शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

जीन को निशाने पे लेने वाली दवा कैंसर इलाज़ में क्रान्ति (ज़ारी )

(गत पोस्ट से आगे .......)
पहले मेला -नोमा (चमड़ी का एक खतरनाक कैंसर )को थोड़ा और समझें ।
मेला -नोमा:इट इज ए हाइली मलिग्नेंट ट्यूमर ऑफ़ मेला -निन -फोर्मिंग सेल्स ,दी मेलानो -साइट्स .सच ट्यूमर्स युज्युअली अकर इन दी स्किन (पेल स्किन जेनेटिक प्री -डिस्पो -जीशनएंड एक्सेसिव एक्सपोज़र टू सन -लाईट पट्टी -क्युलरली रिपिटिद सन -बर्न आर दी मोस्ट इम्पोर्टेंट फेक्टर्स ।).
इट कैन रेअरली अकर एट अदर साइट्स देन दी स्किन .मेला -नोमाज़ आर युज्युअली डार्क बट मेबी फ्री ऑफ़ पिगमेंट्स .स्प्रेड ऑफ़ दिस कैंसर टू अदर पार्ट्स ऑफ़ दी बॉडी स्पेशियली टू दी लिम्फ - नोड्स एंड लीवर इज कोमन इफ दी ओरिजिनल मेला -नोमा इज थिक.
ठीक होने की संभावना उतनी ही कम रहती है जितनी ज्यादा ट्यूमर की थिकनेस होती है .अलबत्ता ट्यूमर (कैंसर गांठ या ग्रोथ )की मोटाई ०.७६ मिलीमीटर से कम होने पर ज्यादातर मरीज़ ट्यूमर की शल्य तराशी(सर्जिकल एक्सीज़न) के बाद बच जातें हैं ।
जीन को टार्गेट कर मेला -नोमा कैंसर के खिलाफ तैयार की गई दवा को "पेंसिलिन एंटी -बाय -टिक 'की खोज तरह महत्वपूर्ण माना जा रहा है .कैंसर के खिलाफ जेहाद मे यह बघनखे पहने फौज का शत्रु पर टूटना माना जा रहा है ।
पी एल एक्स ४०३२ दवा तो पेंसिलिन की तरह एक शुरुआत भर है ।
ह्यूमेन जीनोम की डिकोडिंग के बाद इसका व्य- वश्थित स्तेमाल संभावनाओं के नए क्षितिज खोल रहा है .कैंसर की तार्किक समझ पैदा होने लगी है .कैंसर को जान समझकर इसमें संभावित परिवर्तन की टोह लेना अब मुमकिन हुआ है .
मलिग्नेंट मेला -नोमा - ट्यूमर के ६० %से भी ज्यादा मामलों मे अब जीवन इकाई सम्बन्धी दोष पकड मे आने लगें हैं .इसमें ह्यूमेन जीनोम की पूरी समझ बड़ी मददगार सिद्ध हुई है ।
वेल्कोम ट्रस्ट संगेर इंस्टिट्यूट ,केम्ब्रिज कैम्पस के साइंसदानों द्वारा तैयार दवा पी एल एक्स ४०३२ "फ्लाड बी आर ए ऍफ़ जीन "(एक दोष पूर्ण जीवन इकाई जो चमड़ी कैंसर की वजह बनती है ) यानी जो मेला -नोमा की वजह बनती है, को ढूंढ तलाश कर यह दवा ट्यूमर सेल्स कोही नष्ट कर देती है .

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