आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (ज़ारी )
बकौल डॉ .ऍम.पी .सिंह रहीमा शेख उनके दफ्तर में हँसते हुए दाखिल हुईं ऐसी थी उनकी जिजीविषा जबकि बहुलांश ऐसे मरीजों का बहुत जल्दी हार मान के घर बैठ जाता है और मौत को याद करता है .
भारत सरकार देश के ज्यादातर हिस्सों में दवा रोधी तपेदिक की जांच और इलाज़ दोनों के लिए ही कुछ नहीं करती है .गरीबों की मदद यहाँ भगवान् बनके कोई और ही करता है .रहीमा के एक भाई आबिदुला सिद्दीकी साहब उनकी दवा रोधी जांच के लिए आगे आये .
क्योंकि रहीमा पहले ही कोई साल भर से दवा ले रहीं थीं इसलिए डॉ .सिंह ने उनके लिए दवा रोधी परीक्षण करवाना ज़रूरी समझा .पता चला रहीमा के मामले तपेदिक की टफ किस्म नौ दवाओं के प्रति प्रतिरोध दर्शा रहीं हैं .
कब कहतें हैं तपेदिक के माहिर किसी मरीज़ को टोटली रेज़ीस्तेंट (परिपूर्ण दवा प्रतिरोधी )?
विश्वस्वास्थ्य संगठन ने तपेदिक के इलाज़ के लिए कुलमिलाकर १७ दवाओं को मंज़ूरी दी हुई है .अपने असर में इन सबका दर्जा यकसां या बराबर नहीं है .पहली लाइन की दवाएं असरकारी ज्यादा हैं जबकि इनके टोक्सिक असर (विषाक्त प्रभाव )कमतर हैं .
दूसरी पंक्ति की दवाएं असर में उतनी ज़ोरदार नहीं हैं ,मरीज़ के लिए तकलीफ देह भी ज्यादा हैं .
जब मरीज़ पहली पंक्ति की सभी तथा दूसरी पंक्ति की सभी आम दवाओं के प्रति प्रतिरोध प्रदर्शित करता है तब उसे टोटली ड्रग रेज़ीस्तेंट कह देतें हैं .
वालस्ट्रीट जर्नल के लिए ये रिपोर्ट तैयार करने वाले पत्रकार कहतें हैं -जितने भी तपेदिक के माहिर कायाचिकित्सकों और रिसर्चरों ने रहीमा के मामले का पुनरआकलन किया है वह सभी मानतें हैं इन्हें शुरु में ही तपेदिक की Tougher strain से संक्रमण लगा होगा .भारत में इलाज़ के शुरु में ऐसी कोई दवा रोधी तपेदिक जांच ही नहीं की जाती है जबकि अमीर देशों में इलाज़ का यह शुरूआती बिंदु होता है ,ऐसी जांच के बाद ही इलाज़ शुरु किया जाता है जो हर मरीज़ के लिए ख़ास होता है टेलर मेड रहता है उसके संक्रमण के स्वरूप के अनुरूप .
माहिरों के अनुसार लेकिन लाइलाज नहीं हैं ये तमाम मरीज़ भी .तपेदिक की टफर स्ट्रेन का भी इलाज़ हो सकता है .
लेकिन इसके लिए शुरूआती जांच मायने रखती है .ज़रूरी भी रहती है .ताकि संक्रमण के अनुरूप व्यापक इलाज़ शुरु में ही किया जा सके व्यक्ति विशेष के रोग की दवा रोधी किस्म के अनुरूप .रहीमा के मामले में इसी चरण में चूक हुई है .
(ज़ारी )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें