मंगलवार, 30 नवंबर 2010

अल्ज़ाइमर्स से बचाव के लिए रोजाना कमसे कम आठ किलोमीटर पैदल चलिए ....

वाकिंग मे वार्ड ऑफ़ अल्ज़ाइमर्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर ३० ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
एक नए अध्ययन के अनुसार रोजाना कमसेकम आठ किलोमीटर पैदल चलना अल्जामर्स से बचाव तथा रोग के एक दशा (चरण से )दूसरी
दशा में पहुँचने की रफ्तार को कम कर सकता है .अमरीका के पेन्सिल्वेनिया राज्य की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी की एक टीम ने पता लगाया है रोजाना की गई कमसे कम आठ किलोमीटर की वाक् अल्ज़ाइमर्स में क्षय होने वाली मेमोरी स्किल्स के क्षय को कमतर करती है ।
अलावा इसके रोग के शुरूआती चरण में होने वाले ब्रेन श्रीन्केज़ को भी कम करती है सैर ।
आप जानतें हैं अल्ज़ाऐमर्स एक दिजेंरेतिव न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर है .बोध सम्बन्धी यह अप्विकासी रोग न सिर्फ याददाशत बल्कि हामारे सोचने समझने की क्षमता ,व्यवहार आदि को भी असरग्रस्त करता है ।
दिमाग रोग के उत्तरोत्तर बढ़ते चरणों में सिकुड़ता चला जाता है .यह आयु बढ़ने के साथ सिर्फ सठियाना भर नहीं है चिंतन शक्ति भी असरग्रस्त होती है इस बोध सम्बन्धी (संज्ञानात्मक विकार में ,अप्विकास में ,दिजेंरेतिव रोग में )।
चलना फिरना सोचना समझना ,पहचानना याद रखना (खासकर शोर्टटर्म मेमोरी लोस )सब कुछ दुश्वार हो जाता है बुढापे के खासतौर पर दिमाग को असरग्रस्त करने वाले इस रोग में .जो डिमेंशिया की एक किस्म ही है ,वजह भी .
एल्ज़ाइमर्स इज ए दिजेंरेतिव डिस -ऑर्डर देट अफेक्ट्स दी ब्रेन एंड काज़िज़ डिमेंशिया स्पेशियली लेट इन लाइफ .

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

badhiya jankaari.......

Mohinder56 ने कहा…

एक और भी उपाय है...
ज्यादा बूढा होने से बचिये और सीधे निकल लीजिये ;)

जानकारी के लिये आभार

virendra sharma ने कहा…

shukriyaa mohindar kumaar aur Albela khatri jee .
Kaash aisaa ho paataa ,aadmi budhaape se bachke nikal jaataa .zaroori saupaan hai umr kaa budhaapaa yaani "BURA AAPAA ".
sahaz pallavan hain ,pratibhaa kaa ,budhaapaa .
veerubhai