Dexter Blueberries Farm
अमरीका के मिशिगन राज्य की वेन स्टेट काउंटी का एक छोटा सा टाउन है डेक्सटर। तुरत फुरत बिना पूर्व योजना के वहां जाने का सौभाग्य हाथ आया। एक परिचित की बिटिया ने प्रस्ताव रखा और हम सभी मैं मेरी बेटी मेरे मित्रवत दामाद तथा हमारे दो धेवते तकरीबन ४ ० मिनिट की ड्राइव के बाद वहां पहुँच गए।
वहां ब्ल्यू बेरीज की पंक्ति बद्ध झाड़ियाँ ही झाड़ियाँ थीं लदी हुई फलों से। देखने में भारत में मिलने वाले फालसे के आकार से नन्ने लेकिन मुंह अनार सा सजावट लिए। देखने वाली बात यह थीं यहाँ कोई न माली था न फ़ार्म का रखवारा। एक वेईंग मशीन रखी थी ,और लकड़ी की बनी बंद इमारत के बाहर की दीवार पर एक छोटा सी रेट लिस्ट लटकी हुई। इस पर एक से लेकर प्रति दस पोंड तक कीमत लिखी हुई थी। प्रति पोंड एक डॉलर पिचहत्तर सेंट के हिसाब से।प्लास्टिक की बाल्टियां राखी हुईं थीं फल तोड़के सहेजने के लिए।
दीवार में ही एक लैटर बाक्स नुमा स्लिट था डॉलर या फिर चेक डालने के लिए। चेक डेक्सटर ब्ल्यू बेरीज के नाम ही काटा जाना था। यहाँ २० - २२ कुर्सियां भी पड़ी थीं। दो मोबाइल टॉयलिट् भी थे। ऐसे अब भारत में भी ख़ास मौकों पर गणतन्त्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर भी दिखलाई देते हैं। अन्यत्र जहां भी हमने दिल्ली में जन सुविधाएं देखीं विज्ञापन पटों से ढकी देखी। यह आपकी दूर दृष्टि ही कही जायेगी यदि आप ताड़ लें अरे ये तो रेस्ट रूम्स हैं ,जन सुविधाएं हैं। यकीन मानिए दिल्ली के दिल में बोले तो इंडिया गेट के पंडारा रोड स्थित बीकानेर आफिसर्स मेस में कई साल रहने का मौक़ा मिला। इसका मुख्य दरवाज़ा चिल्ड्रन पार्क को फेस करता है। बगलिया जो अक्सर बंद रहता है पंडारा रोड की तरफ है।एक दिन अचानक पता चला अरे गेट पर ही जन सुविधाएं जो बाहर से बेहद आकर्षक विज्ञापनों से ढकी हुई रहतीं हैं। जैसे ये जन सुविधाएं न होकर विज्ञापन पट ही हों मुकम्मिल तौर पर।
चलिए बात डेक्सटर ब्युबेरीज़ फ़ार्म की हो रही थी वहीँ लौटते हैं। आप जितना मर्जी ब्यू बेरीज खाइए उसका कोई पैसा नहीं लगता यहाँ। जो साथ ले जानी हैं वह अपने आप तौल कर वजन के मुताबिक़ चेक ,केश डालर स्लिट में खिसका दो और चेंज एक डिब्बे में डाल दो। अरे साहब डिब्बे का भी मुंह खुला था कोई ताला नहीं।
हमारे यहाँ मुंबई में साईं बाबा की सिर्फ एक तस्वीर कई पुराने अति प्राचीन वृक्षों के नीचे रखी हुई आपको मिलेंगी। लोग रुकते हैं शीश नवा चल देते हैं। एक छोटी कनस्तरी आपको दिखेगी। स्लिट इसमें भी होगा लेकिन कनस्तरी को ताला जड़ा होगा।
गज्जन सिंह जी हमारे साथ थे। हाँ उनकी बिटिया ने ही यह कार्यक्रम बनाया था। उसकी मम्मी भी साथ थीं। गज्जन सिंह जी बरसों से अमरीका में रह रहे हैं। अभी हाल फिलाल तक होटल शाने पंजाब चलाते थे गार्डन सिटी में। कहने लगे भाई साहब यहाँ कोई भी मालिक नहीं है और ये देश चल रहा है ईमानदारी के बल पर। स्वर्ग है यह अपना देश ठीक इसके विपरीत नर्क है।
मैं सोचने लगा बात तो भाई साहब ठीक कहते हैं। रोहतक में जब पढ़ाता था ,कोलिज गेट के बाहर यूनिवर्सिटी की दूकाने थीं जो किराए पर दे दी गईं थीं। यहाँ स्टेट बैंक आफ इंडिया का एटीएम हुआ करता था। एक दिन शुभ मुहूर्त में इसे उखाड़ कर लोग ले गए। चोरी हो गया। इससे पूर्व के प्रयास में खराब हो गया लेकिन अंगद के पाँव सा अड़ा रहा। चोर इस दिन अंगद को भी मात दे गए।
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