नुस्खे सेहत के :
एडियों की बिवाई (फटन )से राहत के लिए पैर धोकर सोयें लेकिन तलुवों पर और एडियों में घी मलने के बाद ही बिस्तर में जाएँ .
यदि बाल झाड़तें हैं तब शिरोवल्क (खोपड़ी,सिर की खाल )में नारियल के तेल में मीठे नीम्बू (लाइम ) का रस मिलाकर उंगली के पौरों से धीरे धीरे लगाएं .
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
एच . आई. वी -एड्स :स्टेम सेल्स बोलेंगी हल्ला .
Stem cells Can be tweaked to hunt & kill HIV/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE ,APRIL 14,2012/P17.
अब आनुवंशिक इंजीनियरिंग के ज़रिये ऐसी कलम कोशायें तैयार की जा सकेंगी जो एच आई वी को ढूंढ निकाल उनपर धावा बोल देंगी .
यानी अब कलम कोशाओं को सोफ्ट वेयर देकर ऐसी इम्म्यून सेल्स (प्रति रक्षी )कोशाएं तैयार की जा सकेंगी जो सीधे- सीधे एच .आई. वी .को ही निशाने पे ले लेंगी .तथा जीवित ऊतकों में भी एच. आई. वी. विषाणु का शमन किया जा सकेगा .एनीमल मोडिल इस तरह के तैयार हैं .
मनुष्यों पर भी देर सबेर यह रणनीति आजमाई जा सकेगी .और एक दिन मानव शरीर से इसे खदेड़ बाहर किया जा सकेगा ऐसी उम्मीद बंध चली है .
केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के साइंसदानों ने आनुवंशिक प्रोद्योगिकी का स्तेमाल करके ऐसी ब्लड स्टेम सेल्स तैयार कर लीं हैं जो लड़ाकू टी -कोशाओं का दस्ता एच आई वी पर धावा बोलने के लिए खडा कर सकेंगी .ये किलर टी -सेल्स ऊतकों से ढूंढ ढूंढ कर एच आई वी का खात्मा करने में सक्षम होंगी .यहीं ऊतकों की ओट ले यह एच .आई .वी . विषाणु बहु -गुणित होता है अपना कुनबा बढाता है .
इस एवज साइंसदानों ने एक सर्रोगेड मोडिल (धाय माँ जैसा निदर्श ),मानवीकृत मूषकों (HUMANIZED MOUSE)का तैयार किया है जिसमें एच आई वी संक्रमण रोग से तकरीबन मिलता जुलता सा ही है .तथा मनुष्यों में होने वाली इस रोग समूह (एच आई वी -एड्स प्रोग्रेशन )वृद्धि से मेल खाता है .
आनुवंशिक तौर पर तैयार की गई इन ख़ास कोशाओं को इस निदर्श में दाखिल करवाने के दो और छ :हफ्ता बाद चूहों के परिधीय रक्त ,प्लाज्मा और अंगों पर आज़माइश की गई .
पता चला सी डी -४ 'हेल्पर 'टी -सेल्स की तादाद बढ़ गई है .गौर तलब है CD ४ Helper T cells एच . आई. वी. संक्रमण के बाद तादाद में कम रह जाती हैं .जबकि आज़माइश के बाद खून में एच आई वी का स्तर घट गया था .
यानी कुलमिलाकर संक्रमण कम हुआ .
सी डी ४ कोशायें श्वेत रुधिर कणिकाएं ही होतीं हैं जो हमारे रोग रोधी तंत्र का एक ऐसा एहम हिस्सा होतीं हैं जो संक्रमण का मुकाबला करतीं हैं .भरसक बचाती हैं संक्रमण से .पता यह भी चला की आनुवंशिक तौर पर तैयार की गई कलम कोशायें (जेनेटिकली इंजीनियर्ड स्टेम सेल्स ) न सिर्फ पनप सकतीं हैं ऊतकों तक पहुँच कर ,वहां ढूंढ ढूंढ कर एच आई वी पर वार करतीं हैं .
अध्ययन 'PLoS Pathogens'जर्नल में प्रकाशित हुआ है .
टी सेल्स को ही बेअसर करके एच. आई. वी. संक्रमण आगे बढ़ता है .इन्हीं कोशाओं के दोष निवारण में उठाया गया यह पहला कदम है .अब यह एच. आई. वी. का डटकर मुकाबला कर सकेंगी .सशक्त अनुक्रिया करके इसकी रीढ़ तोड़ देंगी .
एडियों की बिवाई (फटन )से राहत के लिए पैर धोकर सोयें लेकिन तलुवों पर और एडियों में घी मलने के बाद ही बिस्तर में जाएँ .
यदि बाल झाड़तें हैं तब शिरोवल्क (खोपड़ी,सिर की खाल )में नारियल के तेल में मीठे नीम्बू (लाइम ) का रस मिलाकर उंगली के पौरों से धीरे धीरे लगाएं .
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
एच . आई. वी -एड्स :स्टेम सेल्स बोलेंगी हल्ला .
Stem cells Can be tweaked to hunt & kill HIV/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE ,APRIL 14,2012/P17.
अब आनुवंशिक इंजीनियरिंग के ज़रिये ऐसी कलम कोशायें तैयार की जा सकेंगी जो एच आई वी को ढूंढ निकाल उनपर धावा बोल देंगी .
यानी अब कलम कोशाओं को सोफ्ट वेयर देकर ऐसी इम्म्यून सेल्स (प्रति रक्षी )कोशाएं तैयार की जा सकेंगी जो सीधे- सीधे एच .आई. वी .को ही निशाने पे ले लेंगी .तथा जीवित ऊतकों में भी एच. आई. वी. विषाणु का शमन किया जा सकेगा .एनीमल मोडिल इस तरह के तैयार हैं .
मनुष्यों पर भी देर सबेर यह रणनीति आजमाई जा सकेगी .और एक दिन मानव शरीर से इसे खदेड़ बाहर किया जा सकेगा ऐसी उम्मीद बंध चली है .
केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के साइंसदानों ने आनुवंशिक प्रोद्योगिकी का स्तेमाल करके ऐसी ब्लड स्टेम सेल्स तैयार कर लीं हैं जो लड़ाकू टी -कोशाओं का दस्ता एच आई वी पर धावा बोलने के लिए खडा कर सकेंगी .ये किलर टी -सेल्स ऊतकों से ढूंढ ढूंढ कर एच आई वी का खात्मा करने में सक्षम होंगी .यहीं ऊतकों की ओट ले यह एच .आई .वी . विषाणु बहु -गुणित होता है अपना कुनबा बढाता है .
इस एवज साइंसदानों ने एक सर्रोगेड मोडिल (धाय माँ जैसा निदर्श ),मानवीकृत मूषकों (HUMANIZED MOUSE)का तैयार किया है जिसमें एच आई वी संक्रमण रोग से तकरीबन मिलता जुलता सा ही है .तथा मनुष्यों में होने वाली इस रोग समूह (एच आई वी -एड्स प्रोग्रेशन )वृद्धि से मेल खाता है .
आनुवंशिक तौर पर तैयार की गई इन ख़ास कोशाओं को इस निदर्श में दाखिल करवाने के दो और छ :हफ्ता बाद चूहों के परिधीय रक्त ,प्लाज्मा और अंगों पर आज़माइश की गई .
पता चला सी डी -४ 'हेल्पर 'टी -सेल्स की तादाद बढ़ गई है .गौर तलब है CD ४ Helper T cells एच . आई. वी. संक्रमण के बाद तादाद में कम रह जाती हैं .जबकि आज़माइश के बाद खून में एच आई वी का स्तर घट गया था .
यानी कुलमिलाकर संक्रमण कम हुआ .
सी डी ४ कोशायें श्वेत रुधिर कणिकाएं ही होतीं हैं जो हमारे रोग रोधी तंत्र का एक ऐसा एहम हिस्सा होतीं हैं जो संक्रमण का मुकाबला करतीं हैं .भरसक बचाती हैं संक्रमण से .पता यह भी चला की आनुवंशिक तौर पर तैयार की गई कलम कोशायें (जेनेटिकली इंजीनियर्ड स्टेम सेल्स ) न सिर्फ पनप सकतीं हैं ऊतकों तक पहुँच कर ,वहां ढूंढ ढूंढ कर एच आई वी पर वार करतीं हैं .
अध्ययन 'PLoS Pathogens'जर्नल में प्रकाशित हुआ है .
टी सेल्स को ही बेअसर करके एच. आई. वी. संक्रमण आगे बढ़ता है .इन्हीं कोशाओं के दोष निवारण में उठाया गया यह पहला कदम है .अब यह एच. आई. वी. का डटकर मुकाबला कर सकेंगी .सशक्त अनुक्रिया करके इसकी रीढ़ तोड़ देंगी .
3 टिप्पणियां:
बहुत आसान उपाय भी कितने फायदेमंद साबित होते है!....आभार!
दोनों की तकलीफ़ है, जल्दी ही अमल करते हैं।
बहुत आसान उपाय....आभार
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