गुरुवार, 16 सितंबर 2010

चार साला आपका लाडला समझने लगता है "व्यंग्य -उक्ति "

किड्स एज यंग एज ४ अंडर -स्टेंड आयरनी(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १६ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
एक नवीन अध्ययन के अनुसार चार साल तक आते आते बच्चे परिहास और व्यंग्य विनोद की भाषा समझने बोलने लगतें हैं .घर में बड़ों का,माँ -बाप का परस्परवह उनके साथ व्यवहार उनपरभी अपना भाषिक असरअसर दिखाता है ।
कनाडा, मोंट्रियल विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने पता लगाया है चार साला नौनिहाल बड़ों द्वारा हास परिहास ,व्याज- निंदा ,विडंबना ,वक्रोक्ति में कही गई कमसे कम एक दो बातें ज़रूर समझने लगतें हैं इतनी छोटी सी उमरिया में भी .हालाकि ६ साल की उम्र में ही वह इसे पूरी तरह बूझ समझ पातें हैं लेकिन अतिश्योक्ति को वह इस उम्र (चार साला )में भी थोड़ा बहुत बूझ ज़रूर लेतें हैं .किसी स्थिति का असामान्य या अप्रत्याशित अंश जो विचित्र या हास्य जनक लगे उन्हें समझ आने लगता है ।
३९ में से २२ परिवारों के बच्चे जिनको अध्ययन में शरीक किया गया था कटाक्ष या व्यंग्य पूर्ण टिपण्णी को कुल मिलाकर समझ ही लेतें थे ।
पूर्व के अध्ययनओं के अनुसार ८-१० साल की उम्र से पहले बच्चों के लिए विडम्बना को समझना टेडी खीर ही माना समझा गया था .यह कहना है अध्ययन के ऑथर स्टेफनी अलेक्सान्दर का .आप विश्विद्यालय के सामाजिक एवं बचावी चिकित्सा विभाग में पोस्ट डोक -टोरल स्त्यु -डेंट हैं .ब्रितानी जर्नल डिव -लप -मेंटल साइकोलोजी में अध्ययन प्रकाशित हुआ है .

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