मंगलवार, 28 सितंबर 2010

संकोच भावना से बाहर लाने के लिए नेज़ल स्प्रे

नाव ,ए स्प्रे टू कम्बैट शाई -नेस .लव हारमोन ओक्सी -टोसिन बूस्ट्स सोसल स्किल्स व्हेन एड -मिनिस -तर्ड थ्रू नोज़ .रिसर्चर्स से दी फ़ाइन्दिन्ग्स कुड हेव सिग्नीफिकेंट इम्प्ली -केसंस फॉर डोज़ विद सीवियर सोसल डेफि -शियेंसीज़ ,ओफ्तिन अपरेंट इन कंडी -संस लाइक ऑटिज्म .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २७ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
उन तमाम लोगों के लिए एक अच्छी खबर है जो सामाजिक सभा जलसों ,पारिवारिक समारोहों में संकोच भावना में सिमटे एक तरफ खड़े रहतें हैं अपने को सामाजिक ताने बाने से अलग थलग पातें हैं .घुल मिल नहीं पातें संकोच भावना में फंसे .साइंसदानों ने ऐसे तमाम लोगों की संकोच और झेंप तोड़ने वाला एक नेज़ल स्प्रे तैयार कर लेने का दावा किया है ।
साइंसदानों की इस अंतर -राष्ट्रीय टोली ने पता लगाया है ,दिमागी हारमोन "ऑक्सीटोसिन '"जो तदानुभुती (इम्पैथी ) और दूसरों की भावना को समझ उनसेऔर उनके प्रति सहानुभूति की भावना में वृद्धि करने में मददगार रहता है ,संकोची व्यक्ति की संकोच को भी परे ढकेल उसकी सोसल स्किल्स में इजाफा करता है .बस इसका स्तेमाल एक नेज़ल स्प्रे के रूप में करने की ज़रुरत है ।
लेकिन जो पहले से ही सामाजिक हुनर में आगे हैं आत्मविश्वाश से सराबोर रहतें हैं "ऑक्सीटोसिन हारमोन "उनपर अपना असर ना के बराबर ही दिखाता है .शान होतें हैं महफ़िल कीये ,शान ही रहतें हैंता -उम्र ।
अलबत्ता आत्म -विमोही(ऑटिज्म सिंड्रोम में फंसे )लोगों पर इसका असर पड़ता है ।
बेशक 'ओक्सी-टोसिन हारमोन "सभी को दूसरो की भावना को समझकर उनसे जुड़ने में मदद करता है लेकिन ज्यादा मदद उनकी ही करता हैजो सामाजिक सरोकारों में दक्ष नहीं हैं ,प्रोफि -शियेंत नहीं हैं सोशियाली ।
माउंट सिने स्कूल ऑफ़ मेडिसन ,न्यू -योर्क विश्व विद्यालय के लीड रिसर्चर जेनिफर बर्त्ज़ ने इस शोध का नेत्रित्व किया है .चुनिन्दातौर पर उन लोगों पर ही जो सोसल कोग्नीसन (सामाजिक बोध ,बुद्धि -विलास )में पीछे हैं ऑक्सीटोसिन अपना असर दिखाता है .जो पहले से ही दक्ष है उन पर नहीं ।
अपने अध्ययन में रिसर्चरों ने २७ तंदरुस्त मर्दों पर अपने परीक्षण किये .या तो इन्हें नेज़ल स्प्रे की मार्फ़त हारमोन दिया गया या सिर्फ प्लेसिबो स्प्रे ।
अब इन्हें दूसरों को ज़ज्बाती बातें परस्पर शेयर करते दिखलाया गया .इसके बाद इनसे कहा गया वह बतलाये वह उनके बारे में कैसी तदा -नुभूति रखतें हैं कितना समझ पाए हैं इनकी आप बीती को ,कितनी हमदर्दी रखतें हैं आप इनसे .कितना एमफेथेतिक है आप ?
पता चला ऑक्सीटोसिन इम्पैथी में इजाफा करता है .लेकिन सामाजिक तौर पर संकोची जीवों को ही इसका ज्यादा फायदा पहुंचता है .ऑक्सीटोसिन उनकी सोसल स्किल्स ,सोसल प्रो -फिशियेंसी को बढाता है .दे बिकम मोर इमपेथेतिक.बहिर -मुखी(एक्स -टरो -वर्ट) लोगों की बराबरी करने लगतें हैं ये लोग .

1 टिप्पणी:

virendra sharma ने कहा…

shukriyaa maadhav bhaai .
veerubhai .