गुरुवार, 27 सितंबर 2012

Diffuse Idiopathic Skeletal Hyperostosis (DISH or Forestier's Disease) क्या है यह बीमारी डिश ?(पहली किस्त ) यह एक प्रकार की अपकर्शी या अपविकासी (degenerative )आर्थराईटइस (arthritis )ही है . जिसे ओर्थो-आर्थराईटइस भी कह दिया जाता है .साधारण किस्म की आर्थराईटइस को जोड़ों का दर्द .संधिवात या कभी कभार गठिया भी कह दिया जाता है . इस बीमारी में लगातार केल्शियम लवण की परतें रीढ़ की हड्डियों की एक के बाद एक आने वाली यानी परस्पर सटी हुई गुर्रियों (बोले तो कशेरुका या vertebra) पे चढ़ती जाती है .इसे कहतें हैं फ्लोइंग केल्सिफिकेशन . यह एक ख़ास किस्म है डिजेनरेटइव आर्थराईटइस(प्रतिनिधिक डिजेंरेटइव आर्थराईटइस से हटके ) की जिसका सम्बन्ध मांस पेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों की सूजन और रोग संक्रमण से भी जोड़ा गया है और जहां जाकर ये (tendons)अस्थियों से जुड़तें हैं उसके केल्सिफिकेशन से भी .यह स्थिति होती है tendinitis की .बोले तो inflammation of the tendons. And very unlike typical degenerative arthritis ,it's also commonly associated with inflammation (tendinitis ) and calcification of tendons at their attachments points to bones. ऐसे में इन जगहों की हड्डियां सहज ही बढ़ जाती हैं . This can lead to formation of bone spurs,such as heel spurs . वास्तव में इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में heel spurs आम तौर पर देखे जा सकतें हैं . A spur is a short bony outgrowth ,usually a normal part of the body but sometimes one that develops such as that on the bottom of the heel after an injury . कारण या वजह क्या बनती है इस रोग की ? इसकी वजह तो अज्ञात है .लेकिन इसका सम्बन्ध मेटाबोलिक सिंड्रोम से ज़रूर जोड़ा गया है और इसीलिए यह मधुमेह से ग्रस्त लोगों में आम तौर पर प्रगट होती देखी गई है . मेटाबोलिक सिंड्रोम ? आम तौर पर ऐसे जोखिमों (रिस्क फेक्टर्स )को कहा जाता है जो एक समूह में मिलतें हैं और एक साथ परिहृदयधमनी रोग ,मष्तिष्क आघात (ब्रेन अटेक )और मधुमेह २ (जीवन शैली रोग सेकेंडरी डायबिटीज़ )के खतरे के वजन को बढा देतें हैं .मोटापे से सम्बन्ध है इस सिंड्रोम के सभी रिस्क फेक्टर्स का (ज़ारी ).


Diffuse Idiopathic Skeletal Hyperostosis
(DISH or Forestier's Disease)


क्या है यह बीमारी डिश ?(पहली किस्त )

यह एक प्रकार की अपकर्शी या अपविकासी (degenerative 

)आर्थराईटइस (arthritis )ही  है   . जिसे ओर्थो-आर्थराईटइस भी कह दिया 

जाता है .साधारण किस्म की  आर्थराईटइस को जोड़ों का दर्द .संधिवात या 

कभी कभार गठिया भी कह दिया जाता है .

इस बीमारी में लगातार केल्शियम लवण की परतें रीढ़ की हड्डियों की एक


 के बाद एक आने वाली यानी परस्पर सटी हुई गुर्रियों (बोले तो कशेरुका 



या vertebra) पे चढ़ती जाती है .इसे कहतें हैं फ्लोइंग केल्सिफिकेशन .

यह  एक ख़ास किस्म है डिजेनरेटइव आर्थराईटइस(प्रतिनिधिक डिजेंरेटइव 

आर्थराईटइस से हटके ) की जिसका सम्बन्ध मांस पेशियों को हड्डियों से 

जोड़ने वाली नसों की सूजन और रोग संक्रमण से भी जोड़ा गया है और

 जहां जाकर ये (tendons)अस्थियों   से जुड़तें हैं उसके केल्सिफिकेशन से

 भी .यह स्थिति होती है tendinitis की .बोले तो inflammation of the tendons.  

And very unlike typical degenerative arthritis ,it's also 

commonly associated with inflammation (tendinitis ) and

 calcification of tendons at their attachments points to bones. 
ऐसे  में इन जगहों की हड्डियां सहज ही बढ़ जाती हैं .

This can lead to formation of bone spurs,such as heel spurs .

वास्तव   में इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में heel spurs आम  तौर  पर  देखे  जा  सकतें  हैं  .
A spur is a short bony outgrowth ,usually a normal part of the body but sometimes one that develops such as that on the bottom of the heel after an injury .

कारण  या वजह क्या बनती है इस रोग की ?
इसकी वजह तो अज्ञात है .और इसी लिए इसे इडियो-पैथ -इक कहा गया है IDIOPATHIC  DESCRIBES A DISEASE OR DISORDER THAT HAS NO KNOWN CAUSE..

लेकिन इसका सम्बन्ध मेटाबोलिक सिंड्रोम से ज़रूर जोड़ा गया है और इसीलिए यह मधुमेह से ग्रस्त लोगों में आम तौर पर प्रगट होती देखी गई है .

मेटाबोलिक सिंड्रोम ?
आम तौर पर ऐसे जोखिमों (रिस्क फेक्टर्स )को कहा जाता है जो एक समूह में मिलतें हैं और एक साथ परिहृदयधमनी रोग ,मष्तिष्क आघात (ब्रेन अटेक )और मधुमेह २ (जीवन शैली रोग सेकेंडरी डायबिटीज़ )के खतरे के वजन को बढा देतें हैं .मोटापे से सम्बन्ध है इस सिंड्रोम के सभी रिस्क  फेक्टर्स का 
(ज़ारी ).

डिश (diffuse idiopathic skeletal hyperostosis ,dish)(दूसरी किस्त )

एक ऐसी बीमारी है जिसमें अस्थियों को जोड़ने वाले ऊतक (लिगामेंट्स )केल्शियम लवण ज़मते चले जाने से हड्डियों की तरह कठोर पड़ जाते हैं .बोनि  हो जातें हैं .यह आपने पहली किस्त में भी पढ़ा .अब पढ़िए -

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण ?

अकसर इसके लक्षणों का प्रगटीकरण ही नहीं हो पाता है हालाकि असर ग्रस्त स्नायु अस्थि बंध (लिगामेंट्स ) जहां जहां से बोनि हो जातें हैं केल्शियम ज़म जाने से वहां -वहां पीड़ा की लहर उठ सकती है ,दर्द हो सकता है .

बेशक लक्षणों के अभाव में आपको इलाज़ लेने की भी ज़रुरत न पड़े लेकिन फिजियोथिरेपी (भौतिक चिकित्सा ,फिजिकल थिरेपी )असर ग्रस्त जोड़ों को चलाये रखने में मदद गार सिद्ध होती है .

Dish causes stiffness in your upper back and may also affect your neck and lower back .some people feel diffuse idiopathic skeletal hyperostosis beyond the spine in areas such as heels ,ankles ,knees ,hips shoulders ,elbows and hands.  

ज़ाहिर है लक्षण इस बात पर निर्भर करतें हैं ,कौन सा हिस्सा डिश की चपेट में आया है .

अकसर असर ग्रस्त होती है थोरासिक स्पाइन (वक्षीय रीढ़ ,रीढ़ का ऊपरी  हिस्सा ) .बोले तो कमर का ऊपरी हिस्सा .

स्टीफ़नेस बोले तो अकड़ाव सुबह सवेरे ज्यादा हो सकता है .

असर ग्रस्त हिस्से को कोई दबा दे तो आपको पीड़ा होगी . लेकिन इन लक्षणों का कोई निर्धारित स्वरूप नहीं हैं .सभी को यह दर्द -ए -एहसास दबाए जाने पे हो यह ज़रूरी नहीं है .

निगलने में कुछ को दिक्कत हो सकती है .गले में दर्द के कारण आवाज़ भी फट सकती है ,बैठ भी सकती है .यह लक्षण खासकर डिश के उन मरीजों में दिखलाई दे सकता है जिनकी ग्रीवा रीढ़ (cervical spine ) असर ग्रस्त होती है केल्सिफिकेशन से .

Loss of range of motion .Loss of lateral range of motion may be most noticeable .You flex your spine laterally when you do side stretches ,for example. 

(ज़ारी )

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