शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

एच आई वी -एड्स से बचाव और इलाज़ दोनों -केवल एक टिकिया त्रुवादा रोजाना ..

ए पिल ए डे कैन कीप एच आई वी अवे (दीटाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर ,२६ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
ए न्यू स्टडी शोज़ फॉर दी फस्ट टाइम देट ए वन -ए डे टेबलेट काल्ड "त्रुवादा "कैन प्रिवेंट ,एज वेळ एज ट्रीट एच आई वी इन गे एंड बा -सेक्स्युअल मेन।
" गिलेअड
साइंसिज़ एड्स "ने दो दवाओं का एक मिश्र तैयार किया है .यह कोम्बो ड्रग हाई -रिस्क -गे तथा बाइसेक्स्युअल मर्दों में एच आई वी संक्रमण दर को ४४%घटाने में कामयाब रही है .दोसाल तक लगातार संगत रीति से जिन मर्दों ने यह दवा रोजाना ली है उनके संक्रमण का जोखिम -भी ७० फीसद कम रह गया .अमरीकी सरकार द्वारा पेरू ,थाईलैंड ,दक्षिणी कोरिया के अलावा कई और जगहों पर किये गए अध्ययनों से यह पुष्ट हुआ है ।
यह पहली मर्तबा पता चला है यह दवा एक बचावी चिकित्सा का काम भी कर सकती है यानी संक्रमण से पहले इसका स्तेमाल इसके मेन -टू -मेन ट्रांसमिशन को रोकता है .ह्यूमेन -इम्यूनो -दिफिशियेंसी वायरस के खिलाफ जेहाद में यह दवा एक रण -नीतिक अश्त्र सिद्ध हो सकती है ।
यु एस सेंटर्स फॉर दीजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के माहिरों द्वारा इन नतीजों को एहम बतलाया जा रहा है ।
दीज़ मे नोट अप्लाई टू पीपुल एक्सपोज्ड टू मेल -फिमेल सेक्स ,ड्रग यूज़ ऑर अदर वेज़ .हालाकि ऐसे लोगों के समूह पर भी अध्ययन ज़ारी हैं ।
रिसर्चरों की एक अंतर -राष्ट्रीय टीम ने कुल मिलाकर अब तक २४९९ गेज़ ,बाई -सेक्स्युँल्स और ट्रांस -जेंडर मर्दों का अध्ययन किया है .जिन्हें एच आई वी इन्फेक्शन का खतरा बढा हुआ बना रहता है .इनमे से आधों को दवा "ट्रू -वडा"(दवा टेनो -फोविर और एम्ट्री-सिटाबिने का मिश्र दी गई बाकी को प्लेसिबो (डमी पिल )।
२.५ साल के बाद इनमे से १०० एच आई वी एड्स विषाणु से संक्रमित हो गए .इनमे से ३६ वह थे जिन्होंने त्रुवादा ली थी ६४ प्लेसिबो ग्रुप में से थे .इसका मतलब यह हुआ ट्रू -वडा के नियमित डेली स्तेमाल ने संक्रमण का जोखिम ४३ %से भी ज्यादा कम कर दिया ।
लोग अकसर गोली खाना भूल भी जातें हैं .रिसर्चरों ने नियमित इनके खून की जांच की .जिन लोगों के खून में दवा ९० %अवसरों तक पर मौजूद थी उनमे संक्रमण का ख़तरा ७३ %कम हो गया था प्लेसिबो लेने वालों के बरक्स ।
जिन्हें दवा लेने के बाद भी संक्रमण लग गया उनके उनके खून में या तो दवा का स्तर बहुत कम था या बिलकुल भी नहीं था इसका मतलब यह हुआ लोग दवा ले ही नहीं रहे थे .यही कहना है इस सिलसिले में रोबेर्ट ग्रांट का जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफोर्निया ,सा से सम्बद्ध है तथा अध्ययन के अगुवा रहें हैं ।
दवा के मामूली से अवांच्छित प्रभाव रहें हैं .सुरक्षित समझा गया है इसे .दवा के प्रति किसी भी प्रकार का प्रयोग -कर्ताओं में प्रति -रोध भी दर्ज़ नहीं हुआ है .यदि उन तीन लोगों को छोड़ दिया जाए जो दवा शुरू करने से पहले से ही संक्रमित चले आ रहे थे तो यह माना जा सकता है दवा वायरस (एच आई वी )के खिलाफ असरकारी रही है ।
बेशक अमरीका में इस दवा पर एक महीने में १००० डॉलर खर्च करना पड़ता है लेकिन भारत और अफ्रिका के लोगों के लिए इसका जान्रिक संस्करण तैयार किया गया है .एक गोली की कीमत है १८ रुपया ।
हर साल २७ लाख लोग एच आई वी एड्स संक्रमण की चपेट में आ जातें हैं .यह दवा ऐसे मामलों को कम कर सकती है .ज़रुरत इसके प्रचार और प्रसार ,उपलब्धता की है .

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