सोमवार, 20 सितंबर 2010

हार्ट अटेक और स्ट्रोक से बचाव के लिए जल्दी ही हासिल हो सकता है

कमिंग सून :ए जेब (ज़ब) टू प्रो-टेक्ट फ्रॉम हार्ट अटेक ,स्ट्रोक (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २०,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
जो लोग दिन में दो मर्तबा अपने दांत साफ़ करतें हैं (टूथ ब्रश या दातून करते हैं ) उनकेलिए दिल केदौर और स्ट्रोक्स की संभावना७० % कम रह जाती है बरक्स उनके जो दिन में एक मर्तबा ही टूथ ब्रश करतें हैं .यह अन्वेषण थ्रोम -योसिस (थ्रोम्बोसिस ) रिसर्च इंस्टिट्यूट (टी आर आई ) ने संपन्न किया है जो इन दिनों एक ऐसी वेक्सीन पर भी काम कर रहा है जो हार्ट अटेक्स और स्ट्रोक्स को मुल्तवी रख सकती है तथा जिसके ट्रायल्स आइन्दा ३-५ बरसों में ही शुरू हो जायेंगें ।
इसी दिशा में काम को आगे बढा रहें हैं,स्वेडेन, होलैंड और अमरीकी मेडिकल सेंटर्स .
टी आर आई के संस्थापक,तथा हृद रोगों के माहिर विजय कक्कर कहतें हैं हमें अधुनातन रिसर्चों से पता चला है ,इन्फेक्संस (रोग संक्रमण )तथा वायरस भी हार्ट अटेक्स और स्ट्रोक्स कीउतनी ही बड़ी वजह बनतें हैं जितना कोलेस्ट्रोल और लिपिड्स .और संक्रमण की शुरुआत हमारे मुख स्वास्थ्य (ओरल हाई -जीन )से हो जाती है ।
बकौल कक्कड़ साहिब टी आर आई ने नाम- चीन मेडिकल जर्नल्स में प्रकाशित रिसर्च पेपर्स में बारहा दोहराया है ,लीझन(ए ज़ोन ऑफ़ टिश्यु विद इम्पेयर्ड फंक्शन एज ए रिज़ल्ट ऑफ़ डेमेज बाई डिजीज ऑर वून्डिंग .प्राइमरी लीझन इन्क्ल्युद एब्सेस्सेस ,अल्सर्स एंड त्युमर्स ,सेकेंडरी सच एज क्रस्ट्स एंड स्कार्स आर दिराइव्द फ्रॉम प्राइमरीज़।) जो आगे चलकर हार्ट अटेक्स और स्ट्रोक्स की वजह बनतें हैं उतना ही संक्रमण और विषाणुओं से हवा पातें हैं जितना इनकी वजह कोलेस्ट्रोल और लिपिड्स बनतें हैं .हमारा मकसद रहा है ,एक बाई -फंक्शनल एंटी -जेनिक मोलिक्युल तैयार कर लेना ,ताकि थ्रोम -योसिस को मुल्तवी रखा जा सके ।
थ्रोम-योसिस :इट इज दी फोरमेशन ऑर प्रिज़ेंस ऑफ़ वन ऑर मोर ब्लड क्लोट्स देट में पार्शियली ऑर कम्प्लीटली ब्लोक एन आर्टरी फॉर एग्जाम्पिल फ्लोइंग टू दी हार्ट ऑर ब्रेन .ऑर ए वेन.
बकौल कक्कड़ साहिब एनीमल ट्रायल्स में लीझन के बनने में खासी कमी दर्ज़ की गई है .और यह रण -नीति सिर्फ कोलेस्ट्रोल और लिपिड्स को कम करने से,काउंट -अरेक्ट करने से ज्यादा प्रभाव शाली रही है .दोनों रण-नीतियों को एक साथ बरतने पर स्ट्रोक्स और हार्ट अटेक्स के मामलों में ६०- ७०% कमीबेशी दर्ज़ की गई है .बस टी आर आई,लन्दन का आखिरी काम अब उस टीके(वेक्सीन )को फाइन ट्यून करना रह जाएगा ताकि इसके अवांछित विषाक्त प्रभाव सामने ना आयें .

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