सोमवार, 1 नवंबर 2010

टहल कदमी बुढापे में दिमाग के क्षय को रोकती है .

वाकिंग कीप्स ब्रेन शार्प इन ओल्ड एज :(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर १ ,२०१० )।
डिमेंशिया तथा दूसरे न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर्स से बचे रहने ,दिमाग को चुस्त दुरुस्त तेज़ -तर्रार (धार -दार और शार्प ,याददाश्त क्षय को रोकने) का आसान तरीका है ,सप्ताह में कमसे कम साढ़े-नौ (९.५)किलोमीटर पैदल चलिए ,सैर को निकलिये ,टहल कदमी कीजिये .पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने पता लगाया है ,टहल कदमी दिमाग के बुढ़ाने(सठियाने ,अल्जाइ -मार्स ),याददाश्त क्षय ,और दिमाग के आकार के सिकुड़ने (कोंत्रेक्सन ) को रोकती है ।
यह अध्ययनऔर इसके नतीजे निश्चय ही ओल्ड एजमें भौतिक व्यायाम से सम्बंधित ट्रायल्स को बढ़ावा देगा ।
डिमेंशिया और अल्जाइ -मर्स दीजीज़ से बचाव के लिए ऐसे ट्रायल्स ज़रूरी हैं ताकि लोग ओल्ड एज में सैर -करते रहने के महत्व को नजर -अंदाज़ न करें .

कोई टिप्पणी नहीं: