मधुमेह (रोग )में व्रत और उपवास :हाँ या न !क्या कहतें हैं माहिर .
भारतीय एक संस्कार एक धार्मिक कृत्य ,एक कर्म काण्ड के रूप में रखतें हैं फास्ट ,व्रत या उपवास .कुछ निर्जला व्रत रखतें हैं ,पानी भी नहीं पीते व्रत की अवधि में ,कुछ अल्पाहार लेतें हैं और कुछ और कुछ ख़ास चीज़ों से उस दिन दूर रहतें हैं .
इधर कुछ और लोग एक गैर औषधीय उपाय के तौर पर तौल कम करने के लिए रखतें हैं व्रत .जहां तक माहिरों का सवाल है वह मधुमेह के मरीजों को व्रत रखने के मामले में हतोत्साहित ही करतें हैं .,भले ज़ोरदार तरीके से न कह पायें-' न'. .
क्या होता है जब मधुमेह से ग्रस्त लोग रख लेतें हैं फास्ट ?
यहाँ हम कुछेक ऐसे पेचीलापन का ज़िक्र करेंगे जिसकी वजह बन जाता है व्रत और उपवास :
(१) पेचीदा हो जाता है हाइपो -ग्लाई -सीमिया .ब्लड सुगर एक दम से गिरता चला जाता है और प्रबंधन हो जाता है टेढा .
(२ ) ब्लड सुगर बहुत ज्यादा बढ़कर भी खडा कर देती है नै मुसीबतें .(हाइपर -ग्लाई -सीमिया ).
(३) खून में तेज़ाब बढ़ जातें हैं .(कीटो -एसिडोसिस ).बॉडी का एसिड बेस बेलेंस बिगड़ जाता है .
(४)शरीर में पानी की कमी हो जाती है .धमनिया अवरुद्ध हो जाती हैं (थ्रोम -योसिस ).इस स्थिति में हृद वाहिकीय तंत्र में रक्त तरल से ठोस अवस्था में आने लगता है थक्के धमनी अवरोध की वजह बनने लगतें हैं .
Thrombosis is a condition in which the blood changes from a liquid to a solid state within the cardiovascular system during life and produces a mass of coagulated blood .(Thrombus).
Thrombosis in an artery obstruct the blood flow to the tissue it supplies :obstruction of an artery to the brain is one of the causes of a stroke and thrombosis in an artery supplying the heart -coronary thrombosis -results in an heart attack.
व्रत उपवास के दौरान फ़ूड इनटेक घट जाने से होता है 'हाईपो -ग्लाई -सीमिया :प्राइमरी डायबीटीज़ के २-४ %मामलों में यही मौत की वजह बन जाता है .
व्रत की अवधि में इसके खतरे का वजन बढ़ जाता है . हाइपोग्लाईसीमिया की चपेट आये मधुमेह ग्रस्त रोगियों पर संपन्न दीर्घावधि रुग्ड़ता (Morbidity)एवं मौरतैलिती (MORTALITY,मृत्यु दर )अध्ययनों में मधुमेह और अन्य पेचीदा स्थितियों यथा परि-हृदय धमनी रोग (Coronary artery disease,CAD) ,दिमाग की रक्त वाहिकाओं में अवरोध (ब्रेन अटेक या स्ट्रोक ) ,किडनी डेमेज (डाय -बेतिक -नेफ्रोपैथी ),स्नायु ,तंतुओं अथवा नसों को होने वाली नुकसानी (डायबेतिक न्यूरो -पैथी ),तथा आँखों के परदे को होने वाले नुक्सान (डायबेतिक रेटिनो -पैथी )में एक अंतर -सम्बन्ध की पुष्टि हुई है .
व्रत उपवास के दौरान हाइपर -ग्लैसीमिया की वजह :
व्रत उपवास की अवधि में मरीज़ दवा की खुराक भी एक दम से घटा देतें हैं बिना डॉ. से पूछे गछे, मकसद होता है हाइपो -ग्लाई -सीमिया से बचना .आ जातें हैं 'हाइपर -ग्लाई -सीमिया' की चपेट में . रोजा , व्रत उपवास आदि खोलने पर कुछ मरीज़ स्टार्च रेशाहीन खाद्यों ,कम रेशे वाली चीज़ों यथा तले हुए आलू ,फलों के बाजारू जूस ,सैगो (Sago)यानी साबूदाना ,कथितउपवास के खाने पर टूट पडतें हैं .नतीजा होता है हाइपर -ग्लाई -सीमिया .
किन मरीजों के लिए बहुत बढ़ जाता है 'डायबेतिक कीटो -एसिडोसिस 'का ख़तरा :
मधुमेह के वे रोगी जो बचपन से ही टाइप -१ डायबीतीज़(प्राईमरी डायबितीज़ ,बचपन से ही जन्म के बाद से चली आई मधुमेह )के साथ सहस्तित्व बनाए हें और इनमे से भी खासकर वे जो पूरा नवरात्र व्रत उपवास रखतें हैं या फिर रमजान की पूरी अवधि में रोजा रखतें हैं अपने लिए डायबेतिक कीटोएसिडोसिस का ख़तरा अपने अनजाने ही एक दम से बढ़ा लेतें हैं .इनके खून में तेज़ाब बढ़ जातें हैं ,कीटोन बोदीज़ बहुत हो जातीं हैं .
यह ख़तरा तब और भी बढ़ जाता है जब ये मरीज़ यह सोचकर अपनी इंसुलिन डोज़ भी घटा लेतें हैं की इन दिनों ये कम खा रहें हैं ,इनका फ़ूड इन -टेक कमतर रह गया है .
Dehydration and Thrombosis:
वो मधुमेह के रोगी जो उपवास के दिनों में पानी भी नाप तौल के पीतें हैं सीमित मात्रा में पानी पीतें हैं उनके शरीर में पानी की भी कमी हो जाती है ,हो सकती है .ऐसे में यह कमी गरम और चिपचिपे मौसम में जब पसीना शरीर से खूब चूता है और भी गंभीर रुख ले सकती है .अलावा इसके जिन्हें हाड तोड़ मेहनत करनी पड़ती है उनका भी इस मौसम में यही हश्र होता है .
अलावा इसके हाईपर -ग्लाई -सीमिया ,इनमें ओस्मोतिक डाय्युरेसिस (ज्यादा पेशाब आना ) की वजह भी बनता है .ऐसे में इलेक्त्रोलाईट बेलेंस और भी गडबडा जाता है .वोल्यूम और इलेक्त्रोलाईट दोनों की कमी बेशी का ये लोग शिकार हो जातें हैं .
ऑर्थो -स्टेटिक हाइपो -टेंशन का शिकार भी ये लोग हो सकतें हैं .यह वह स्थिति होती है जब अचानक खड़े होने पर आपका ब्लड प्रेशर एक दम से कम हो जाता है .यह ख़तरा उन मरीजों के लिए ज्यादा रहता है जो पहले से ही 'औटोनोमिक न्यूरो -पैथी से ग्रस्त रहतें हैं .
Autonomic neuropathy means group of symtoms that occur when there is damage to the nerves that manage regular body functions such as blood pressure,heart rate ,bowel and bladder emptying and digestion.
ज़ाहिर है इस स्थिति में कुछ ख़ास नसों को नुकसान पहुंचता है वो जो रक्त चाप ,दिल की लय और धड़कन ,मलाशय और मूत्राशय के खाली करने में एहम भूमिका में रहतीं हैं .
SYNCOPE FALLS:इस स्थिति में मरीज़ के दिमाग तक रक्त की पर्याप्त आ -पूर्ती नहीं हो पाती है और मरीज़ तत्काल बेहोश होकर गिर पड़ता है .
हड्डी भी टूट सकती है ,चोट भी लग सकती है मरीज़ को हाइपो -वोल्युमिया में .हाइपो -वोल्युमिया माने ब्लड वोल्यूम की कमी .इसी से पैदा हो जाता है संगत लो ब्लड प्रेशर .
ब्लड की विस्कोसिटी (गाढापन,श्यानता ) शरीर में पानी की कमी होने पर बढ़ जाती है .यही बनती है वजह :थ्रोम्योसिस की ( खून में थक्के बनने से धमनी का अवरुद्ध होना ) .स्ट्रोक का ख़तरा भी यहीं से बढ़ता है .दिल से ही दिमाग तक पहुंचता है खून का थक्का .
(ज़ारी ...)
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
पुनश्चय :
THE MEDICAL RECOMMENDATION FOR DIABETIC PATIENTS IS NOT TO UNDERTAKE FASTING.
ज़ाहिर है माहिर हक़ में नहीं है व्रत और उपवास के मधुमेह के मरीज़ का यह अपना फैसला होता है .फिर भी उसे उपवास रखने से पहले उपवास की अवधि में इसके प्रबंधन के विशेष गुर सीखने चाहिए.वाकिफ होना चाहिए व्यक्ति विशेष के लिए इसके निहित खतरों से .इन्हें कम कैसा रखा जाए ?किसी के लिए ये जोखिम कम किसी और के लिए ज्यादा हो सकतें हैं .ज़ाहिर है उपवास से जुड़े खतरे सब के लिए अलग अलग हैं .कैसे पार पाया जाए इनसे ?कमतर रखा जाए इन खतरों को ?
SEEK MEDICAL ADVICE:
मूल मन्त्र है इसका प्रबंधन :
(१) उपवास की अवधि में नियमित तौर पर और निश्चित समय अंतराल पर अपने ब्लड सुगर का मोनिटरन करें .. आजकल ब्लड सुगर मोनिटर किट बाज़ार में उपलब्ध हैं .
(2 ) हो सकता है आपको अपने मेडिकेशन /इंसुलिन को व्रत के समय के अनुरूप संशोधित करना पड़े .आपका माहिर ही संशोधित डोज़ तय करेगा ,आप नहीं .
(३)फिर दोहरादें अपने आप डोज़ को कम ज्यादा न करें ,दवा ,मेडिकेशन लेने के बारे में नागा न करें .
(४)अपने स्पेशलिस्ट को व्रत उपवास ,रोज़े की पूरी अवधि ,ली जाने वाली खुराक का पूरा ब्योरा उपलब्ध काराएं .जैसा फास्ट(निर्जला ,अल्पा हारी ) वैसी ही खुराक .
(५)सभी मधुमेहियों के लिए यदि उन्होंने उपवास रखने की ठान ही ली है तो लगातार बिला नागा ब्लड सुगर का मानिटरन करते रहना निहायत ज़रूरी है .
पोषण (Nutrition ):
व्रत उपवास के दौरान पोषण का पूरा पैटर्न (ढांचा ) बदल जाता है . ज्यादातर समस्याओं के मूल में अन - उपयुक्त खुराक ,अतिरिक्त पोषण या पोषण की कमी उभर कर सामने आती है .अप्रयाप्त नींद भी कारण बनती है पेचीला - पन का .
समाधान एक ही है व्रत उपवास के दौरान ली गई खुराक स्वास्थ्य -कर और संतुलित खुराक से ज्यादा भिन्न नहीं होनी चाहिए .
उपवास के अनुरूप ही पोषण सम्बन्धी सलाह दी जाती है .दी जानी चाहिए .लक्ष्य रहे नियत बॉडी मॉस को बनाए रहना .
कार्बोहाइड्रेट्स बहुल ,वसा युक्त खाद्यों से व्रत खोलने पर यथा संभव बचना होगा .अक्सर लोग इन्हीं का बेहिसाब सेवन करतें हैं .ज्यादा खा जातें हैं अपनी रोजमर्रा की खुराक से .स्टार्च युक्त खाद्य ,वसा युक्त खाद्य लोग खूब खातें हैं व्रत उपवास में .जबकी पर्मिसिबिल फूड्स भी हिसाब से ही खाए जाने चाहिए .ध्यान रहे पेचीला पन भी आप ही भुगतेंगे ,
कसरत और व्यायाम :
सामान्य शारीरिक गति -विधि ही आपकी ज़ारी रहनी चाहिए .अतिरिक्त नहीं .फास्ट के दौरान जोगिंग नहीं .हाड तोड़ व्यायाम ,साइक्लिग,मानव चक्की पर दौड़ना ,दौड़ना हाइपो -ग्लाई -सीमिया की वजह बन सकता है .
राम राम भाई ! राम राम भाई !राम राम भाई !
नुश्खे सेहत के :
प्याज में अमीनों अम्लों का प्राचुर्य है .दिल के लिए मुफीद है बहुत अच्छी है प्याज .यह संचरण को निर्बाध बनाए रखने में खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को मुल्तवी रखने में मददगार सिद्ध होती है .
सरसों बीज (मस्टर्ड सीड्स ):सरसों दाना मैग्नीशियम और सेलीनियम से भरपूर है .दमे पर नियंत्रण रखतें हैं सरसों के दाने .
नुश्खे सेहत के :
आंवला क्रोमियम से भरपूर है .इसका सेवन उन कोशिकाओं को उत्तेजन प्रदान करता है जो इंसुलिन स्राव करतीं हैं .
Indian gooseberry (Amla) is rich in chromium .It stimulates the cells that secrete insulin.
राजमा का सेवन ज़रूरी अमीनों अम्ल मुहैया करवा देता है .इन आवशयक अमीनों अम्लों से हमारे रोग प्रति -रक्षा तंत्र को दुरुस्त रखने में बड़ी मदद मिलती है .
Kidney beans provide essential amino acids that help maintain a healthy immune system.
भारतीय एक संस्कार एक धार्मिक कृत्य ,एक कर्म काण्ड के रूप में रखतें हैं फास्ट ,व्रत या उपवास .कुछ निर्जला व्रत रखतें हैं ,पानी भी नहीं पीते व्रत की अवधि में ,कुछ अल्पाहार लेतें हैं और कुछ और कुछ ख़ास चीज़ों से उस दिन दूर रहतें हैं .
इधर कुछ और लोग एक गैर औषधीय उपाय के तौर पर तौल कम करने के लिए रखतें हैं व्रत .जहां तक माहिरों का सवाल है वह मधुमेह के मरीजों को व्रत रखने के मामले में हतोत्साहित ही करतें हैं .,भले ज़ोरदार तरीके से न कह पायें-' न'. .
क्या होता है जब मधुमेह से ग्रस्त लोग रख लेतें हैं फास्ट ?
यहाँ हम कुछेक ऐसे पेचीलापन का ज़िक्र करेंगे जिसकी वजह बन जाता है व्रत और उपवास :
(१) पेचीदा हो जाता है हाइपो -ग्लाई -सीमिया .ब्लड सुगर एक दम से गिरता चला जाता है और प्रबंधन हो जाता है टेढा .
(२ ) ब्लड सुगर बहुत ज्यादा बढ़कर भी खडा कर देती है नै मुसीबतें .(हाइपर -ग्लाई -सीमिया ).
(३) खून में तेज़ाब बढ़ जातें हैं .(कीटो -एसिडोसिस ).बॉडी का एसिड बेस बेलेंस बिगड़ जाता है .
(४)शरीर में पानी की कमी हो जाती है .धमनिया अवरुद्ध हो जाती हैं (थ्रोम -योसिस ).इस स्थिति में हृद वाहिकीय तंत्र में रक्त तरल से ठोस अवस्था में आने लगता है थक्के धमनी अवरोध की वजह बनने लगतें हैं .
Thrombosis is a condition in which the blood changes from a liquid to a solid state within the cardiovascular system during life and produces a mass of coagulated blood .(Thrombus).
Thrombosis in an artery obstruct the blood flow to the tissue it supplies :obstruction of an artery to the brain is one of the causes of a stroke and thrombosis in an artery supplying the heart -coronary thrombosis -results in an heart attack.
व्रत उपवास के दौरान फ़ूड इनटेक घट जाने से होता है 'हाईपो -ग्लाई -सीमिया :प्राइमरी डायबीटीज़ के २-४ %मामलों में यही मौत की वजह बन जाता है .
व्रत की अवधि में इसके खतरे का वजन बढ़ जाता है . हाइपोग्लाईसीमिया की चपेट आये मधुमेह ग्रस्त रोगियों पर संपन्न दीर्घावधि रुग्ड़ता (Morbidity)एवं मौरतैलिती (MORTALITY,मृत्यु दर )अध्ययनों में मधुमेह और अन्य पेचीदा स्थितियों यथा परि-हृदय धमनी रोग (Coronary artery disease,CAD) ,दिमाग की रक्त वाहिकाओं में अवरोध (ब्रेन अटेक या स्ट्रोक ) ,किडनी डेमेज (डाय -बेतिक -नेफ्रोपैथी ),स्नायु ,तंतुओं अथवा नसों को होने वाली नुकसानी (डायबेतिक न्यूरो -पैथी ),तथा आँखों के परदे को होने वाले नुक्सान (डायबेतिक रेटिनो -पैथी )में एक अंतर -सम्बन्ध की पुष्टि हुई है .
व्रत उपवास के दौरान हाइपर -ग्लैसीमिया की वजह :
व्रत उपवास की अवधि में मरीज़ दवा की खुराक भी एक दम से घटा देतें हैं बिना डॉ. से पूछे गछे, मकसद होता है हाइपो -ग्लाई -सीमिया से बचना .आ जातें हैं 'हाइपर -ग्लाई -सीमिया' की चपेट में . रोजा , व्रत उपवास आदि खोलने पर कुछ मरीज़ स्टार्च रेशाहीन खाद्यों ,कम रेशे वाली चीज़ों यथा तले हुए आलू ,फलों के बाजारू जूस ,सैगो (Sago)यानी साबूदाना ,कथितउपवास के खाने पर टूट पडतें हैं .नतीजा होता है हाइपर -ग्लाई -सीमिया .
किन मरीजों के लिए बहुत बढ़ जाता है 'डायबेतिक कीटो -एसिडोसिस 'का ख़तरा :
मधुमेह के वे रोगी जो बचपन से ही टाइप -१ डायबीतीज़(प्राईमरी डायबितीज़ ,बचपन से ही जन्म के बाद से चली आई मधुमेह )के साथ सहस्तित्व बनाए हें और इनमे से भी खासकर वे जो पूरा नवरात्र व्रत उपवास रखतें हैं या फिर रमजान की पूरी अवधि में रोजा रखतें हैं अपने लिए डायबेतिक कीटोएसिडोसिस का ख़तरा अपने अनजाने ही एक दम से बढ़ा लेतें हैं .इनके खून में तेज़ाब बढ़ जातें हैं ,कीटोन बोदीज़ बहुत हो जातीं हैं .
यह ख़तरा तब और भी बढ़ जाता है जब ये मरीज़ यह सोचकर अपनी इंसुलिन डोज़ भी घटा लेतें हैं की इन दिनों ये कम खा रहें हैं ,इनका फ़ूड इन -टेक कमतर रह गया है .
Dehydration and Thrombosis:
वो मधुमेह के रोगी जो उपवास के दिनों में पानी भी नाप तौल के पीतें हैं सीमित मात्रा में पानी पीतें हैं उनके शरीर में पानी की भी कमी हो जाती है ,हो सकती है .ऐसे में यह कमी गरम और चिपचिपे मौसम में जब पसीना शरीर से खूब चूता है और भी गंभीर रुख ले सकती है .अलावा इसके जिन्हें हाड तोड़ मेहनत करनी पड़ती है उनका भी इस मौसम में यही हश्र होता है .
अलावा इसके हाईपर -ग्लाई -सीमिया ,इनमें ओस्मोतिक डाय्युरेसिस (ज्यादा पेशाब आना ) की वजह भी बनता है .ऐसे में इलेक्त्रोलाईट बेलेंस और भी गडबडा जाता है .वोल्यूम और इलेक्त्रोलाईट दोनों की कमी बेशी का ये लोग शिकार हो जातें हैं .
ऑर्थो -स्टेटिक हाइपो -टेंशन का शिकार भी ये लोग हो सकतें हैं .यह वह स्थिति होती है जब अचानक खड़े होने पर आपका ब्लड प्रेशर एक दम से कम हो जाता है .यह ख़तरा उन मरीजों के लिए ज्यादा रहता है जो पहले से ही 'औटोनोमिक न्यूरो -पैथी से ग्रस्त रहतें हैं .
Autonomic neuropathy means group of symtoms that occur when there is damage to the nerves that manage regular body functions such as blood pressure,heart rate ,bowel and bladder emptying and digestion.
ज़ाहिर है इस स्थिति में कुछ ख़ास नसों को नुकसान पहुंचता है वो जो रक्त चाप ,दिल की लय और धड़कन ,मलाशय और मूत्राशय के खाली करने में एहम भूमिका में रहतीं हैं .
SYNCOPE FALLS:इस स्थिति में मरीज़ के दिमाग तक रक्त की पर्याप्त आ -पूर्ती नहीं हो पाती है और मरीज़ तत्काल बेहोश होकर गिर पड़ता है .
हड्डी भी टूट सकती है ,चोट भी लग सकती है मरीज़ को हाइपो -वोल्युमिया में .हाइपो -वोल्युमिया माने ब्लड वोल्यूम की कमी .इसी से पैदा हो जाता है संगत लो ब्लड प्रेशर .
ब्लड की विस्कोसिटी (गाढापन,श्यानता ) शरीर में पानी की कमी होने पर बढ़ जाती है .यही बनती है वजह :थ्रोम्योसिस की ( खून में थक्के बनने से धमनी का अवरुद्ध होना ) .स्ट्रोक का ख़तरा भी यहीं से बढ़ता है .दिल से ही दिमाग तक पहुंचता है खून का थक्का .
(ज़ारी ...)
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
पुनश्चय :
THE MEDICAL RECOMMENDATION FOR DIABETIC PATIENTS IS NOT TO UNDERTAKE FASTING.
ज़ाहिर है माहिर हक़ में नहीं है व्रत और उपवास के मधुमेह के मरीज़ का यह अपना फैसला होता है .फिर भी उसे उपवास रखने से पहले उपवास की अवधि में इसके प्रबंधन के विशेष गुर सीखने चाहिए.वाकिफ होना चाहिए व्यक्ति विशेष के लिए इसके निहित खतरों से .इन्हें कम कैसा रखा जाए ?किसी के लिए ये जोखिम कम किसी और के लिए ज्यादा हो सकतें हैं .ज़ाहिर है उपवास से जुड़े खतरे सब के लिए अलग अलग हैं .कैसे पार पाया जाए इनसे ?कमतर रखा जाए इन खतरों को ?
SEEK MEDICAL ADVICE:
मूल मन्त्र है इसका प्रबंधन :
(१) उपवास की अवधि में नियमित तौर पर और निश्चित समय अंतराल पर अपने ब्लड सुगर का मोनिटरन करें .. आजकल ब्लड सुगर मोनिटर किट बाज़ार में उपलब्ध हैं .
(2 ) हो सकता है आपको अपने मेडिकेशन /इंसुलिन को व्रत के समय के अनुरूप संशोधित करना पड़े .आपका माहिर ही संशोधित डोज़ तय करेगा ,आप नहीं .
(३)फिर दोहरादें अपने आप डोज़ को कम ज्यादा न करें ,दवा ,मेडिकेशन लेने के बारे में नागा न करें .
(४)अपने स्पेशलिस्ट को व्रत उपवास ,रोज़े की पूरी अवधि ,ली जाने वाली खुराक का पूरा ब्योरा उपलब्ध काराएं .जैसा फास्ट(निर्जला ,अल्पा हारी ) वैसी ही खुराक .
(५)सभी मधुमेहियों के लिए यदि उन्होंने उपवास रखने की ठान ही ली है तो लगातार बिला नागा ब्लड सुगर का मानिटरन करते रहना निहायत ज़रूरी है .
पोषण (Nutrition ):
व्रत उपवास के दौरान पोषण का पूरा पैटर्न (ढांचा ) बदल जाता है . ज्यादातर समस्याओं के मूल में अन - उपयुक्त खुराक ,अतिरिक्त पोषण या पोषण की कमी उभर कर सामने आती है .अप्रयाप्त नींद भी कारण बनती है पेचीला - पन का .
समाधान एक ही है व्रत उपवास के दौरान ली गई खुराक स्वास्थ्य -कर और संतुलित खुराक से ज्यादा भिन्न नहीं होनी चाहिए .
उपवास के अनुरूप ही पोषण सम्बन्धी सलाह दी जाती है .दी जानी चाहिए .लक्ष्य रहे नियत बॉडी मॉस को बनाए रहना .
कार्बोहाइड्रेट्स बहुल ,वसा युक्त खाद्यों से व्रत खोलने पर यथा संभव बचना होगा .अक्सर लोग इन्हीं का बेहिसाब सेवन करतें हैं .ज्यादा खा जातें हैं अपनी रोजमर्रा की खुराक से .स्टार्च युक्त खाद्य ,वसा युक्त खाद्य लोग खूब खातें हैं व्रत उपवास में .जबकी पर्मिसिबिल फूड्स भी हिसाब से ही खाए जाने चाहिए .ध्यान रहे पेचीला पन भी आप ही भुगतेंगे ,
कसरत और व्यायाम :
सामान्य शारीरिक गति -विधि ही आपकी ज़ारी रहनी चाहिए .अतिरिक्त नहीं .फास्ट के दौरान जोगिंग नहीं .हाड तोड़ व्यायाम ,साइक्लिग,मानव चक्की पर दौड़ना ,दौड़ना हाइपो -ग्लाई -सीमिया की वजह बन सकता है .
राम राम भाई ! राम राम भाई !राम राम भाई !
नुश्खे सेहत के :
प्याज में अमीनों अम्लों का प्राचुर्य है .दिल के लिए मुफीद है बहुत अच्छी है प्याज .यह संचरण को निर्बाध बनाए रखने में खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को मुल्तवी रखने में मददगार सिद्ध होती है .
सरसों बीज (मस्टर्ड सीड्स ):सरसों दाना मैग्नीशियम और सेलीनियम से भरपूर है .दमे पर नियंत्रण रखतें हैं सरसों के दाने .
नुश्खे सेहत के :
आंवला क्रोमियम से भरपूर है .इसका सेवन उन कोशिकाओं को उत्तेजन प्रदान करता है जो इंसुलिन स्राव करतीं हैं .
Indian gooseberry (Amla) is rich in chromium .It stimulates the cells that secrete insulin.
राजमा का सेवन ज़रूरी अमीनों अम्ल मुहैया करवा देता है .इन आवशयक अमीनों अम्लों से हमारे रोग प्रति -रक्षा तंत्र को दुरुस्त रखने में बड़ी मदद मिलती है .
Kidney beans provide essential amino acids that help maintain a healthy immune system.
3 टिप्पणियां:
मधुमेह से पीड़ितों के लिए यह एक उपयुक्त पोस्ट है!...इसे पढ़ कर आप तय कर सकते है कि व्रत रखें...या न रखें...उपयुक्त जानकारी...आभार!
उपयोगी आलेख, पीड़ितों के लिये भी व भविष्य में बचाव के लिये भी
विटामिन बी ६...स्मृति वर्धक है!...बहुत बढ़िया जानकारी!......मधुमेह की बीमारी के चलते व्रत ना रखें जाए...यही उचित है!...ईश्वर की सच्चे मन से अर्चना और प्रार्थना ही आत्मशुद्धि के लिए पर्याप्त है!....आभार!
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