शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

शब्दार्थ ,व्याप्ति और विस्तार :काइरोप्रेक्टिक


  • शब्दार्थ ,व्याप्ति और विस्तार :काइरोप्रेक्टिक 
इस स्तंभ "कभी कभार "के तहत चिकित्सा पारिभाषिक शब्दावली का अर्थ और विस्तार (स्कोप )पर विमर्श ज़ारी रहेगा .यह पहली किस्त है .
काइरोप्रेक्टिक कुदरती स्वास्थ्य संभाल जीविका है जिसके लिए उच्च प्रशिक्षण और शिक्षा दोनों ही ज़रूरी हैं .गत सौ सालों से इसके माहिर हमारे बीच मौजूद हैं .अमरीका में यह वैकल्पिक और प्राकृत चिकित्सा का सबसे बड़ा पेशा है ,वैकल्पिक चिकित्सा की एक ख़ास किस्म है .

इस वैकल्पिक चिकित्सा व्यवस्था की बुनियादी अवधारणा के तहत बीमारियों की वजह हमारे स्नायुविक तंत्र पर आ पड़ने वाला दवाब ,स्पाइनल स्ट्रेस बनती है .यह स्नायुविक प्रणाली (नर्वस सिस्टम )एक अंतर जाल है कोशाओं  का ,तंत्रिकाओं का ,जो हर मिलने वाली सूचना का संसाधन करता ,संचार का एक सेतु बनता है .हमारे दिमागी टेलीफोन एक्सचेज का यह एक एहम हिस्सा है .इसके काम में किसी भी किस्म की बाधा आने पर हमारी काया अपने एक नैसर्गिक  गुण से वंचित रह जाती है .वह गुण है हीलिंग ,खुद -बा -खुद स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते रहना ,टूट फूट की मरम्मत करते रहना .सेल्फ हीलिंग  ओर्गेन हैं हमारी बॉडी .

इसी लिए इस चिकित्सा प्रणाली का माहिर उन तमाम लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश करता है जो जुदा किस्म की स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायतें लेकर आतें हैं ,कोई सिर दर्द ,कोई पाचन सम्बन्धी ,कोई हारमोनों के उतार चढ़ाव  से सम्बंधित जबकि काइरोप्रेक्टर (इस चिकित्सा व्यवस्था के डोकटर या माहिर )के पास अमूमन लोग गर्दन और कमर के निचले हिस्से में रहने वाले दर्द की शिकायत  के लिए ही अकसर जातें हैं .

काइरोप्रेक्टर अपना सारा ध्यान अपनी सारी तवज्जो तंत्रिकापेशीय प्रणाली (न्यूरोमस्कुलर सिस्टम ) को देतें हैं .यहाँ न कोई दवा है न शल्य कर्म .तवज्जो में भी तवज्जो (ख़ास तवज्जो )का केंद्र बनती है हमारी रीढ़ (स्पाइन )क्योंकि यह रीढ़ या मेरुदंड ही हमारी स्नायुविक प्रणाली से विशेष ताल्लुक रखता है .इसका एहम किरदार है .

रीढ़ के किसी हिस्से या खंड में संरेखण का अभाव ,किसी भी किस्म का विक्षोभ या विचलन ,स्पाइनल मिसएलाइनमेंट ,ही तंत्रिकाओं के काम में खलल पैदा कर देता है .इस पेशे की ख़ास भाषा में इस गंभीर खलल को  vertebral subluxation (मेरुदंड खलल ,रीढीय गडबडी ) को कहा जाता है .

काइरोप्रेक्टर इस खलल को दूर कर देतें हैं विशेष रीढ़ समायोजन ,रीढ़ संधान से ,स्पाइनल एडजस्टमेंट से .क्योंकि ये सारा काम माहिर के हाथों का ही विशेष हुनर होता है इसीलिए इस चिकित्सा व्यवस्था को कहा जाता है -काइरोप्रेक्टिक .

After all, the word chir is derived from the Greek word meaning “referring to the hand”, and prassein “to do”.

(kiro praktik )

CHIRO +Greek praktikos "effective"

बेशक  इस चिकित्सा व्यवस्था के माहिरों में भी अपने अपने खेमे हैं .'STRAIGHTS' और "MIXERS" एक  दूसरे  से  अलग  हैं  .पहले शुद्धता वादी हैं इनका मानना है काया स्वास्थ्य लाभ  रीढ़ी खलबली हट जाने के बाद खुद प्राप्त कर लेती है यह न मालिश आदि और न ही किसी और सहायक चिकित्सा का सहारा लेतें हैं .बाद वाले सबके संग संग चलतें हैं ,सहयोग  भी लेते हैं रेफर भी करतें हैं अपने मरीजों को अन्य तरकीबों, चिकित्सा प्रणाली के माहिरों को .

लेकिन  दोनों  वर्ग  के माहिर रीढ़ को हमारे स्वास्थ्य का बिचौलिया ज़रूर मानतें हैं जिसकी मार्फ़त स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है ,जिसकी गडबडी से सेहत बिगडती भी है .

अनेक  रोग नैदानिक तकनीकों का इस्तेमाल करतें हैं काइरो -प्रेक्टर 

चिकित्सा पूर्व वृत्तांत मरीज़ का हासिल करने के अलावा वक्त ज़रुरत के मुताबिक़ ये माहिर तंत्रिकाओं (न्यूरोलोजिकल ) और अस्थियों (ओर्थोपीडइक ) सम्बंधित कई परीक्षण करते  ,करवातें हैं. एक्स -रे का भी सहारा लिया जाता है ताकि किसी संदेहास्पद स्थिति को खारिज किया जा सके , संभावित रोग निदान को पुख्ता .

बहु विध तकनीकें और तरकीबें अपनातें हैं ये माहिर ताकि नर्वस सिस्टम दोबारा ठीक से काम करने लगे .

बेशक कुछ माहिर केवल रीढ़ समायोजन पर ही भरोसा करतें हैं स्नायुविक तंत्र के सुचारू प्रकार्य की पुनरप्राप्ति हेतु जबकि कितने ही अन्य फिजिकल थिरेपी ,डीप टिश्यु  मसल वर्क ,अल्ट्रासाउंड ,विद्युत् उत्तेजन (इलेक्ट्रिकल स्तिम्युलेसन ),लेज़र चिकित्सा आदि का भी सहारा लेतें हैं .

पुष्टिकर तत्वों पर भी ये ध्यान  दिलवातें  हैं .न्यूट्रिशनल  सप्लीमेंट्स तजवीज़ कर सकतें हैं ये माहिर .भावात्मक चिकित्सा *इमोशनल थिरेपी" का सहारा भी ले सकतें हैं .बहुलांश इन्हीं मिश्र व्यवस्था माहिरों (मिक्सर्स )का है .

कुछ माहिर Applied Kinesiology (AK)  का भी इस्तेमाल करतें हैं .

Kinesiology is the study of the mechanics of motion with respect to human anatomy.It is a system of muscle testing that reveals and corrects musculoskeletal immbalances  and identifies food sensitivities.

मानवीय    देहयष्टि के गत्यात्मक संचालन की यांत्रिकी का अध्ययन है यह विद्या .चाहे तो इसे काया यांत्रिकी या गत्यात्मक कायायंत्र विज्ञान कह लें.

सभी माहिरों का मकसद एक ही है .मरीज़ को यह समझाना सिखलाना  कि कैसे वह अपनी जीवन शैली को सुधार स्वस्थ जीवन जी सकता है .

The word doctor is Latin for teacher, and teaching a patient how to care for themselves in order to maintain the healthiest lifestyle possible is a priority for these healing physicians.

सन्दर्भ -सामिग्री :-

DrGangemi.com

family barefoot running

doctor examining child


5 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अच्छी विस्तृत जानकारी मिली

मनोज कुमार ने कहा…

यह तकनीक हमारे यहां भी पहुंचे तो कुछ लाभ हो।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ज्ञानवर्धक आलेख..

rbsoni ने कहा…

काइरोप्रैक्टिक के बारे में जाना सर जी धन्यवाद अभी इसकी वेबसाइट खोजना है सादर रामबाबू सोनी

rbsoni ने कहा…

काइरोप्रैक्टिक के बारे में जाना सर जी धन्यवाद अभी इसकी वेबसाइट खोजना है सादर रामबाबू सोनी