रविवार, 1 अप्रैल 2012

तैयारी पूरी है एक अल्ज़ाइमर्स टीके की .

तैयारी पूरी है एक अल्ज़ाइमर्स टीके की .
Vaccine against Alzheimer's on the anvil?/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE P23.,MARCH 31,2012.
विज्ञानियों को इस बात का इल्म हुआ है ,कौन सी प्रोटीन उत्परिवर्तित होकर अल्जाइ -मर्स   रोग की नींव रखती है याददाश्त क्षय की वजह बनती है और इसी के साथ इसके खिलाफ एक असरकारी टीका बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है .साइंसदानों के मुताबिक़ यह टीका न सिर्फ अल्जाइमर्स का इलाज़ बन सकता इस आमफ़हम डिमेंशिया का बचावी टीका भी साबित हो सकता है रोग के शुरूआती चरण में यह इसके बढ़ने को एक दम से रोक भी सकता है .
अल्जाइमर्स के लिए कुसूरवार एक ताऊ प्रोटीन को लक्षित करके काम किया जा रहा है इस  टीके पर .
क्यों और कब यह मित्र प्रोटीन खराब प्रोटीन में तब्दील हो याददाश्त क्षय की वजह बन जाती है .जहां याददाश्त निर्माण में यह प्रतिभागी की भूमिका में मेहनत करती आई है दिमाग के प्रकार्य में इसका साझा रहता है ,वहीँ उत्परिवर्तित अवस्था में यह दुश्मन की भूमिका में आ जाती है .यह खराब प्रोटीन का रूप धरके दिमागी कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है .इसीलिए तो अल्जाइमर्स को एक न्यूरो -डि-जेन -रेटिव डिजीज अप -विकासी रोग कहा जाता है .जिसमे दिमाग का साइज़ ही सिकुड़ जाता है .
गौर तलब है इस रोग को पनपने में कोई दस साल लगजातें हैं यही वह विंडो पीरियड है जब यह मित्रवत ताऊ प्रोटीन शत्रुता पूर्ण रुख ले लेती है . जल्दी शिनाख्त का मतलब है इसके बढ़ने पर लगाम और इसका पुख्ता इलाज़ .करेगा यह टीका .

शनिवार, 31 मार्च 2012

.कैंसर एन -साइकलो -पीडिया रखेगा नै दवाओं की नींव .

कैंसर एन -साइकलो -पीडिया रखेगा नै दवाओं की नींव .
ज़रा सोचिये कैंसर रोग समूह पर  अद्यतन हुए काम की जानकारी माहिरों और आम जन के लिए समान रूप से कितनी कारगर हो सकती है .
कितना रोचक हो सकता है यह जानना ,सैंकड़ों कैंसर कोशायें कैसे अनुक्रिया करतीं हैं कैसा और कैसे रेस्पोंड  करती है कैंसर एजेंट्स के प्रति .और वह भी सब एक महाग्रंथ की मार्फ़त . 
अब एक मरीज़ के जीनोम के अनुरूप पूरे उसके जीन रचाव ,जीवन इकाइयों के नैन -नक्श के अनुरूप व्यक्ति विशेष के अनुरूप ख़ास कैंसर रोधी दवाएं निकट भविष्य में बनाई जा सकेंगी .,ऐसी उम्मीद बंध चली है इस एक सन्दर्भ ग्रन्थ के सहज सुलभ हो जाने से .
अब कैंसर के इलाज़ के लिए एक से एक नै दवाओं के निर्माण का रास्ता खुल गया है .टेलर मेड दवाएं सिर्फ आपके लिए तैयार की जा सकेगी आपकी जीन -कद -काठी के अनुरूप .आपकी शख्शियत के अनुरूप .
कैंसर अन्वेषण की दिशा में इतना भर हुआ है अब तक ,प्रयोगशाला में कुछेक कैंसर कोशायें तैयार कर ली गईं हैं .इसका फायदा यह हुआ है कुछ नै ईजाद की गई दवाओं के असर की कैंसर मरीजों पर असर की पड़ताल की जा सकी है .अब एक साथ दुनिया भर  में फैले कैंसर संस्थानों के माहिरों और रिसर्चरों ने एक साथ दो पर्चे विज्ञापित किये हैं इनमें सैंकड़ों कैंसर सेल लाइंस की इत्तला दी गई है .
इस काम में कैम्ब्रिज के नजदीक स्थित 'wellcome Trust Sanger Institute 'की  एक टीम के अलावा अन्यान्य संस्थानों के माहिरों का योगदान रहा है .
टीम ने ६०० से ज्यादा सेल लाइंस की स्क्रीनिंग की है .इन पर तकरीबन १३० अलग अलग किस्म की दवाओं के पड़ने वाले असर की पड़ताल की है . इस प्रकार ड्रग सेंसिटिविटी से सम्बद्ध जेनेटिक सिग्नेचर्स की शिनाख्त भी कर ली गई है .अभी मिलने वाले संकेतों से मरीजों का बहुत भला हो सकता है .इसी के साथ साथ बच्चों में होने वाले एक विरल अश्थी कैंसर की जानकारी भी मिली है .उस पर पड़ने वाले दवाओं के असर की भी .
एक ही जगह पर व्यापक आकड़ों का नेट वर्क पहली दफा उपलब्ध हुआ है माहिरों  को .कौन सी सेल लाइन बेहद सेंसिटिव है और इस सेंसिटिविटी की आखिर वजह क्या है यह भी इल्म हुआ है .
राम राम भाई !   राम राम भाई !   राम राम भाई !
नुश्खे सेहत के :
ओरेंज बेल पेपर (नारंगी रंग की शिमला मिर्च जिसे अमरीका में बेल पेपर कहा जाता है ):
'zeaxanthin' का सर्वोत्तम स्रोत है बेल पेपर .यही वह तत्व है जो सफ़ेद मोतिया बिन्द (केटेरेक्ट)और उम्र दराज़ लोगों के रोग, मेक्युलर दिजेंरेशन से बचाए रह सकता है .
पीली और लाल रंग की बेल पेपर :विटामिन -सी ,Capsaicin तथा फ़्लेवोनोइद्स का भण्डार लिए हुए हैं .एक तरफ यह तत्व खून का थक्का बनना  मुल्तवी रखतें हैं दूसरी तरफ हृदय एवं दिमागी  दौरों (ब्रेन अटैक )से बचाव करतें हैं . राम राम भाई !
डिप्रेशन का समाधान 'इलेक्ट्रो -एक्यु -पंक्चर '?
अवसाद के समाधान के लिए इनदिनों एक्यु -पंक्चर में प्रयुक्त सुइयों को आवेशित कर स्तेमाल किया जा रहा है .समझा जाता है इससे इस परम्परा गत प्राविधि की प्रभाव -शीलता ,प्रभ -विष्णुता असर -कारिता बढ़ जाती है .होन्ग कोंग में संपन्न एक अध्ययन से यही संकेत मिलें हैं .स्कूल ऑफ़ चाइनीज़ मेडिसन ,होन्ग कोंग विश्व -विद्यालय के रिसर्चरों ने इस संशोधित प्राविधि 'इलेक्ट्रो -एक्यु -पंक्चर 'की आजमाइशें  की हैं .
कुल ७३ प्रतिभागियों के सर के सात अलग अलग एक्यु -प्रेशर पॉइंट्स को इस प्राविधि से उत्तेजन प्रदान किया गया था .गत सात सालों में यह अनेक बार अवसाद की चपेट में चले आये थे .
सन्दर्भ -सामिग्री :New way to treat depression /TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE ,P15,MAR30,2012..

5 टिप्‍पणियां:

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

महत्वपूर्ण जानकारी।
आपके पास से ज्ञान-विज्ञान की बहुत सारी नई बातें जानने-सीखने को मिल जाती हैं।

Maheshwari kaneri ने कहा…

महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत आभार आप का वीरु भाई...

virendra sharma ने कहा…

नए प्रतीक और अर्थ लिए आते हैं आपके दोहे सहज आत्मा का स्पर्श करते हुए मद चूर को आईना दिखाते हुए देते हुए एक सीख ,भाव बोध अर्थ जीवन का जगत का .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एक टीका और १ जीबी की मेमोरी वापस..

virendra sharma ने कहा…

दोहे


बाहर के सौंदर्य को , जानो बिल्कुल व्यर्थ,
जो अंतर्सौंदर्य है, उसका ही कुछ अर्थ।

समय नष्ट मत कीजिए, गुण शंसा निकृष्ट,
जीवन में अपनाइए, जो गुण सर्वोत्कृष्ट।

चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,
हरदम पीसें और को, शोर करें खुद रोग।

इतना डरते मौत से, कुछ की ये तकदीर,
जीने की शुरुआत भी, कर ना पाते भीर।

कार्य सिद्ध हो कर्म से, है यह बात अनूप,
होनहार ही होत है, आलस का ही रूप।

क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।

जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।

-महेन्द्र वर्मा
http://shashwat-shilp.blogspot.in/