बुधवार, 15 सितंबर 2010

सबसे मुफीद दवा है मित्रों परिवारियों का संग साथ

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी तथा नोर्थ केरोलिना विश्व -विद्यालय चपल हिल कैम्पस के रिसर्चरों ने पता लगाया है जो लोग सामाजिक संबंधों से बंधे गुथें रहतें हैं एक मजबूत सोसल नेट्वर्किंग के साथ दिन रात जीतें हैं समुदायों में जिनकी उठ बैठ रहती है उनके अध्ययन के दरमियान मरने की संभावनाघट कर ५०% कम रह गई थी .बनिस्पत उनके जिनका बिरले ही कोई नाम लेवा था .संगी साथी या मित्र था ।
स्वस्थ और दीर्घ जीवन के लिए यार दोश्त,नातें रिश्तों की वक्त बेवक्त इमदाद मिलते रहना ज़रूरी है .सबसे बड़ी दवा है अपनों का संग साथ हर पल ,प्रति -पल समर्थन .इस अमरीकी अध्ययन का यही मूल स्वर है .लम्बी खुशहाल ज़िन्दगी का भी यही राज है .अकेला चना क्या भाड़ झौंकेगा ?
इसीलिए तो किसी ने कहा होगा :आप जिनके करीब होतें हैं ,वो बड़े खुश नसीब होतें हैं ।
बशीर बद्र साहिब ने भी क्या खूब कहा है :बात कम कीजे ,ज़हानत को छिपाए रहिये ,ये नया शहर है ,कुछ दोस्त बनाए रहिये ।
ज़हानत माने इंटे -लेक्ट ।
सन्दर्भ सामिग्री :दोज़ विद लोटस ऑफ़ फ्रेंड्स लिव लोंगर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १५ ,२०१० ,पृष्ठ २३ ).

2 टिप्‍पणियां:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बहुत सटीक बात कही है।

virendra sharma ने कहा…

shukriyaa maim ,is daur ki yahi to traasdi hai ,apno ke beech ham sab aznbi hain ,apne apne aznabi .
veerubhai .