शनिवार, 18 सितंबर 2010

गुलाब की सुगंध के मुकाबले सदी गली मच्छी की भनक नाक को जल्दी लग जाती है ,, क्यों ?

स्मेल ऑफ़ रोटिन फिश डि -टेक -टिड फास्टर देन रोज़िज़ (मुंबई मिरर ,सितम्बर १५ ,२०१० ,पृष्ठ २७ ).
बायलोजिकल साइकोलोजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हमारा दिमाग सड़ी- गली मच्छी की गंध की जल्दी और सटीक भनक सुगन्धित गुलाबों के बरक्स ले लेता है. डे मोंट्रेअल विश्वविद्यालय के मनो -विज्ञान विभाग के साइंसदान जोहन्नेस फ्रास्नेल्ली ने पेन्न्स्यल्वानिया विश्वविद्यालय के रिसर्चरों के साथ मिलकर इस रिसर्च को अंजाम दिया है ।
ऐसा प्रतीत होता है हमारा दिमाग ऐसे गंधीय उत्तेजनों के प्रति ज्यादा खबरदारी रखता है जिनसे हमारे जीवन को कोई बड़ा ख़तरा पेश आने की आशंका हो ,और इसीलिए घ्राण शक्ति अपनी बुलंदियों को स्पर्श करने लगती है बड़ी तेज़ी और शुद्धता के साथ खतरे को ताड़ लेती है हमारी आल -फेक्ट्री -फेकल्टी ।
एक गुस्सेल आक्रामक चेहरे को दिमाग दूर से ही टोह लेता है बरक्स एक मुस्काते चेहरे के .शायद यह हुनर कुदरती चयन की प्रक्रिया के संग साथ चला आया है ताकि आसान्न खतरे की हमें खबर जल्दी से जल्दी हो जाए ।
फ्रास्नेल्ली के अनुसार उन्हें इसमें जरा भी आश्चर्य नहीं होगा यदि ऐसी ही मिकेनिज्म से हमारी घ्राण शक्ति भी लैस चली आई हो .और दिमागमें यह सर्किट्री भीवैसी ही हार्ड वायर्ड हो ।
अब तक के प्रयोगों में कोई तारतम्य और स्थिरता इसलिए दिखलाई नहीं दी क्योंकि इनके तहत सुगन्धित खाद्य सामिग्री की तुलना गैर खाद्यदुर्गन्ध युक्त सामिग्री से की जाती रही .ज़ाहिर है ऐसे गैर-खाद्य सड़े गले दुर्गन्ध पूर्ण आइटम हमारे लिए ख़तरा नहीं हैं बरक्स खाद्यों के सड़े गलेदुर्गन्ध युक्त होने के ।
अध्ययन के लिए रिसर्चरों ने ४० टेस्ट्स सब्जेक्ट्स को किराए पर लिया .दो सेट्स रखे गये ऑडर्स के .नॉन -फ़ूड ऑडर्सके लिए गंदे मौजे रखे गये तथा इनकी तुलना सुगन्धित रोज़िज़ से तथा फ़ूड ऑडर्स में संतरे और रोटिन फिश को लिया गया .इन्हें नाक को भनक पड़ते ही एक बटन दबाना के लिए कहा गया ,ठीक उस समय जब गंध या दुर्गन्ध का स्तर पहले जैसा हीतेज़ी लिए रहे ।
रोटिन फिश की भनक मिलने में सिर्फ १३०० मिलिसेकिंड्स ही लगे जबकि शेष सभी गंधों को ताड़ने में १७०० मिलिसेकिंड्स लग गये ।
एक बात साफ़ हुई उस गंध का जल्दी पता चलता है जो ( बा -शर्ते ) खाद्य से ताल्लुक रखती हो .क्योंकि गंदे मौजों की गंध ज्यादा असहनीय, अन्प्लेजेंट समझी गई बरक्स रोटिन फिश के लेकिन पता उसका बाद में चला .ख़तरा रोटिन फिश से ज्यादा था .(बकौल एक विज्ञापन मौजे भले ही सांस लेते हों खाने के काम नहीं आते )।
एक बात और साफ़ हुई :जो कुछ और जितनी सक्षम वायरिंग हमारे दिमाग में विज्युअल्स को लेकर मौजूद रहती है वैसी ही आल -फेक्ट्री सिस्टम (घ्राण शक्ति )के लिए भी है .औरत और मर्दों में यह गुण यकसां है .

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