बुधवार, 11 सितंबर 2013

अलग अलग हैं मन और मष्तिष्क

अलग अलग हैं मन और मष्तिष्क 


दिमाग तो हमारे शरीर में एक टेलीफोन  एक्सचेंज की तरह है जिसका काम दिमाग की एकल इकाई न्यूरोन के ज़रिये दो तरफ़ा सूचना सम्प्रेषण  है। आत्मा का यह महज़ एक सूक्ष्म उपकरण है। हमारे मनो संवेगों ,ख्यालों की नर्सरी (पौध) ,राग -बिराग ,देखना और देखे को संजोना यहीं होता है दिमाग में ,आत्मा के द्वारा।आत्मा कहती है यह मेरा हाथ है मैं हाथ नहीं हूँ ये मेरा दिमाग है मैं दिमाग नहीं हूँ।

मन अलग है मष्तिष्क या दिमाग अलग है। दिमाग तो मन का हार्डवेयर है। इसी के द्वारा अपने काम करता

है मन। ब्रेन तो डेमेज हो जाता है अनेक दुर्घटनाओं में लेकिन मन फिर भी अपना काम मनन करता रहता है। कहने भर को कह देते हैं आलंकारिक भाषा में मेरे मन को आहत किया है आपने मेरा दिल दुखाया है।चोट तो दिमाग को लगती है और इसीलिए दिमागी चोट कई मर्तबा बड़ी घातक सिद्ध होती है।

पौधों में तो दिमाग होता ही नहीं है लेकिन मन होता है। माली की आहट  को पहचान लेते हैं पौधे। संगीत पे थिरकते नांचते भी हैं पादप।

दिमाग स्थूल तत्वों की निर्मिती है शरीर की तरह ही यह भी पृथ्वी ,जल ,वायु ,अग्नि ,आकाश लिए है। मन इन स्थूल तत्वों  से परे है।

भगवदगीता के सातवें अध्याय के चौथे श्लोक पे गौर करें -


भूमिरापोअनलो वायु " खं मनो बुद्धिरेव च ,


अहंकार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा। (भगवत गीता ७.४  )

भगवान् कहते हैं -मेरी भौतिक ऊर्जा माया के मात्र अवयव हैं :(भूमि ,अग्नि ,जल ,वायु ,आकाश) ,मन और बुद्धि तथा अहंकार।  मन इन पञ्च स्थूल तत्वों से अलग है। विज्ञान दिमाग के थोड़े से हिस्से का न्यूरल सर्किट तो प्राप्त कर सका है लेकिन हमारे सूक्ष्म मन के कार्य व्यापारों को अभी बूझ नहीं सका है।

इस प्रकार मन अलग है दिमाग अलग है। भले आलंकारिक भाषा में हम दोनों को एक साथ लिए रहते हैं समानार्थक के रूप में लेकिन इनकी सत्ताएं अलग अलग हैं।

साथ में पढ़िए :विचार सरणी का स्वरूप 


THE NATURE OF THOUGHTS

Question :Thoughts are nothing but unrealized acts .If not ,what happens to our thoughts once life ends ?

Answer :Thoughts are not exactly unrealized acts .They are ideas ,plans ,conceptions ,opinions ,and feelings produced by the mind .They are bundles of subtle energy ,quantum of energy ,that the mind generates.Modern scientific research in the field of Electroencephalography  ,reveals the variety of alpha ,beta and gamma waves produced by brain activity .It also correlates altered mental states with differences in wave production by the brain .

The Vedic scriptures ,since many millennia  ,have thrown light on thoughts .They emphasize that the thoughts we harbor in our minds are an important facet of our personality .Every thought has an impact on our subtle and physical body .Thus ,thought by thought ,we forge our destiny ,to elevate or degrade ourselves .The essence of spirituality is to control ,purify and elevate our thoughts .


At the end of life the thoughts will naturally cease to exist in the present mind -body .But the seat of thoughts ,the mind ,will continue its journey along with the soul ,to the next body .And the kind of thoughts that the mind harbored in the present life will impact the kind of birth we will get in the next life .

4 टिप्‍पणियां:

Rahul... ने कहा…

विज्ञान दिमाग के थोड़े से हिस्से का न्यूरल सर्किट तो प्राप्त कर सका है लेकिन हमारे सूक्ष्म मन के कार्य व्यापारों को अभी बूझ नहीं सका है।
खूब सुन्दर पोस्ट...

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा !!

Anita ने कहा…

the kind of thoughts that the mind harbored in the present life will impact the kind of birth we will get in the next life .

सो सोचना भी समझ कर चाहिए

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है. सहमत..