जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
रविकर फैजाबादी
अतिशय मोटी अक्ल में, आई मोटी बात |
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .
पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .
फिर दोहरा दें इंसुलिन एक हारमोन है जो शर्करा (शक्कर )और स्टार्च (आलू ,चावल ,डबल रोटी जैसे खाद्यों में पाया जाने वाला श्वेत पदार्थ )को ग्लूकोज़ में तबदील कर देता है .यही ग्लूकोज़ ईंधन हैं भोजन है हरेक कोशिका का जो संचरण के ज़रिये उस तक पहुंचता रहता है .
टाइप १ या जूवनाइल (बाल ,अल्पव्यस्क या किशोरों का )मधुमेह
जन्मना चला आता है यह विकार जिसमें अग्नाशय इंसुलिन बनाता ही नहीं है ,
टाइप २ मधुमेह में भी समय बीतने के साथ शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या फिर यह इंसुलिन अपना असर ही खो देता है शरीर इसके प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं कर पाता है .यही है इंसुलिन प्रतिरोध जब इंसुलिन बे -असर हो जाता है .
मधुमेह का अन -चीन्हा (रोग निदान न हो पाना मधुमेह का ) रह जाना /इलाज़ न हो पाना
खतरनाक स्थिति तब हो जाती है जब आप मधु मेह से ग्रस्त रहतें हैं और बे -खबर रहतें हैं या ला -परवाह ,आधा अधूरा अनमने ढंग से इलाज़ कर वातें हैं या फिर इलाज़ करवाते ही नहीं हैं .बस ऐसे में दिल के रोगों की नींव पड़ने लगती है .आपके खून में शक्कर का स्तर बहुत ज्यादा बना रहता है .यह एक जोखिम भरी बात है जो दिल की बीमारी का ख़तरा पैदा करती है .
नर्व डेमेज की वजह भी बन सकता है खून में दीर्घावधि बढ़ा हुआ रहने वाला शक्कर का स्तर ,बीनाई भी जा सकती है इस स्थिति में .
खराब प्रबंधन मधुमेह का हाइपो-ग्लाईकीमिया की भी वजह बन सकता है
इस स्थिति में खून में शक्कर का स्तर यकायक बहुत नीचे चला आता है .खतरनाक भी हो सकती है यह स्थिति फ़ौरन तवज्जो न देने पर .
इस स्थिति के लक्षण हैं
(१)चक्कर आना
(२)चिडचिडापन
(३)हार्ट पल्पिटेशन
(४)घबराहट के साथ ,भ्रम ,पहचानने में गलती भी हो सकती है कुछ को बे -तहाशा पसीना छूटने के साथ हाथ पैर ठंडे भी पड़ सकतें हैं .
क्या जोखिम तत्व हैं (रिस्क फेक्टर्स हैं )मधु मेह के
(१)मोटापा
(२)बैठे ठाले ,निष्क्रिय जीवन ,धूम्रपान ,नींद न ले पाना पूरी
मतलब क्या है मधु मेह का ?कब माना जाए आपको मधुमेह है ?
जब आपका फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज़ लेविल (खाली पेट रहते खून की जांच से पता चला खून में शक्कर का स्तर ) बराबर दिनानुदिन हर पन्द्रह दस दिन बाद १२५ मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर पाया जाए .
मधुमेह से ठीक पहले की स्थिति (प्रीडायबेतिक )होने का मतलब ?
जब खाली पेट सुबह सवेरे उठते ही खून की जांच में शक्कर का स्तर हर बार १००और १२५ के बीच पाया जाए .महीने में दो बार तो होनी ही चाहिए यह जांच इस स्थिति के सही आकलन के लिए .
सारांश
मधु मेह हो या न हो भले आप प्रीडायबेतिक हों मधुमेह पैदा करने वाले कारकों की जानकारी इससे बचाव के लिए भी ज़रूरी है इलाज़ के समुचित प्रबधन के लिए भी .
(ज़ारी ...)
सन्दर्भ -सामिग्री :Connecting the Dots:Type 2 Diabetes /Family Wellness Lifestyle
September/October 2012 SamsClub.com/healthyliving/p27
5 टिप्पणियां:
sarthak aalekh ....bahut fayda karega diabetes walon ko ...!!
तेजी से फ़ैल रही है व्याधि..... जानकारी देती पोस्ट
जिस किसी को भी देखो, उनमें आधों को मधुमेह है..
अपने देश में एक अध्यन के मुताबिक सबसे लापरवाह मधुमेह ग्रस्त लोग रहते है ,जो भारत को मधुमेह ग्रस्त रोगियों की राजधानी बनाने में अतिशय सहयोगी क्रिया है , ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए साधुवाद।
विस्तार से जानकारी दे रहे हैं आप ...
सुधार करने का प्रयास कर रहे अहिं जीवन शैली में ... बचाव में ही सफलता है ...
राम राम जी ...
एक टिप्पणी भेजें