जानिये अपने स्पर्म की सेहत का हाल
Sperm Patrol
Taking care of your family jewels will ensure that when the right time comes , you don't fire blanks/MUMBAI MIRROR APRIL 20,2012,P25
चलिए पहले जानते हैं स्पर्म (शुक्र )है क्या ?
पुरुष के प्रजनन अंगों(खासकर अन्डकोशों में ) में बनने वाला कोशाणु (जो स्त्री के अंडे से मिलकर शिशु को जन्म देता है ) शुक्राणु कहाता है . यह वह तरल है जिसमें मौजूद रहता है वीर्य ,शुक्र .शुक्र में होतें हैं शुक्राणु .
SPERM:Sperm is the contracted form of spermatozoa(spermatozoon)
Sperm is a cell that is produced by the sex organs of a male and that can combine with a female egg to produce young .
The whitish liquid that is produced by the sex organs that contain these cells is also called the semen.
Spermatozoon is a male reproductive cell (gamete).It has an oval head with a nucleus ,a short neck and a tail by which it moves to find and fertilize an ovum( a female egg, a female reproductive cell).
एक अनुमान के अनुसार भारत में १५% दम्पति संतान हीन हैं .पुरुष भी होतें हैं बांझ . संतानहीनता के लिए इस १५ % के आधे यानी साढ़े साथ फीसद बांझपन के लिए मर्द उत्तरदाई हैं .
औरतों की बायलोजिकल क्लोक की अकसर बात की जाती है .आवधिक चक्र होते हैं महिलाओं की फर्टिलिटी /सन्तान उत्पत्ति क्षमता के .
मर्दों में चालीस की उम्र के पार स्पर्म के ड़ी. एन . ए. टूटने लगते हैं विखंडित होने लगतें हैं .इस फ्रेगमेंटेशन के फलस्वरूप स्पर्म के गर्भाधान कराने ,औरत को गर्भवती बनाने के मौके छीजने लगते हैं .
आजकल तीस के पार भी मर्दों में स्पर्म की सेहत को लेकर समस्याएं आने लगतीं हैं .
केरियर परिवार नियोजन को पीछे धकिया देता है .
विश्व्स्वास्थ्य संगठन के मानक निर्देशों के अनुसार दो मिलीलीटर सिमेन वोल्यूम में स्पर्म की तादाद (स्पर्म काउंट )दो करोड़ (२० मिलियन ) होनी चाहिए .अब से १०-२० साल पहले तक यही मानक ४-५ करोड़ प्रति दो मिलीलीटर रखा गया था .यही मानक था स्पर्म हेल्थ का .
शहरी रहवास से असर ग्रस्त जीवन शैली ,शहरी खान- पान , हमारी हवा और हमारे पीने नहाने के पानी का गन्धाना ,संदूषित होते चले जाना ,दूध में तरह तरह की मिलावट का पैर पसारते चले जाना स्पर्म की सेहत को छलनी करता चला गया है गुजिस्ता सालों में .
क्या मतलब है स्पर्म की सेहत से ?
माहिरों के अनुसार तीन चार बातें एहम रहतीं हैं जिन पर गौर किया जाता है शुक्र की सेहत का आकलन करते वक्त.
(१)स्पर्म काउंट (शुक्र तादाद /प्रति इजेक्युलेट )
( २ )मोटिलिटी (गति अथवा गत्यात्मकता ,मूवमेंट )
(३) आकृति विज्ञान (शुक्र का आकार और बनावट /बुनावट )
(४ )टोटल वोल्यूम ऑफ़ इजेक्युलेट (प्रति स्खलन वीर्य का आयतन )
आपकी जीवन शैली से जुडी है शुक्र के स्वास्थ्य की नव्ज़
यदि आप गर्म माहौल में काम करते हैं (इंजन में कोयला झोंकने का काम ,भट्टी पर देर तक बैठके काम करना जैसे हलवाईगिरी ,या फिर आपका विषाक्त पदार्थों से सने माहौल में काम करना मसलन किसी रासायनिक कारखाने में काम करने की मजबूरी ) तब आपका स्पर्म काउंट गिर सकता है .
देर तक "सौना बाथ" लेना ,स्टीम बाथ लेना ,40 सेल्सियस तापमान वाले वाटर टब में आधा घंटा से ज्यादा समय बिताना भी स्पर्म काउंट को कम कर देता है .लैप टॉप गोद में रखके काम करना दूसरी वजह है इसमें कमी दर्ज़ होने की .
देर तक साइकिल चलाना स्क्रोतम(अन्डकोशों ) के तापमान को बढ़ा सकता है जबकी इसका तापमान शेष शरीर से थोड़ा कम ही रहना होना चाहिए .ढीले ढाले अंडर वीयर ही पहनिए .जैसे बोक्सर पहनते हैं वही बढिया .बने भी सूती कपडे के होने चाहिए . देर तक एक जगह बैठके काम करना भी ठीक नहीं है स्क्रोतम की सेहत के लिए .
देर तक मोटर साइकिल का सफर भी मुफीद नहीं है (संदीप जाट गौर करें रास्ते में ब्रेक लेते रहें ).ड्राइवरी भी,
कंडक्टर का देर तक बोनट पे बैठ के सफर करना ड्राइवर से बतियाते चलना वैसे भी ठीक नहीं है .
सीरम अनेलेसिस टेस्ट करवाएं
समय समय पर रोगनैदानिक जांच केन्द्रों पर/ निजी लेब्स में यह जांच करवाएं . अपने शुक्र की सेहत का हाल जानते चलें .कितने मर्द हैं आप .आप अपनी बीवी से क्या सचमुच प्यार करतें हैं ?
माहिरों के अनुसार स्पर्म बेंक से ९०-९५ % दाताओं को कई वजहों से वापस लौटा दिया जाता है .
(१) उम्र बीस से तीस साल होने के अलवा दाता (डोनर )का बुद्धि कोशांक भी ठीक ठाक होना चाहिए .बेचुलर होना ज़रूरी रहता है .पढ़ा लिखा होना भी .
(२)बीडी ,सिगरेट, शराब ,पान मसाला ,गुटका ,खैनी ,नशीली दवा का सेवन करने वालों को दूर ही रखा जाता है स्पर्म बेंकों से .
इन बातों के अलावा स्पर्म की गुणवता पर भी गौर किया जाता है .अकसर मैथुन करते रहने से स्पर्म भी रिन्यू होता है ताजगी लेता रहता है .पुराने की जगह नया शुक्र लेता रहता है .हालाकि बहुत ज्यादा मैथुनी होना भी ठीक नहीं स्पर्म काउंट कम रह जाता है .स्पर्म की गुणवता के लिए एक दो दिन के अंतराल के बाद ही सेक्स किया जाना चाहिए .ऐसे में स्पर्म की सघनता और घनत्व (डेंसिटी )भी बरकरार रहती है .यही कहना है माहिरों का .
स्पर्म की गुणवता में सुधार के लिए
जिंक बहुल खाद्यों यथा केला ,बादाम ,शेल फिश ,खाद्य शंख मीन ,(ओईस -टर )आदि का सेवन टेस्ता- स्टेरान संश्लेषण को बढाता है .स्पर्म काउंट ,मोटि- लिटी तथा स्पर्म वोल्यूम प्रति इजेक्युलेट भी बढाता है .पोषण विज्ञान के माहिरों के नुसार विटामिन ए बहुल खाद्य (गाज़र ,दूध ,चीज़ ,अंडा ),विटामिन सी युक्त खाद्य (संतरे ,स्ट्राबेरीज़ ,ब्रोक्कोली ),तथा विटामिन ई (मूंगफली ,पालक ,बादाम ,चीनिया/पहाड़ी बादाम ,पिंघल फल ) शुक्र के स्वास्थ्य को आदर्श बनाते हैं .
सेलीनियम का जिन चीज़ों में डेरा है ,मसलन लहसुन ,लाइकोपीन युक्त अमरुद ,टमाटर तथा तरबूज आदि स्पर्म की ओक्सी -डेतिव नुकसानी (Oxidative damage) को नियंत्रित रखते हैं ,कम करते हैं .
8 टिप्पणियां:
इन विषयों पर या तो लोग लिखते नहीं या फिर पढ़ते नहीं. अच्छा लिखा है आपने.
वीरू भाई क्या लेख लिखा है आपने ..
कितनी जरूरी और बढिया जानकारी आजकी
नौजवान पीढ़ी के लिए ...सौगात है |
आभार !
वीरू भाई !
स्पैम में से टिप्पणी भी निकालें!
जरूरी जानकारी. काजल भाई की बात सही है इन सब विषयों पर भी पढ़ना जरूरी है. धन्यबाद वीरू बही.
काम के लिए काम की जानकारी लेकिन ये अगले जनम में काम आएगी।
नौजवानों के लिए संजो के रखने वाली पोस्ट है आज .. बेहद लाभकारी जानकारी ...
राम राम जी ...
जीवन के प्रमुख निर्णय ४० के पहले तक किये बैठे हैं।
नौजवान पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी आपने उपलब्ध कराई है....आभार!
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