बुधवार, 22 सितंबर 2010

आगामी तीन सालों में उपग्रह संचार को ग्लोबी स्तर पर नुक्सान पहुंचा सकतीं हैं सौर ज्वालायें ?

सोलर फ्लेअर कुड पुटेंशियाली पेरेलाईज़ अर्थ इन थ्री ईयर्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया पब्लिकेशन ,मुंबई मिरर ,सितम्बर २२ ,२०१० ,साइंस -टेक ,पृष्ठ २५ )।
क्या हैं सोलर फ्लेअर्स ?
ए ब्रीफ स -डेन इरप्शन ऑफ़ हाई -एनर्जी हाइड्रोजन गैस (चार्ज्ड पार्टी- किल्स एंड आयंस ) फ्रॉम दी सर्फेस ऑफ़ दी सन ,असोशियेतिद विद सन स्पोट्स आर काल्ड सोलर फ्लेअर्स ।
सूरज के काले धब्बे (सन स्पोट्स ):सूरज के अपेक्षाकृत कम गरम हिस्से सन स्पोट्स कहलातें हैं .इनकी तादाद एक ११.२ साला चक्र में आवधिक तौर पर बढ़ कर अधिकतम हो जाती है .इनके गिर्द अति -शक्ति शाली चुम्ब कीय क्षेत्र मौजूद रहता है .बस एक डार्क एरिया सा प्रतीत होने लगता है इस दरमियान सूरज की सतह पर .हज़ारों हज़ार मील लम्बे हो सकतें हैं यहसौर धब्बे ।
सौर ज्वालायें भी सौर सक्रियता के महत्तम (सोलर मेक्सिमा )का एक सहज प्रति -फल हैं ।

संदर्भित रिपोर्ट को लेतें हैं :अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी "नासा "के साइंसदानों ने अनुमान लगाया है २०१२ -२०१३ तक सौर ज्वालायें पृथ्वी पर उपग्रह संचार में बड़े पैमाने पर खलबली पैदा कर ब्लेक आउट करवा सकती हैं (रेडियो -ब्लेक आउट )।
पूर्व के आकलन में साइंसदानों ने यह भी बतलाया था ,२०१३ में सौर चुम्बकीय ऊर्जा का शीर्ष अपने साथ बड़ी तादाद में सौर ज्वालाओं की बमबारी करवा सकता है पृथ्वी पर .ऐसे में विकिरण का स्तर बे काबू हो पृथ्वी पर चुम्बकीय तूफ़ान की वजह सहज ही बन सकता है .रेडियो -संचार को इससे भारी नुक्सान पहुँच सकता है .इंटरनेट तो ठप्प होगा सो होगा चुम्बकीय तूफ़ान अधुनातन इलेक्त्रोनी तंत्रों को ,इलेक्ट्रोनिक दिवाइसिज़ ,इलेक्त्रिसिती ग्रिड्स को चौपट कर सकता है .बेशक अभी अंतिम अन्वेषण ज़ारी है ।
इसी पर विचार गोष्ठी के लिए अमरीकी प्रति -रक्षा सचिव लिँ फॉक्स ने लन्दन में एक आपात कालीन बैठक बुलाई थी .आपने १८५९ में हुई ऐसी ही तबाही ऐसे ही चुम्बकीय विश्फोटोंकी याद दिलाई .ऐसा एक्स्प्लोज़न सौ सालों में बेशक एक मर्तबा ही होता है लेकिन सोलर फ्लेअर्स (सौर ज्वालाओं से )से मेसिव पावर सर्जेज़ आ सकतें हैं (ए स -डेन इनक्रीज इन दी फ्लोऑफ़ इलेक्ट्रिकल पावर कैन अकर ).सोलर फ्लेअर अपने साथएक इंटेंस सोलर प्रोमिनेस भी चंद मिनिटों तक ला सकती है .तबाही तो इस आकस्मिक चुम्बकीय तूफ़ान से होनी ही है .आल सिस्टम कैन कम टू ए स्टेंड स्टिल।
हम कितने ही सशक्त क्यों ना हो जाएँ हमारी प्रति -रक्षा बस उतनी ही मजबूत है जितनी की इसकी सबसे कमज़ोर कड़ी अरक्षित है .फॉक्स ने इस बैठक में यही कहा है .
एक ११ साला चक्र के तहत सौर सक्रियता मेक्सिमा -मिनीमा से गुज़रती है यानी शीर्ष को छूकर न्यूनतम पर आजाती है .२०१२ में न्यूनतम सक्रियता ख़त्म हो रही है .फिर शुरू होगा चुम्बकीय उफान का दौर .इसकी क्षति पूर्ती के लिएही एक विशाल सौर तूफ़ान पृथ्वी पर संचार नेट वर्क्स को निशाने पर ले सकता है .इस तूफ़ान में एक अनुमान के अनुसार १०० मिलियन हाई -ड्रोजन बमों के तुल्य विस्फोटक क्षमता हो सकती है ।
ऐसे ही तूफानों से पैदा तबाही की साक्षी हमारी पृथ्वी १८५९ तथा १९२१ में भी बन चुकी है .उस समय टेली -ग्राफ वायर्स का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ था .२०१२ इससे ज्यादाबड़ी तबाही का सबब बन सकता है .खुदा खैर करे .इंशा -अल्लाह सब ठीक होगा ?

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