सावधान !आगे ख़तरा है
भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभावों के प्रति चेता दिया है . जल्दी ही सरकार यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र को प्रेषित कर देगी .रिपोर्ट में कच्छ और राजस्थान के कुछ हिस्सों में आगामी दशक तक अधिकतम तापमानों में चार सेल्सियस की वृद्धि तक हो जाने की प्रागुक्ति की है .
बतलादें आपको पृथ्वी का ताप बजट एक नाज़ुक मसला है इसमें चार फीसद की घट बढ़ का मतलब एक छोर पर हिमयुग की शुरुआत होता है तो दूसरे पर जलप्लावन ,हिम चादरों का पिघलाव .गनीमत है पृथ्वी का औसत तापमान (१४.५ -१५ .५) सेल्सियस के बीच ही बना रहता है .चार सेल्सियस एक जादुई . अंक है जिसका भौतिकी में विशेष अर्थ है. चार सेल्सियस पर जल सबसे ज्यादा भारी रहता है इसका घनत्व अधिकतम हो जाता है .चार से ऊपर गर्म करने पर भी और चार सेल्सियस से नीचे जल को ठंडा करने पर भी दोनों ही स्थितियों में जल फैलता है अपना आयतन बढ़ा लेता है ज्यादा जगह घेरने लगता है .गनीमत है यहाँ वायु मंडलीय तापमानों का ज़िक्र है .पृथ्वी के तापमान का नहीं .
सवाल यह है की सरकार जलवायु परिवर्तन के परिणामों से बचने के लिए क्या कर रही है ?सरकारें अक्सर भ्रष्ट होतीं हैं बे -ईमान होतीं हैं .
कंप्यूटर निदर्श बतलातें हैं विश्व -व्यापी तापमानों में वृद्धि ,भूमंडलीय तापन अल्पावधि में बाढ़ों और दीर्घावधि में सूखे की वजह बनेगा .पानी की किल्लत आलमी स्तर पर पैदा होगी .
मानसून की अवधि कमतर होने की संभावना जतलाई गई है .जबकी भारत का ५०%कृषि रकबा (कृषि क्षेत्र )मानसून के आसरे ही रहता है .यहीं से जलप्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है जिसका फिलवक्त भारत में नितांत लचर प्रबंध है .
कृषि कर्म के ढंग में पैट्रन में बेहद असंतुलन बना हुआ है .कृषि प्रोद्योगिकी को राज्य सहायता धकिया रही है .मुफ्त बिजली, मुफ्त या ना मालूम सी दरों पर पानी की उपलब्धता ,सघन सिंचाई वाली फसलों को बढ़ावा देती आई है .बेतहाशा नलकूपों से पानी उलीचा गया है .रीत गए है भूजल स्रोत वाटर एकविफायर्स.कौन करेगा इनकी री- -चार्जिंग ,पुनर भरण,पुनर भरपाई ?कौन दूर करेगा मिटटी से अतिरिक्त लवण को .
यकीनन भू जल का स्तर गिर गया है .
दूसरे छोर पर कृषि का बुनियादी आधार लचर है .अभाव है कृषि के बुनियादी ढाँचे ,इन्फ्रा -स्ट्रक्चर का . हर बीतते बरस के साथ यह छीजता जा रहा है .
इन दो छोरों के बीच पिस रहा है कृषि क्षेत्र .इसी का नतीजा है प्रति एकड़ कम उपज प्राप्ति ,रख रखाव की बेहद खराब व्यवस्था .(अनाज का एक बड़ा हिस्सा सड़ जाता है,चूहे खातें हैं इनमे गणतंत्री चूहे भी शामिल है ) परिवहन संशाधनों की तंगी .आगे आगे हालात बदतर ही होने हैं .
जबकि आज भी ७० % आबादी कृषि कर्म पर पल रही है .'बढती आबादी अंत बर्बादी' को टालने के लिए प्रति एकड़ उत्पाद बढ़ाना ही होगा .
जल पर से राज्य सहायता तात्कालिक प्रभाव के साथ हटानी पड़ेगी .वर्षा जल का प्रबंधन भवन निर्माण में लाजिमी प्रावधान के रूप में करना होगा .
जल कर इसके इस्तेमाल को तार्किक बनाने के लिए आयद करना पडेगा एक सीमा से ऊपर खर्च करने वालों पर .
कृषि को बेहतर बुनियादी ढांचा चेक डेम्स आदि देने होंगें .
अधिकाधिक जल उपचार संयंत्र ,जल का पुनर चक्रण करने वाले जल संयंत्र लगाने पड़ेंगें .
खारे जल को मीठा करना होगा .पानी से लवण की मात्रा कम करने के लिए भी कुछ करना होगा उत्तम खेती उत्तम बीज (बान )ने खासा कबाड़ा कर दिया है . ऊपर से एक ही फसल जीवन भर में देने वाले टर्मिनेटर सीड्स को कृषि से बे -दखल करना होगा .
सब कुछ सरकार के भरोसे छोड़ के भी निश्चित नहीं हुआ जा सकता है .जल संरक्षण मृदा संरक्षण वृक्षा रोपण के लिए जन प्रयास भी ज़रूरी हैं .यह एक सतत यज्ञ है .
raam raam भाई raam raam भाई !
सोमवार , 30 अप्रैल 2012
परीक्षा से पहले तमाम रात जागकर पढने का मतलब
?कहीं ऐसा तो नहीं की अगली सुबह सब कुछ गुड गोबर हो जाए एक भ्रम की स्थिति पैदा हो जाए और याद किया याद ही न आये एन वक्त पर परीक्षा की घडी में ?
स्कूल आफ लाइफ साइंसिज़ जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने अपने एक अध्ययन में यह खुलासा किया है कि दिन भर में पढ़ी याद की गई सूचना को इस तरह रूपांतरित करने में कि वह मौके पर दिमाग को याद आ सके संगठित करके रखने में नींद एक विधाई भूमिका निभाती है .
लेकिन रात भर नींद से महरूम रहने पर ऐसा हो ही यह कतई ज़रूरी नहीं है .हो सकता है आप पढ़ी याद की गई सामिग्री का बहुत कम अंश ही याद रख पायें .
अपने प्रयोगों में डॉ .सुशील झा ने पाया कि जो चूहे एक काम को सीखने के फ़ौरन बाद छ :घंटा नींद से महरूम रखे गए वे अगले दिन उसी काम को दोहरा नहीं सके .
जबकी चूहों के जिस समूह ने नींद भर सोया था ,पर्याप्त नींद ले ली थी उन्हें वह काम याद रहा .
लेब अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि क्या पाठ सीखने की क्रिया ,लर्निंग सोने के अंदाज़ ,स्लीप पैट्रन को भी तबदील करती है ?
बिला शक यदि आपने किसी तरह का प्रशिक्षण लिया है ,आपने कोई लर्निंग का ढंग सीखा है तब आप अधिक सोयेंगे .
ज़ाहिर है आप थकके नहीं सोयें हैं ,याददाश्त को पुख्ता, पक्का करने के लिए ,प्राप्त प्रशिक्षण के तहत सोयें हैं .
अलावा इसके नींद हमारे दिमाग की प्रोटीन संश्लेषण करने वाली मशीनरी ,प्राविधि को सक्रीय कर देती है .इसका फायदा याददाश्त को पक्का करने में मिलता है .
अलावा इसके नींद दिमागी विकास में सहायक सिद्ध होती है .यही वजह है कि शिशु ज्यादा सोतें हैं क्योंकि इस दरमियान दिमागी विकास की रफ़्तार सर्वाधिक होती है .डॉ झा अशोशियेट प्रोफ़ेसर हैं न्यूरो -साइंसिज़ विभाग में .आप स्कूल को लाइफ साइंसिज़ से जुड़ें हैं .
परीक्षा से पहले तमाम रात जागकर पढने का मतलब सहायक ही हो यह ज़रूरी नहीं है .
9 टिप्पणियां:
government will doing nothing until next elections.
nice information
दोनों विषय महत्वपूर्ण |
आभार वीरू भाई ||
बहुत सारी जानकारी , एक ही प्रस्तुति में,
जैसे गागर में सागर।
अभी चेत जायें।
मैंने इस पोस्ट पर टिप्पणी की थी। स्पैम में चली गई या आपने डिलीट कर दी?
हमें जागना ही होगा ... महत्वपूर्ण पोस्ट
जल के प्रति हम सचेत न हुए तो बहुत ही गंभीर संकट का सामना करने जा रहे हैं।
राधारमण जी ,मैंने टिपण्णी गायब नहीं kee है मैं तो रोज़ एक आदि टिपण्णी स्पेम में से निकालता हूँ .देखि मैंने भी थी सुबह आपकी टिपण्णी .हैरान परेशान मैं भी हूँ .तकलीफ मुझे भी हुई है .अब आपने तो तिप्पनोई का kaalam ही हटा दिया ज़वाब किसे दूं ?
.कृपया यहाँ भी पधारें -
सोमवार, 30 अप्रैल 2012
जल्दी तैयार हो सकती मोटापे और एनेरेक्सिया के इलाज़ में सहायक दवा
http://veerubhai1947.blogspot.in/
राधारमण जी मैं ये गुस्ताखी कैसे कर सकता हूँ .आप हमारे स्वास्थ्य सखा ब्लोगिये हैं वैसे भी .टिपण्णी सुबह देखी मैंने भी थी ,गायब मैंने नहीं की है गूगल ताऊ जाने सबका .आपने तो अपने ब्लॉग से टिपण्णी का कालम ही हटा दिया .क्यों भाई साहब .कोई नारजगी ?अलबत्ता मैं स्पैम बोक्स रोज़ चेक करता हूँ बंधक टिप्पणियाँ निकाली जातीं हैं .
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