमीटर से लैस था 

(Moderate Imaging spectro -radiometer ,MODIS).

इसका पृथ्वी पर अवतरण बोले तो तांडव चित्र मुहैया करवाने के घंटों बाद हुआ .


Sandy Was Still a Hurricane After Landfall


अक्तूबर 29 ,2012 इस्टरन डे- लाईट टाइम 11 पी एम(11PM,EDT) 

इस वक्त इसका केंद्र पेंसिलवानिया राज्य के फिलाडेल्फिया से 15 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम ,(39.8 नार्थ ,75.4 वेस्ट )था .अभी तक इसे हरिकेन का 

ही दर्ज़ा हासिल था क्योंकि हवाओं की चाल अभी तक 75 मील प्रति घंटा के आसपास कायम थी .(74 मील प्रति घंटा से ऊपर चाल का मतलब होता है 

चक्रवात हरिकेन हैं ).

इसकी न्यूनतम केन्द्रिय दाब बढ़कर 952 मिलिबार हो गई थी (मिलिबार वायुमंडलीय  प्रेशर/दाब  मापन के लिए प्रयुक्त होता है एक बार का हजारवां 

अंश है 

यह  ,जबकि एक बार =10,0000न्यूटन /वर्ग मीटर,बोले तो सामान्य वायुमंडलीय दाब को कहा जाता है  ).

इस वक्त यह उत्तर दिशा में 30 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से बढ़ रहा था .

इसका असर बल प्रसार (HURRICANE- FORCE- WIND)सेंटर आफ सर्कुलेशन से 150 किलोमीटर पूरब दिशा में था .

TROPICAL STORM FORCE WINDS HOWEVER WENT MUCH FURTHER AS FAR AS 780 KILOMETRE .

नासा के  भू -समस्थानिक  मौसम उपग्रह (जिओ-स्टेशनरी -वेदर

सेटेलाईट,GEOSTAIONARY WEATHER SATELLITE  )ने इसके जन्म से पृथ्वी 

पर अवतरण तक इसका पूरा ब्योरा मुहैया  करवाया है .


कैसे पैदा होते हैं चक्रवात ?

भूमध्य रेखा के नजदीकी अपेक्षाकृत गुनगुने समुन्दर (26 सेल्सियस या अधिक ) चक्रवातों के 

उद्गम स्थल समझे जाते हैं .इन समुन्दरों के ऊपर की हवा 

सूर्य  से ऊष्मा ले गर्म होते हुए तेज़ी से ऊपर उठती है (ऊर्ध्व गति करती है ).अपने पीछे यह एक 

कम दवाब का क्षेत्र (लो प्रेशर रीजन )छोड़ जाती है  .ऊपर 

उठने के क्रम  में यह वायु से नमी लेती चलती है .हवा में तैरते धूल कणों पे जमते जमते 

,संघनित होने के क्रम में  गर्जन मेघ (Thunder clouds)बन 

जाते 

हैं  .

जब यह गर्जन तर्जन मेघ अपना वजन नहीं संभाल  पाता मुक्त रूप से गिरने लगता है 

(भारतीय नेताओं के चरित्र सा )यही गिरता हुआ बादल बरसात 

(नेताओं के सन्दर्भ में भ्रष्टाचार )कहलाता है.

चक्रवात बनने की कहानी की और लौटें : 

गर्जन मेघ बन जाते हैं से आगे चलिए -

कम दवाब का जो क्षेत्र बनता है जो एक शून्य उपजता है ,खालीपन पैदा होता है हवा के ऊपर उठ 

जाने से उसे भरने उसकी आपूर्ति के लिए ठंडी वायु राशि 

तेजीसे दौड़ी आना चाहती तो है लेकिन पृथ्वी का नर्तन ,धुरी पर लट्टू की मानिंद घूमना हवा को 

 पहले अपने ही अन्दर की ओर मोड़ देता है  और  फिर  

हवा  तेजी से  खुद 

नर्तन ,आघूरण (

घूर्णन )करती ऊपर की ओर  दौड़ती है वेगवान होकर .एक और घटना घटती है वायु की विशाल 

राशि घूर्णन (नर्तन करती बेले डांसर सी )एक बड़ा घेरा 

बनाने लगती है जिसकी परिधि का विस्तार 2000 किलोमीटर या और भी ज्यादा हो सकता है .

गौर तलब है भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की घूर्णन चाल (नर्तन वेग ,स्पीड ऑफ़ रोटेशन )1038 मील 

प्रति घंटा होती है .हालाकि ध्रुवों पर यह नर्तन शून्य रहता है तकरीबन . पृथ्वी अपनी जगह खड़ी 

रहती तब और बात होती .


गौर कीजिए इस गोल गोल घूमते  बवंडर का केंद्र शांत होता है ,अजी साहब यहाँ कोई बादल 

फादल भी नहीं होता .इसे ही चक्रवात की आँख ,

आई ऑफ़ दी स्टॉर्म कहा जाता है यहाँ कोई बादल ही नहीं तो बिन बादल बरसात कैसी .ज़ाहिर है 

इस हिस्से में कोई बरसात नहीं गिरती है .हवाएं भी शांत 

होती हैं कोई आंधी तूफ़ान का भय भी  पैदा नहीं करतीं हैं .



पैदा होते ही यह चक्रवात  अपने इस उद्गम स्थल से निकल भाग खड़ा  होता है .नम और 

अपेक्षाकृत गुनगुनी वायु -राशि इसे बनाए रखती है .

उत्तुंग गर्जन मेघों से अधिकतम बरसात गिरती है .यहाँ हवाएं भी अधिकतम आवेग लिए होतीं

 हैं वेगवान झंझा होती है यह .

चक्रवात की आंख के गिर्द एक 20-30 किलोमीटर की गर्जन मेघ दीवार ही खड़ी हो जाती है और 

इस 

."चक्रवाती 

आँख "के गिर्द मदमाती हवाओं का  वेग 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकता है .

क्या आप सोच सकतें हैं एक पूर्ण यौवन को प्राप्त चक्रवात एक सेकिंड में बीस लाख टन वायु 

राशि उलीचने लगता है .

ऐसे घटाटोप में एक दिन में इतनी बरसात गिर जाती है जितनी लन्दन जैसे एक महानगर पर 

एक बरस में गिरती है .




Super Storm Sandy

 पृथ्वी के ऊपर जल है .जल के ऊपर अग्नि और अग्नि के ऊपर वायु .वायु के ऊपर आकाश है 

.जब जल और वायु विक्षुब्ध होतें हैं तो ज्यादा घातक हो जाते हैं दोनों के परस्पर संघर्षं से 

चिंगारियां निकलतीं हैं जो 

अग्नि का ही रूप हैं .आकाश में लटका बादल जल का ही रूप है .पृथ्वी जिस समुन्दर को धारे हुए 

है वह खुद एक ताप इंजन की तरह काम करने लगता है .ऊर्जा अंतरित करता रहता है समुन्दर 

वायुमंडल में .आखिर सूरज सबको देता है ,समुन्दर को छप्पर फाड़ के देता है जिसमें  जल की 

अपार राशि है.जल में  ऊष्मा समोए रखने का अपार गुण है .सबसे ज्यादा है उसकी ऊष्मा 

धारिता .सबसे ज्यादा होती है जल की विशिष्ट ऊष्मा .समुन्दर से ऊर्जा ग्रहण कर हवा ऊपर 

उठती है बहुत ऊपर उठकर गोल गोल घुमने लगती 
है बवंडर सी ,एक विद्युत् धारण करती है इस नर्तन से .इसी विद्युत् के साथ में  चला आता है 

एक चुम्बकीय क्षेत्र 

जो तूफ़ान लिए आता 
                                                                                                                                     
है .        

शरीर के भीतर भी जल है ,वायु  है आकाश है ,अग्नि है ,.शरीर के भीतर यदि ये पञ्च  तत्व 

विक्षुब्ध हो 

जाएं तो पागलपन की स्थिति आ जाती है .

और यदि प्रकृति में यही तत्व विक्षुब्ध हो जाएं तो आंधी और तूफ़ान ,झंझावात की स्थिति आती 

है ,जो कभी चक्रवात कहातें हैं उष्ण कटिबंधी और कभी  हरीकेन (हुरिकैन ),कभी टाइफून और 

कभी 

सुनामी .



ये निश्चित और तात्विक नाम नहीं हैं .स्थानीय हैं .अलग अलग देशान्तरों पर अलग अलग नाम 

रूप ले लेतें हैं .इनका नामकरण भी ऐसे किया जाता है जो अधिक भय पैदा न करे .

साइक्लोन ,हुरीकेन और टाइफून तात्विक रूपसे एक ही हैं नामकरण  तय होता है स्थानीयता से 

,कहाँ पैदा हुए दिखे ये चक्रवात बोले तो बवंडर हवा के बगूले .कितने देशांतर पर .कौन  से  

समुन्दर के गिर्द .

सुनामी आती है समुन्दर के बहुत नीचे subduction earthquake से दो प्लेटों 

 के परस्पर एक दूसरे  पर आरोहण  से .महाद्वीपों  को कमर पे लादे फिरतीं  हैं प्लेटें .इन्हीं के 

संघर्षण से भूकम्प आतें हैं .(Theory of plate tectonics).

A cyclone is both the name for the whirling, organised storms we call a hurricane 

or tyfoon  as well as the name for storms in the Indian ocean.

तकनीकी तौर पर सभी हुरिकैन यद्यपि साइक्लोन ही होतें हैं लेकिन सभी साइक्लोन (चक्रवात 

,बवंडर )हुरिकैन नहीं होते .अंतर वायु के प्रचंड वेग से पैदा होता है .

केवल वही  चक्रवात हुरिकैन (हरिकेन )कहाते हैं जिनकी विंड स्पीड कमसे कम 74 मील प्रति 

घंटा या और भी ज्यादा रहती है .

Cyclones, hurricanes and typhoons are all essentially the same thing, they simply receive different names depending on where they occur. == == == -- Hurricane: a violent wind which has a circular movement, especially found in the West Atlantic Ocean. A hurricane is actually a violent storm formed with water which causes heavy rains and fierce winds and they can cause flooding of streets and homes. -- Cyclone: a violent tropical storm or wind in which the air moves very fast in a circular direction. They can be formed over tropical waters, bar the Southeast Pacific and the South Atlantic Oceans. Technically, all hurricanes are cyclones but not all cyclones are hurricanes: if their wind speed is over 74 miles per hour, they're hurricanes, if not, they're just cyclones or tropical storms. 


Satellite view over a hurricane
Satellite view over a hurricane, with the eye at the center

उष्ण कटिबंधी  क्षेत्र इनके उद्गम स्थल हैं ,मसलन ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी भाग ,दक्षिण पूर्व एशिया और अन्यान्य प्रशांतीय उपद्वीप (Pacific Islands).

बेशक कई मर्तबा ये समशीतोष्ण क्षेत्रों जहां मौसम न बहुत गरम न बहुत ठंडा रहता है ,का रुख कर लेते हैं .यहाँ यह दक्षिण के आबादी बहुल क्षेत्रों के लिए 

खतरा पैदा कर देते हैं .उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में हर बरस ग्रीष्म के आद्र मौसम में चार से पांच चक्रवात आतें हैं .

गनीमत यही है चक्रवात बनने के लिए समुन्दर की सतह के जल का तापमान कमसे कम 26 सेल्सियस होना लाज़मी माना गया है .वरना कहर पे कहर 

बरपा होता रहे .




सुपरस्ट्रोम सैंडी (हरिकेन सैंडी ):दूसरी क़िस्त

सुपरस्ट्रोम सैंडी (हरिकेन सैंडी ):दूसरी क़िस्त

अमरिकी अन्तरिक्ष संस्था "नासा "ने सुपरस्टॉर्म सैंडी (हरिकेन सैंडी )की विनाश लीला के दायरे का जायज़ा अपने उपग्रह एकुवा (Satellite aqua) के 

द्वारा लिया है .पता चला है यह अठारह लाख वर्ग मील का 

इलाका तय करता हुआ  मध्य अन्धमहासागर  से शुरू हो  कर ओहायो घाटी होता हुआ कनाडा और न्यू इंग्लैण्ड तक पहुँचा है . यह उपग्रह एक 

स्पेक्ट्रोरेडिओमीटर से लैस था 

(Moderate Imaging spectro -radiometer ,MODIS).

इसका पृथ्वी पर अवतरण बोले तो तांडव चित्र मुहैया करवाने के घंटों बाद हुआ .


Sandy Was Still a Hurricane After Landfall


अक्तूबर 29 ,2012 इस्टरन डे- लाईट टाइम 11 पी एम(11PM,EDT) 

इस वक्त इसका केंद्र पेंसिलवानिया राज्य के फिलाडेल्फिया से 15 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम ,(39.8 नार्थ ,75.4 वेस्ट )था .अभी तक इसे हरिकेन का 

ही दर्ज़ा हासिल था क्योंकि हवाओं की चाल अभी तक 75 मील प्रति घंटा के आसपास कायम थी .(74 मील प्रति घंटा से ऊपर चाल का मतलब होता है 

चक्रवात हरिकेन हैं ).

इसकी न्यूनतम केन्द्रिय दाब बढ़कर 952 मिलिबार हो गई थी (मिलिबार वायुमंडलीय  प्रेशर/दाब  मापन के लिए प्रयुक्त होता है एक बार का हजारवां 

अंश है 

यह  ,जबकि एक बार =10,0000न्यूटन /वर्ग मीटर,बोले तो सामान्य वायुमंडलीय दाब को कहा जाता है  ).

इस वक्त यह उत्तर दिशा में 30 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से बढ़ रहा था .

इसका असर बल प्रसार (HURRICANE- FORCE- WIND)सेंटर आफ सर्कुलेशन से 150 किलोमीटर पूरब दिशा में था .

TROPICAL STORM FORCE WINDS HOWEVER WENT MUCH FURTHER AS FAR AS 780 KILOMETRE .

नासा के  भू -समस्थानिक  मौसम उपग्रह (जिओ-स्टेशनरी -वेदर सेटेलाईट,GEOSTAIONARY WEATHER SATELLITE  )ने इसके जन्म से पृथ्वी 

पर अवतरण तक इसका पूरा ब्योरा मुहैया  करवाया है .

(ज़ारी )

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

Super Storm Sandy

Super Storm Sandy

 पृथ्वी के ऊपर जल है .जल के ऊपर अग्नि और अग्नि के ऊपर वायु .वायु के ऊपर आकाश है 

.जब जल और वायु विक्षुब्ध होतें हैं तो ज्यादा घातक हो जाते हैं दोनों के परस्पर संघर्षं से 

चिंगारियां निकलतीं हैं जो 

अग्नि का ही रूप हैं .आकाश में लटका बादल जल का ही रूप है .पृथ्वी जिस समुन्दर को धारे हुए 

है वह खुद एक ताप इंजन की तरह काम करने लगता है .ऊर्जा अंतरित करता रहता है समुन्दर 

वायुमंडल में .आखिर सूरज सबको देता है ,समुन्दर को छप्पर फाड़ के देता है जिसमें  जल की 

अपार राशि है.जल में  ऊष्मा समोए रखने का अपार गुण है .सबसे ज्यादा है उसकी ऊष्मा 

धारिता .सबसे ज्यादा होती है जल की विशिष्ट ऊष्मा .समुन्दर से ऊर्जा ग्रहण कर हवा ऊपर 

उठती है बहुत ऊपर उठकर गोल गोल घुमने लगती 
है बवंडर सी ,एक विद्युत् धारण करती है इस नर्तन से .इसी विद्युत् के साथ में  चला आता है 

एक चुम्बकीय क्षेत्र 

जो तूफ़ान लिए आता 
                                                                                                                                     
है .        

शरीर के भीतर भी जल है ,वायु  है आकाश है ,अग्नि है ,.शरीर के भीतर यदि ये पञ्च  तत्व 

विक्षुब्ध हो 

जाएं तो पागलपन की स्थिति आ जाती है .

और यदि प्रकृति में यही तत्व विक्षुब्ध हो जाएं तो आंधी और तूफ़ान ,झंझावात की स्थिति आती 

है ,जो कभी चक्रवात कहातें हैं उष्ण कटिबंधी और कभी  हरीकेन (हुरिकैन ),कभी टाइफून और 

कभी 

सुनामी .



ये निश्चित और तात्विक नाम नहीं हैं .स्थानीय हैं .अलग अलग देशान्तरों पर अलग अलग नाम 

रूप ले लेतें हैं .इनका नामकरण भी ऐसे किया जाता है जो अधिक भय पैदा न करे .

साइक्लोन ,हुरीकेन और टाइफून तात्विक रूपसे एक ही हैं नामकरण  तय होता है स्थानीयता से 

,कहाँ पैदा हुए दिखे ये चक्रवात बोले तो बवंडर हवा के बगूले .कितने देशांतर पर .कौन  से  

समुन्दर के गिर्द .

सुनामी आती है समुन्दर के बहुत नीचे subduction earthquake से दो प्लेटों 

 के परस्पर एक दूसरे  पर आरोहण  से .महाद्वीपों  को कमर पे लादे फिरतीं  हैं प्लेटें .इन्हीं के 

संघर्षण से भूकम्प आतें हैं .(Theory of plate tectonics).

A cyclone is both the name for the whirling, organised storms we call a hurricane 

or tyfoon  as well as the name for storms in the Indian ocean.

तकनीकी तौर पर सभी हुरिकैन यद्यपि साइक्लोन ही होतें हैं लेकिन सभी साइक्लोन (चक्रवात 

,बवंडर )हुरिकैन नहीं होते .अंतर वायु के प्रचंड वेग से पैदा होता है .

केवल वही  चक्रवात हुरिकैन (हरिकेन )कहाते हैं जिनकी विंड स्पीड कमसे कम 74 मील प्रति 

घंटा या और भी ज्यादा रहती है .

Cyclones, hurricanes and typhoons are all essentially the same thing, they simply receive different names depending on where they occur. == == == -- Hurricane: a violent wind which has a circular movement, especially found in the West Atlantic Ocean. A hurricane is actually a violent storm formed with water which causes heavy rains and fierce winds and they can cause flooding of streets and homes. -- Cyclone: a violent tropical storm or wind in which the air moves very fast in a circular direction. They can be formed over tropical waters, bar the Southeast Pacific and the South Atlantic Oceans. Technically, all hurricanes are cyclones but not all cyclones are hurricanes: if their wind speed is over 74 miles per hour, they're hurricanes, if not, they're just cyclones or tropical storms. 

(ज़ारी )  

गेस्ट पोस्ट ,गजल :दोनों ही पक्ष आएं हैं तैयारियों के साथ

गेस्ट पोस्ट ,गजल :दोनों ही पक्ष आएं हैं तैयारियों के साथ ,हम गर्दनों के साथ हैं ,वो आरियों के 

साथ .

 (नामचीन गजलकार  कुंवर बे -चैन साहब की यह गजल हमें डॉ .वागीश मेहता जी ,गुडगाँव ने 

मुहैया करवाई है .यह गजल वागीश जी की डायरी में खुद 

कुंवर बे -चैन साहब  के हाथों लिखी गई थी )

वागीश उवाच 

जीवन में और जगत में ,राजनीति में और समाज व्यवहार में हमें बहुत कुछ संगत लगता है 

उसके पीछे की विसंगति को भी जान लेना चाहिए .इबारत को 

पढने से पहले ,शीर्षक को पढ़िए ,अपवाद ये भी हो सकता है कि शीर्षक अपनी इबारत के 

प्रतिकूल हो ,ऐसी स्थिति में ,सिर्फ इबारत को ही पढ़ें ,उसे ही 

प्राथमिकता दें .

अब विसंगत बातें होतीं हैं कई तो संगत  बात ही पढ़ें .लीजिए पेश है गजल भी :

                          (1 ) 

       दोनों ही पक्ष आएं हैं तैयारियों के साथ ,

       हम गर्दनों के साथ हैं ,वो आरियों के साथ .

                         (2)

       बोया न कुछ भी और ,फसल ढूंढते हैं लोग ,

       कैसा मजाक चल रहा है ,क्यारियों के साथ .

                         (3)

        तुम ही कहो कि किस तरह ,उसको चुराऊँ मैं ,

       पानी की एक बूँद है ,चिंगारियों के साथ .

                         (4)

         कुछ रोज़ से मैं देख रहा हूँ कि हर सुबह ,

          उठती है एक कराह भी ,किलकारियों के साथ .

                         (5)

         सेहत हमारी ठीक रहे भी तो किस तरह ,

         आतें हैं खुद हकीम ही बीमारियों के साथ .


          प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेन्द्र  शर्मा )

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

Your memory is like a game of telephone




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Your memory is like a game of telephone.
September 20th, 2012
05:01 PM ET

हमारी याददाश्त टेलीफोन के उस खेल की तरह जिसमें बहुत सारे बच्चे शिरकत करते हैं ,पहला बच्चा दूसरे के कान में कुछ फुसफुसाता है दूसरा तीसरे के तीसरा चौथे के वही बात फुसफुसाता है लेकिन आखिर वाले बच्चे तक आते आते बात ही बदल जाती है ,आखिर वाला बच्चा कुछ और ही ग्रहण कर लेता है .


जर्नल न्यूरोसाइंस में हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है ,इसमें इस 

बात का जायज़ा लिया गया है ,हम किस प्रकार मेमोरी में संचित सूचना की 

पुनर प्राप्ति करतें हैं अर्जित याददाश्त के सहारे . 


याद रखना याद करना और याद किए को पुनर प्राप्त करना याददाश्त को 

दीर्घावधि तक बनाए रखने में एहम भूमिका निभाता है .इसीलिए तो सालों 

साल हम क्लास में दाखिल होने से पहले एक शिक्षक के रूप में अपने पाठ 

को दोहराते हैं ,अपनी स्मृति में लातें हैं .छूटे हुए अंशों को फिर फिर पढतें हैं .


शोध कर्ताओं ने पता लगाया है जितनी भी मर्तबा आप संचित सूचना को 

स्मृति में लातें हैं ,उसका कुछ मूल अंश छूट जाता ,कुछ नया भी उसमें जुड़ 

जाता है .

शोध के अगुवा कहतें हैं याददाश्त का मामला किसी पूर्व में देखे हुए चित्र की 

तरह सीधा नहीं है .अक्सर विस्तार में जाते वक्त हम घाल मेल कर जातें हैं 

.कुछ बातें छूट ही जाती हैं .कुछ नै बिला वजह जुड़ जाती हैं .


संभावना प्रबल रहती है  हम  सूचना के इस  फ़ालतू अंश को भी उतना ही 

याद रखतें 


हैं जितना शुद्ध अंश को ,सही सूचना को .लब्बोलुआब यह है जितना ज्यादा 


हम संचित अंश को याददाश्त में लातें हैं उतना ही उसमें मिलावट (विक्षोभ 


,विचलन ) बढ़ती   जाती  है .सूचना का विरूपण है यह .


अध्ययन में माहिरों ने 12 प्रतियोगियीं की लगातार तीन दिनों तक याददाश्त   

परीक्षण - जांच की .पहले दिन इन्हें एक कंप्यूटर ग्रिड पर 180 चीज़ों को दी 

हुई निर्धारित जगह पर जचाने के लिए कहा  गया।थोड़ा हटके थी चीज़ों की 

परस्पर स्थिति .दूसरे   दिन भी  इन्हें चीज़ों को बतलाई हुई जगह पर ही 

व्यवस्थिति करने को कहा गया .24 घटे बाद यही परीक्षण फिर दोहरवाया 

गया .

चीज़ों की वास्तविक पारस्परिक दूरी से रखी गई चीज़ों का अंतर मापा गया 

,पता चला तीसरे दिन इन्हें इनकी वास्तविक दूरी से बहुत निकट  निकट रखा 

गया परस्पर .


याददाश्त से जुड़ा यह नायाब प्रयोग था ,प्रतियोगियों को इल्म ही नहीं था 


पहले दिन चीज़ें कितनी दूरी पर एक दूसरे  के सापेक्ष रखी  गईं  थीं .

यादाश्त से स्मृति में लाई गईं दूरियां इन वास्तविक दूरियों से भिन्न थीं .


होता क्या है आखिर हमारी याददाश्त के साथ ?

कंप्यूटर में विशिष्ट जानकारी तक प्रतियोगी पहुँच ही नहीं पाए थे .हम भी 

संचित सूचना के पास ठीक से पहुँच नहीं पाते हैं ,स्मृति में वस्तु स्थिति को 

ला ही नहीं पाते हैं .

लगता है हमारा दिमाग एक चीज़ों से बेतहाशा लबालब भरी किसी  स्कूल की 

 आलमारी की 

तरह हैं जिसमें किताबें ,पन्नों को समेटें रखने वाले  कठोर  कवर्स (बाइनडर्स 

),इधर 

उधर की और चीज़ें रखीं हैं .जितनी बार आप आलमारी खोलेतें हैं कुछ  चीज़ें

 टपक जातीं हैं . आप उन्हें संजो के यथा स्थान रखने की कोशिश करतें हैं 

.आलमारी बंद कर देतें हैं .फिर एक दिन आप आलमारी खोलतें हैं देखतें हैं 

आपकी चाबियाँ ही गायब हैं कुछ बिलकुल नए पेन आलमारी में दिखलाई 

देते  हैं .



दिमाग उन चीज़ों को पहले देखता है जहां पहुंचना उसके लिए सबसे आसान 

है .बस ऐसा ही कुछ याददाश्त में चीज़ों को लाते वक्त होता होगा .कुछ नै ही 

चीज़ें आ जातीं हैं स्मृति में .


अध्ययन के नतीजे संशय और भय दोनों ही पैदा करतें हैं .

क्या याददाश्त टेलीफोन गेम के उस खेल की तरह हैं जिसमें असल सूचना 




वही  है जो खेल में शामिल आखिरी बच्चे तक पहुंची थी . आखिर असलियत 

के कितना करीब या उससे दूर होती है याददाश्त ?

आप याददाश्त के काम करने के तरीके पे सवाल दागते हुए ही रह जातें हैं .


शोधकर्ता चुटकी लेते हुए कहतें हैं -सूचना को पुख्ता करने का एक ही तरीका 

है -

याददाश्त को बढ़ाने के लिए अपनी आँखें मींचे रहिये .

Your memory is like a game of telephone




Remember the game "telephone"? Someone starts by saying a sentence to the person next to them. That person then turns to someone else and repeats what they heard. Somehow, by the time the sentence gets to the last person in line, it's all mixed up and barely resembles the original.
Apparently our memories operate in the same way.
A study published recently in the Journal of Neuroscience looks at how we retrieve memories. It's a well-known phenomenon that retrieval is good for memory - the more you remember something, the longer you'll remember it for.
The catch, researchers have discovered, is that each time you retrieve a memory you forget or add small things to it, and the next time you recall the information, you'll remember what you remembered.
"Our memories aren’t like a photograph," says lead study author Donna Bridge. "We mix up details, we forget things. We’re likely to remember this incorrect information just as much as we are the correct (memory)."

In other words, the more you recall an event, the more distorted your memory of that event may be.
Bridge, a postdoctoral fellow at Northwestern University's Feinberg School of Medicine, asked 12 participants to take a memory test on three subsequent days. The first day, study participants repeatedly placed 180 objects in an assigned location - different for each one - on a computer screen grid. The second day they were asked to place those objects in the same positions. Twenty-four hours later, they did it again.
Bridge measured the distance between where participants placed the object and the correct assigned location. She found that by the third day, participants were placing the object much closer to where they placed the object on the second day than where it was supposed to go.
"This act of remembering ... is an experience in itself," Bridge says. "You might not even be able to distinguish between the original memory and the subsequent event of remembering it."
The researchers have a couple of theories as to what exactly is happening.
One is that it's an access problem. Your brain could be like a really full closet - each time you remember something, your brain creates a new item similar to the first and stores it up front. When you go to grab that memory again, you grab the one that's easiest to access.
The other theory is that your brain has a storage problem. Imagine a school locker full of books, binders and miscellaneous junk. Every time you open that locker to grab the memory something falls out, or your brain throws in whatever you happen to have in your hands. Next time you open the locker your keys are missing and a new set of pens has magically appeared.
In a way, the results of the study are kind of creepy. If every memory you have is like the last sentence in a game of telephone, how close is it to what actually happened?
"It makes you question everything about how the system works," Bridge says with a laugh.

स्ट्रोक से बचाव क्या भूमिका हो सकती है टमाटर की ?


स्ट्रोक से बचाव 

क्या भूमिका हो सकती है टमाटर की ?

 जर्नल न्यूरोलोजी में इसी माह प्रकाशित एक आलेख के अनुसार सलाद में तथा पास्ता (स्पैगेटी 

)  आदि नाश्ते के संग टमाटर से तैयार चटनी का सेवन मस्तिष्क 

आघात (ब्रेन अटेक )के खतरे के वजन को कम रख सकता 

है .शोधकर्ताओं के अनुसार टमाटर में एक ऐसा प्रतिआक्सीकारक पदार्थ एंटीओक्सिडेंट मौजूद है 

जो दिमागी सेहत के लिए अच्छा है .कच्चे टमाटर के 

बरक्स पकाके खाने से यह लाभ ज्यादा मिलता है दिमागी सेहत 

को .

यह अध्ययन अब तक हासिल किये जा चुके उन साक्ष्यों का वजन बढाता है जिनसे पुष्ट हुआ था 

कि खुराक में फल और तरकारियों का बहुलता में  

शामिल रहना स्ट्रोक के खतरे को कम करता है .इस शोध के अगुवा 

रिसर्चर कहतें हैं यह सारा कमाल उस रंजक लाइकोपीन का है जो टमाटर को उसकी टमाटरी 

रंगत देता है .


Tomatoes are particularly rich in the powerful antioxidant that acts like a sponge 

soaking up rogue molecules , called free 

radicals that if left unchecked damage cells .


1991 में आरम्भ हुए इस अध्ययन के तहत रिसर्चरों ने फिनलैंड निवासी 1000 पुरुषों को 

शामिल किया इनकी उम्र 46-65 साल थी .औसतन .दस सालों 

से भी ज्यादा अवधि तक इन सभी पे यह जानने  के लिए नजर रखी  गई ,इनमें  से कितने 

स्ट्रोक की चपेट में आते हैं .

पता चला इनमें से जिनके खून में लाईकोपीन   का स्तर अधिकतम था उनमे स्ट्रोक की 

संभावना 55%घट गई थी बरक्स उनके जिनमें  इस एंटीओक्सिडेंट का स्तर न्यूनतम था .

चेतावनी /सावधानता 

माहिरों के अनुसार भले अध्ययन  उम्मीद बंधाता है स्ट्रोक से बचाव की लेकिन इसका सारा श्रेय 

सिर्फ लाइकोपीन को ही नहीं दिया जा सकता . बेशक इस 

अध्ययन के आंकड़े पूर्व अधययन के साथ बेहतर ताल मेल रखतें हैं लेकिन इससे यह निष्कर्ष 

नहीं निकला जाना चाहिए की सिर्फ टमाटर खाने से स्ट्रोक के खतरे का वजन कम हो जाता है .

जिस समूह के लोग स्ट्रोक की कम चपेट में आये वे अपेक्षाकृत कम उम्र के थे ,इनमें  ब्लडप्रेशर 

भी कमतर दर्ज़ हुआ था तथा सिगरेट नोशी की आदत भी कमतर थी .

हालाकि रिसर्चरों ने निष्कर्ष निकालने से पहले इन तमाम जीवन शैली रुझानों को भी मद्दे नजर 

रखा था लेकिन हो सकता है आखिरी नतीजे इन जीवन 

शैली रुझानों से ही असरग्रस्त हुए हों . 

दूसरे   शब्दों में बेहतर जीवन शैली न की सिर्फ लाइकोपीन इन नतीजों के मूल में रही होगी।

लाइकोपीन में अधिक दिलचस्पी की वजह से इनकार करना मुश्किल है .लाइकोपीन युक्त फल 

और तरकारियों के सेवन से कोशाएं चर्बी चढ़ने जमने की 

वजह से विनष्ट होने से बच  जाती हैं क्योंकि यह प्रति  -आक्सीकारक कोशाओं पर धावा बोलने

 वाले फ्री रेडिकल्स का ही सफाया कर देता है .इसीलिए एंटी -

ओक्सिडेंट हमेशा खबरों में रहतें हैं .

यकीन किया जा सकता है यदि अवरुद्ध होने वाली ब्लड वेसिल दिमाग में हो तो स्ट्रोक पड़ना 

निश्चित है .

लेकिन स्वास्थ्य वर्धक इन तमाम खाद्यों में और भी तो पुष्टिकारक तत्व होतें हैं ,फायदा उनसे 

भी होता होगा .

Tomatoes may help reduce stroke risk
October 8th, 2012
04:01 PM ET

Tomatoes may help reduce stroke risk

Eating tomatoes in your daily salad or regularly enjoying a healthy red sauce on your spaghetti could help reduce your risk of stroke, according to research published this week in the journal Neurology. 
Tomatoes contain a powerful antioxidant that is good for brain health, the researchers say, and cooked tomatoes seem to offer more protection than raw.   
"This study adds to the evidence that a diet high in fruits and vegetables is associated with a lower risk of stroke," says study author Jouni Karppi, of the University of Eastern Finland in Kuopio. "A diet containing tomatoes... a few times a week would be good for our health. However, daily intake of tomatoes may give better protection."

Karppi says it's the chemical lycopene that gives tomatoes and other fruits/vegetables their rich red color, that is helping to protect the brain. Tomatoes are particularly high in the powerful antioxidant that acts like a sponge, soaking up rogue molecules called free radicals that if left unchecked can damage cells. 
The study
Researchers tested the level of lycopene in the blood of more than 1,000 Finnish men aged 46 to 65, starting in 1991. Scientists then followed the men on average for more than a decade to record the number who had strokes.
The scientists found that those with the highest levels of lycopene were 55% less likely to have a stroke than those with the lowest amounts in their blood. 
Caveats
Though the study looks promising, experts say that we can't necessarily give all of the credit to lycopene. 
"It's a compelling study and it fits with other data that we have about risk of stroke and vegetable and fruit consumption," explains Dr. Daniel Labovitz, director of the Stern Stroke Center at Montefiore Medical Center in New York. "But it's not proof that if you eat tomatoes you're going to have less risk of stroke."  
Labovitz also points out that the group of men who had fewer strokes were younger, had lower blood pressure and smoked less than the group more prone to stroke. Though the researchers tried to take these lifestyle factors into account when calculating their findings, it may be that these things influenced the outcomes. 
In other words, perhaps better health habits - not necessarily just the lycopene - lead to fewer strokes.
More on lycopene
Lycopene has attracted a lot of attention in recent years because it's such a powerful antioxidant. If we don't eat enough lycopene-packed foods, experts suspect too many free radicals get left in the body, damaging blood vessels by helping to form fatty deposits. When these deposits build up, a blockage forms. If that vessel is in the brain, the blockage can cause a stroke.   
But the foods we eat are complex and filled with many nutrients, making it tough to prove what is really providing benefits.
"Eating tomatoes is a good thing, but we don't know if there is really anything unique about tomatoes apart from other fruits and vegetables that reduce stroke risk," explains Dr. Walter Willett, chair of the Department of Nutrition at Harvard School of Public Health in Boston, Massachusetts.    
Tomatoes could contribute to reducing stroke in other ways, Willett says, because they are a good source of potassium, which is known to reduce blood pressure. Elevated blood pressure is major risk factor for stroke.     
Take home message
So are lycopene packed tomatoes really the magic fruit? It seems the jury is still out, but researchers suggest we eat healthy as they continue to search for answers.   
"This is one more reason to consume fruits and vegetables - at least 5 a day - and it's good to include tomatoes in that mix," Willett said.