बुधवार, 11 अप्रैल 2012

कुशला बुद्धि और उतनी ही योग्य और अनुभवी होतीं हैं .......

पक्षपात पूर्ण है  यह अवधारणा की लड़कियों का प्रदर्शन गणित में अच्छा नहीं होता .स्कूल के मास्साहब द्वारा फैलाया गया आग्रह मूलक भ्रम है ,यह महज़ एक  मिथ है यथार्थ नहीं .कुशला बुद्धि और उतनी ही योग्य और अनुभवी होतीं हैं लडकियां गणितीय कौशल में ,मेधा में ,प्रतिभा में .प्रतिभा को आप प्रतिभा न माने दुराग्रह ग्रस्त होकर यह और बात है .बहर -सूरत सिर्फ मर्दों का दायरा नहीं है  गणित .मर्द और औरत के बीच जैविक वैषम्य का गणितीय कौशल से  कोई लेना देना नहीं है .
हम नहीं कहते यह .सार तत्व है ,यह एक नवीनतर अध्ययन का .
टेक्सास  विश्व  -विद्यालय के रिसर्चरों के अनुसार शिक्षकों में लड़कियों की गणितीय योग्यता को कमतर दिखाने की जन्मजात प्रवृत्ति रहती है भले लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों के ही समान हो .तुलनीय हो .भले उनके ग्रेड्स और टेस्ट्स स्कोर लड़कों के बराबर हों समतुल्य हों .ये प्रदर्शन देख चौकेंगे ज़रूर मगर मानेंगे नहीं .
लड़कियों के खिलाफ एक दुराग्रह मूलक रुझान , पक्षपात होता है भले परिमाण में कम हो उतना न हो ,इस बात की पुष्टि  ही शोध  कर्ताओं ने की है .शिक्षक परम्परा से गणित को लड़कों की टेरिटरी ,क्षेत्र मानतें हैं (भारत में तो अभी कल तक यही समझा जाता था ,टीचिंग ,नर्सिंग ,कढाई ,बुनाई ,सिलाई ,ही लड़कियों के काम हैं .जबकि 'लाइव कंप्यूटर शकुन्तला 'को इन पक्ष पातियों ने महज़ अपवाद कहकर छोड़ दिया है .).बूझते आयें हैं गणित के प्रश्न हल करना समझना लड़कों के लिए आसान काम है .  
लाइव साइंस में यह अध्ययन प्रकाशित है .
बेशक   शिक्षक अपने  अनजाने  ,अवचेतन  से संचालित  रहे  आयें हों ,यह पक्षपाती  अवधारणा उनके खून  में चली  आई  हो,पितृ -सत्तात्मक समाजों की विरासत के बतौर , अति  सूक्ष्म  स्तर  पर  ,परन्तु  यह मौजूद है .इससे इनकार नहीं किया जा सकता .और अब तो रिसर्च भी इस अवधारणा की बखिया उघाड़ने को हाज़िर है .

8 टिप्‍पणियां:

Aruna Kapoor ने कहा…

यह धारणा पुराने जमाने की है...जब लड़कियों को घर के कामों से निकल कर पढ़ाई के लिए समय ही नहीं मिलता था!...गणित या किसी भी विषय को आत्मसात करने के लिए गहरे अध्ययन की जरुरत होती है और उसके लिए पर्याप्त समय का होना भी आवश्यक होता है!...बहुत सुन्दर आलेख....आभार!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

किसने कहा कि लड़कियां हिसाब किताब में तेज नहीं होती हैं, फिर सारी सैलरी श्रीमतीजी के हाथ में क्यों रखी जाती है।

Arvind Mishra ने कहा…

सारी गृह आर्थिकी वही तो सम्भालती हैं -कम से कम मैं तो बहुत कमज़ोर हूँ गणित में !

virendra sharma ने कहा…

लीजिएगा एक स्वयं सिद्ध सबूत अपने सुप्रिय प्रवीण पांडे जी ने मुहैया करवा दिया औरतों की गणित माहिरी का प्रवीण- ता का कि औरतें मर्द की जेब ही नहीं दिल का भी पूरा हिसाब किताब रखतीं हैं .कब और कहाँ -कहाँ काम लिया गया है इससे .मर्द उसीको तनखा पकड़ा कर निश्चिन्त हो जाता है .वाही होती है योजना आयोग की मुखिया .

मनोज कुमार ने कहा…

ये प्रदर्शन देख चौकेंगे ज़रूर मगर मानेंगे नहीं .
मन की बात!

Kunwar Kusumesh ने कहा…

गणित में बहुत तेज़ छात्राएं भी मैंने देखी हैं.

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

आप सही कह रहे हैं, मेरे भी गणित में शत-प्रतिशत नम्‍बर आते थे।

वाणी गीत ने कहा…

अभ्यास नहीं छूटने तक गणित में अच्छे मार्क्स आते रहे , बल्कि अपनी कक्षा में सबसे अधिक !
मेरी कम पढ़ी लिखी माँ सवा और अढाई के जोड़ तक अँगुलियों पर ही कर लेती थी !