कुछ रसायनों का चलन भी बन सकता है मधुमेह रोग का सबब ?
रिसर्चरों के अनुसार कुछ सौन्दर्य प्रशाधनों ,प्लास्टिक्स और खिलौनों में प्रयुक्त रासायनिक तत्व भी मधुमह रोग के खतरे के वजन को बढ़ा सकते हैं .यदयपि कुछ माहिर इस विचार के कायल नहीं है .
स्वीडन की 'Uppsala University 'के रिसर्चरों की एक टीम ने पता लगाया है कि जिन लोगों के खून में एक रसायन समहू -'Phthalates ' का साधारण स्तर भी देखा जाता है उनके लिए मधुमेह रोग की चपेट में आ जाने का ख़तरा दोगुना ज्यादा हो जाता है .अखबार डेली टेलीग्राफ ने इस अध्ययन के रिपोर्ट को प्रकाशित किया है .
उक्त रसायन समूह का स्तेमाल (चलन) एक सोफ्त्निंग एजेंट के रूप में 'Clingfilm' एवं प्लास्टिक्स में किया जाता है .इन्हें कुछ सौन्दर्य प्रशाधन यथा 'Tans' (त्वचा को भूरा suntan देने वाले कारक ) और Perfumes में भी स्तेमाल किया जा सकता है .
रिसर्चरों ने अपने शोध का आधार उन आंकड़ों के विश्लेषण को बनाया है जो ७० साला तकरीबन १००० लोगों से ताल्लुक रखतें हैं जिनमें से ११४ मधुमेह ग्रस्त हो गए थे .जर्नल डायबिटीज़ केयर में ये आंकड़े प्रकाशित हुए हैं .
विश्लेषण में उन कारकों जोखिम वाले तत्वों को भी मद्दे नजर रखा गया है जो सेकेंडरी डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ा देतें हैं यथा -मोटापा ,धूम्रपान ,हाई कोलेस्ट्रोल .पता चला जिनके खून में 'phthalates ' रसायन समहू का स्तर उच्च बना रहता है उनके लिए मधुमेह रोग की चपेट में आने के मौके बढ़ जातें हैं .संभावना मधुमेह रोग की बढ़ जाती है .
इससे इस अवधारणा को बल मिलता है कि कुछ रसायन भी मधुमेह रोग की वजह बन सकते हैं हालाकि इसकी अन्यत्र पुष्टि होना अभी बाकी है .
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
रिसर्चरों के अनुसार कुछ सौन्दर्य प्रशाधनों ,प्लास्टिक्स और खिलौनों में प्रयुक्त रासायनिक तत्व भी मधुमह रोग के खतरे के वजन को बढ़ा सकते हैं .यदयपि कुछ माहिर इस विचार के कायल नहीं है .
स्वीडन की 'Uppsala University 'के रिसर्चरों की एक टीम ने पता लगाया है कि जिन लोगों के खून में एक रसायन समहू -'Phthalates ' का साधारण स्तर भी देखा जाता है उनके लिए मधुमेह रोग की चपेट में आ जाने का ख़तरा दोगुना ज्यादा हो जाता है .अखबार डेली टेलीग्राफ ने इस अध्ययन के रिपोर्ट को प्रकाशित किया है .
उक्त रसायन समूह का स्तेमाल (चलन) एक सोफ्त्निंग एजेंट के रूप में 'Clingfilm' एवं प्लास्टिक्स में किया जाता है .इन्हें कुछ सौन्दर्य प्रशाधन यथा 'Tans' (त्वचा को भूरा suntan देने वाले कारक ) और Perfumes में भी स्तेमाल किया जा सकता है .
रिसर्चरों ने अपने शोध का आधार उन आंकड़ों के विश्लेषण को बनाया है जो ७० साला तकरीबन १००० लोगों से ताल्लुक रखतें हैं जिनमें से ११४ मधुमेह ग्रस्त हो गए थे .जर्नल डायबिटीज़ केयर में ये आंकड़े प्रकाशित हुए हैं .
विश्लेषण में उन कारकों जोखिम वाले तत्वों को भी मद्दे नजर रखा गया है जो सेकेंडरी डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ा देतें हैं यथा -मोटापा ,धूम्रपान ,हाई कोलेस्ट्रोल .पता चला जिनके खून में 'phthalates ' रसायन समहू का स्तर उच्च बना रहता है उनके लिए मधुमेह रोग की चपेट में आने के मौके बढ़ जातें हैं .संभावना मधुमेह रोग की बढ़ जाती है .
इससे इस अवधारणा को बल मिलता है कि कुछ रसायन भी मधुमेह रोग की वजह बन सकते हैं हालाकि इसकी अन्यत्र पुष्टि होना अभी बाकी है .
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
नुश्खे सेहत के :
नुश्खे सेहत के : प्रात :रोजाना ताज़ा सेव काटके नमक लगाके खाइए दीर्घावधि में सिर दर्द से बचाव मुमकिन है .
केला मसल के मैश करके दूध के साथ सेवन करने से अल्सर्स मी आराम आता है .
Have a mashed banana with milk for a few days to get rid of ulcers.
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
सीरत को देखो सूरत न देखो .
आज एक से एक बड़े माल्स , सुपर मार्किट्स ,बिग बाज़ार ,फ़ूड कोर्ट्स में बिकने वाले चिकने चुपड़े दर्शनीय सुदर्शन फल औरसुदर्शना तरकारियों के बरक्स इनकी पुरानी प्रजाति के सहोदर कहीं ज्यादा स्वास्थ्य कर और पोषक तत्वों से युक्त हैं
'Older varieties of fruits ,veggies were healthier 'Newer Super Markets Stocks Are Less Nutritious :Study
OLD IS GOLD :Today supermarkets select the best -looking stock when ,in fact ,plants produce more nutritious chemicals if they have bruises./TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE,APRIL 13,2012,P15.
एक पायलट स्टडी से इल्म हुआ है विक्टोरिया काल से चले आये वह सेब जो डेज़र्ट्स (मिष्ठान्न ) आदि में स्तेमाल होते आयें हैं बीमारियों से बचाव करने वाले एक रसायन की दस गुणा ज्यादा मात्रा से संयुक्त रहतें हैं बरक्स इनके लोक लुभाऊ संस्करणों के जो आज बड़े बड़े स्टोर्स की शोभा बढाते हें .
एक तीन साला अध्ययन में आइन्दा साइंसदानों की एक टीम शिरकत करने को तैयार है जो सेव ,केला ,आम ,चाय आदि के परम्परा गत किस्मों का सूक्ष्म अध्ययन विश्लेषण करेगी .
यह पहले ही जाना जा चुका है कि Cider बनाने में प्रयुक्त होता आया 'Egremont Russet apple ' किस्म का सेव अपने ही चमकदार पतले छिलके वाले संकर संस्करणों ,अपने ही दिखाऊ सहोदरों के बरक्स एक रसायन 'Phloridzin' से कहीं ज्यादा सना हुआ है .यह रसायन हमारे पाचन तंत्र से कहीं ज्यादा शर्करा खुद ज़ज्ब कर लेता है . और इस प्रकार सेकेंडरी डायबितीज़ के खतरे के वजन को कम कर देता है .
लेकिन प्रति एकड़ फसल इसका उत्पादन अपेक्षाकृत कम रहता है .अलावा इसके इसकी शक्ल सूरत भी गुमटेदार है साफ़ सुथरी आकर्षक नहीं है . इसलिए इसके उत्पादन को बढ़ावा नहीं दिया गया है .
पहली और पिछली पीढ़ी के फल और तरकारियाँ सैंकड़ों ऐसे उपयोगी रसायनों से संसिक्त रहते थे जो सैंकड़ों ऐसी बीमारियों से बचाए रहते थे जिनसे आज हम ग्रस्त हो जाते थे ..
इन रसायनों में शामिल थे -सैली -साय्लेट्स (एस्पिरिन इसी से बनाई जाती है ),इसके संशोधित संस्करण का कैंसर रोग समूह से बचाव में भी आज हाथ पाया गया है .
आज महीनों महीना बड़े पैमाने पर उत्पादित होने वाले फल और तरकारियाँ कोल्ड स्टोरेजों में पड़े रहतें हैं .ताकि इनके पकने की प्रक्रिया को देर तक मुल्तवी रखा जा सके .लेकिन इस सबके चलते इनके छिलकों और चमड़ी में से विटामिन्स बड़ी मात्रा में छीज जाते हैं .
सुपर मार्केट्स का पूरा फोकस इनकी रंगत पर होता है सूरत पर होता है सीरत पर नहीं .जबकी इनकी ही गुमटेदार (bruised fruits )वेरायटी कहीं ज्यादा पोषक तत्व समेटे रहती है . इनमें कहीं ज्यादा पुष्टिकर पादप रसायनों का डेरा रहता है .ये ब्रूज़िज़ एक डिफेन्स मिकेनिज्म(बचावी रणनीति ) के तहत पनप आतें हैं .ताकि पोषक तत्वों की हिफाज़त हो सके .
ध्यान फलों के पुष्टिकर तत्वों उन्हें सेहत के मुफीद बनाए रखने की तरफ दिया जाना चाहिए न की उनकी बाहरी टीम टाम दिखाउपन पर ,ललचाऊ रंगत पर .! राम राम भाई !
राम राम भाई !राम भाई !
केला मसल के मैश करके दूध के साथ सेवन करने से अल्सर्स मी आराम आता है .
Have a mashed banana with milk for a few days to get rid of ulcers.
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
सेहत :सीरत को देखो सूरत न देखो .
आज एक से एक बड़े माल्स , सुपर मार्किट्स ,बिग बाज़ार ,फ़ूड कोर्ट्स में बिकने वाले चिकने चुपड़े दर्शनीय सुदर्शन फल औरसुदर्शना तरकारियों के बरक्स इनकी पुरानी प्रजाति के सहोदर कहीं ज्यादा स्वास्थ्य कर और पोषक तत्वों से युक्त हैं
'Older varieties of fruits ,veggies were healthier 'Newer Super Markets Stocks Are Less Nutritious :Study
OLD IS GOLD :Today supermarkets select the best -looking stock when ,in fact ,plants produce more nutritious chemicals if they have bruises./TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE,APRIL 13,2012,P15.
एक पायलट स्टडी से इल्म हुआ है विक्टोरिया काल से चले आये वह सेब जो डेज़र्ट्स (मिष्ठान्न ) आदि में स्तेमाल होते आयें हैं बीमारियों से बचाव करने वाले एक रसायन की दस गुणा ज्यादा मात्रा से संयुक्त रहतें हैं बरक्स इनके लोक लुभाऊ संस्करणों के जो आज बड़े बड़े स्टोर्स की शोभा बढाते हें .
एक तीन साला अध्ययन में आइन्दा साइंसदानों की एक टीम शिरकत करने को तैयार है जो सेव ,केला ,आम ,चाय आदि के परम्परा गत किस्मों का सूक्ष्म अध्ययन विश्लेषण करेगी .
यह पहले ही जाना जा चुका है कि Cider बनाने में प्रयुक्त होता आया 'Egremont Russet apple ' किस्म का सेव अपने ही चमकदार पतले छिलके वाले संकर संस्करणों ,अपने ही दिखाऊ सहोदरों के बरक्स एक रसायन 'Phloridzin' से कहीं ज्यादा सना हुआ है .यह रसायन हमारे पाचन तंत्र से कहीं ज्यादा शर्करा खुद ज़ज्ब कर लेता है . और इस प्रकार सेकेंडरी डायबितीज़ के खतरे के वजन को कम कर देता है .
लेकिन प्रति एकड़ फसल इसका उत्पादन अपेक्षाकृत कम रहता है .अलावा इसके इसकी शक्ल सूरत भी गुमटेदार है साफ़ सुथरी आकर्षक नहीं है . इसलिए इसके उत्पादन को बढ़ावा नहीं दिया गया है .
पहली और पिछली पीढ़ी के फल और तरकारियाँ सैंकड़ों ऐसे उपयोगी रसायनों से संसिक्त रहते थे जो सैंकड़ों ऐसी बीमारियों से बचाए रहते थे जिनसे आज हम ग्रस्त हो जाते थे ..
इन रसायनों में शामिल थे -सैली -साय्लेट्स (एस्पिरिन इसी से बनाई जाती है ),इसके संशोधित संस्करण का कैंसर रोग समूह से बचाव में भी आज हाथ पाया गया है .
आज महीनों महीना बड़े पैमाने पर उत्पादित होने वाले फल और तरकारियाँ कोल्ड स्टोरेजों में पड़े रहतें हैं .ताकि इनके पकने की प्रक्रिया को देर तक मुल्तवी रखा जा सके .लेकिन इस सबके चलते इनके छिलकों और चमड़ी में से विटामिन्स बड़ी मात्रा में छीज जाते हैं .
सुपर मार्केट्स का पूरा फोकस इनकी रंगत पर होता है सूरत पर होता है सीरत पर नहीं .जबकी इनकी ही गुमटेदार (bruised fruits )वेरायटी कहीं ज्यादा पोषक तत्व समेटे रहती है . इनमें कहीं ज्यादा पुष्टिकर पादप रसायनों का डेरा रहता है .ये ब्रूज़िज़ एक डिफेन्स मिकेनिज्म(बचावी रणनीति ) के तहत पनप आतें हैं .ताकि पोषक तत्वों की हिफाज़त हो सके .
ध्यान फलों के पुष्टिकर तत्वों उन्हें सेहत के मुफीद बनाए रखने की तरफ दिया जाना चाहिए न की उनकी बाहरी टीम टाम दिखाउपन पर ,ललचाऊ रंगत पर .! राम राम भाई !
राम राम भाई !राम भाई !
10 टिप्पणियां:
बढ़िया प्रस्तुति |
बहुत उपयुक्त जानकारी!...आभार!
मेरी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी .....
मेरे वीरू भाई राम-राम ...
उपर की छे लाइन्स में मैंने माना है कि न मैं आप जैसा समझदार हूँ ,,
अनपढ़ हूँ ,मंद-बुद्धि हाथी से सामना कर सकता हूँ ,पर अकलमंद चींटी
से भी बहुत घबराता हूँ ....
आप महाज्ञानी हैं ..मांस से ज्यादा ऊँटनी का ढूध भी गुणकारी होगा ..
वो भी ठीक ...
".क्यों हाइप कर रहे हो मांस भक्षण" भाई जी ये लाइन आप ने कहाँ से कह दी
या मैंने कहाँ लिख दी ..कृपया मुझे बताएं ताकि मैं अपनी गलती सुधार सकूं |
मुझे आप पे पूरा भरोसा है ...कहीं तो भटक गया हूँगा मैं ? बस इसी लिए तो
बुद्धिमानो से घबराता हूँ |मेरा डर दूर करो वीरू भाई ...आभार|
हाँ, बचकर रहना होगा।
वीरू भाई , मुझे गर्व है ,हमारे भाईचारे और आपस की दोस्ती पर ,,,हम दोनों अपनी गलती मानने में एक मिनट नही लगाते ...बस इससे ज्यादा कुछ नही कह सकता ...आपने मुझे खूब पहचाना !!
आप का स्नेह सदा साथ बना रहे ...
खुश और स्वस्थ रहें!
बहुत उपयुक्त जानकारी
बहुत प्रालिफिक हो रहे हो वीरुभाई -एनेर्जी सोर्स क्या है :)
बहुत उपयोगी जानकारी...आभार
ये लेख पत्नी को पढ़वाना पढ़ेगा ... हा हा ...
राम राम जी ...
लगता है की आज का भोजन सिवाय वजन बढाने के कुछ और नहीं करता. वैसे भी बगीचे से तोड़कर खाए गए साधारण फल व सब्जियों का आनन्द इन तेल मोम से चमकाए फल व सब्जियों में कहाँ है.
घुघूतीबासूती
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