कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र
-- भाग एक --
ब्रांड्स अकादमी कर्नाटक द्वारा प्रदत्त Best Holistic Centre In Bangalore के Service Excellence Award, 2011 से सम्मानित कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र ( KSCT - CURE FOR
INCURABLES ) के खोजकर्ता व निदेशक शेखर जेमिनी से एक लम्बी बातचीत पर आधारित रिपोर्ताज :
CURE FOR INCURABLES से आपका क्या अभिप्राय है ?
आधुनिक चिकित्सा पद्धति जिसको एलोपैथी
के नाम से भी जाना जाता है में लगभग एक हज़ार से ज्यादा बीमारियाँ असाध्य घोषित की
गईं हैं । यह अर्द्ध सत्य है । पूर्ण सत्य यह है कि वर्तमान में जितनी भी बीमारियाँ मौजूद हैं, एलोपैथी उनमें से एक को भी Cure नहीं कर सकती इसलिए उन्होंने एक झूठा दर्शन
दिया कि Nothing Can be Cured, Diseases
can be either Controlled or Suppressed जबकि आयुर्वेद तथा अन्य
प्राचीन लोक चिकित्सा पद्धतियों के अनुसार कुछ विशेष बीमारियाँ दुस्साध्य तो हो
सकतीं हैं लेकिन असाध्य नहीं । KSCT इसी दर्शन का निष्पादन है । उदाहरण के लिए मधुमेह, दमा, किडनी फेलियोर, कैंसर और HIV+ इत्यादि समुचित इलाज़ के द्वारा सामान्यतया साध्य हैं ।
फिर असाध्य क्या है ? असाध्य कोई बीमारी विशेष नहीं है जैसा एलोपैथी कहती
है । किसी बीमारी की अत्यंत विकसित अवस्था (Terminal stage) असाध्य हो सकती है । लेकिन वह बीमारी विशेष शुरू से ही असाध्य नहीं होती ।
मधुमेह टाइप - १ एक Autoimmune Disease है जिसमें शरीर की ‘रोग प्रतिरक्षा प्रणाली’ इंसुलिन पैदा करने वाले अग्नाशय (Pancreas) पर आक्रमण कर देती है जिससे दो स्थितियां पैदा होतीं हैं :
( १ ) पैनक्रियाज़ में प्रकार्यात्मक विकार ( Functional
disorder ) पैदा होने के कारण उसमे इंसुलिन
उत्पादन की क्षमता नष्ट हो जाती है |
( २ ) रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के आक्रमण के फलस्वरूप अग्नाशय आंशिक अथवा पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है ।
मधुमेह टाइप - २ में अग्नाशय नष्ट नहीं
होता सिर्फ उसकी इंसुलिन उत्पादन की क्षमता में कमी आ जाती है। मधुमेह की उपर्युक्त अवस्थाओं में सिर्फ टाइप - १ का दूसरा प्रकार, जिसमें अग्नाशय पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो जाता है, असाध्य है । बाकी सभी प्रकार के मधुमेह KSCT के अंतर्गत साध्य
हैं ।
दूसरा उदाहरण :
वृक्क दोष अथवा किडनी फेलियोर जिसको Chronic Renal Failure के नाम से भी जाना जाता है, इस रोग की भी एलोपैथी में कोई दवा
नहीं है । इसलिए उनके पास सिर्फ दो ही विकल्प
हैं : पहला यांत्रिक प्राविधियों से खून का शुद्धिकरण
अर्थात Dialysis, दूसरा Kidney Transplantation अर्थात गुर्दा प्रत्यारोपण ।
वस्तुत: किडनी फेलियोर का मतलब किडनी डेमेज (Kidney Damage) नहीं हैं | यह फंक्शनल फेलियोर है, अंग विशेष का क्षतिग्रस्त होना नहीं है । क्योंकि गुर्दों के छोटे छोटे छिद्र, जिनसे रक्त छनता है, वो बंद हो जाते हैं । ऐसा शरीर में विषाक्त गंदगी के बढ़ने के कारण होता है ।
KSCT के अंतर्गत सिर्फ दवाई के द्वारा इन बंद
हुए छिद्रों को प्रभावी ढंग से पुन: खोला जा सकता है ।
Virendra Kumar Sharma
11 टिप्पणियां:
बीच-बीच में,थोड़ा-बहुत इलाज़ भी बताते चलें तो अच्छा हो।
बहुत उपयोगी पोस्ट, आभार!
jaankariyon se lbrej sarthak post
nice information
but they need prove everything through clinical research and proofs.
बहुत उपयोगी एवं कारगर!
अओका लिखा जानकारी लिए होता है हमेशा ...
राम राम जी ...
acchi jankari....
bahut upyogi jankari.aabhar
बहुत बढ़िया कारगर उपयोगी जानकारी देती प्रस्तुति,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
Very Informative....
श्री राधारमण जी,
" बीच-बीच में,थोड़ा-बहुत इलाज़ भी बताते चलें तो अच्छा हो।" अवश्य, लेकिन वो इलाज KSCT का नहीं होगा| हाँ, घरेलु या लोक चिकित्सा के अंतर्गत सरल उपाय बताये जा सकते हैं, यदि आपको उचित व आवश्यक लगें |
Rgds,
SHEKHAR GEMINI
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