भारत है मेरे दोस्त
हाँ !यह भारत है जहां मज़े से लोग वीरसावरकर को भगोड़ा और अंग्रेजों का माफ़ीखोर पिठ्ठू बताते हैं और आखिर तक इंदिराजी के पाद सूंघते रहें हैं.यही असीमजी को कटहरे में ले गएँ हैं जिन्होंने १९६२ के भारत चीन युद्ध को भारत की सीमा का अतिक्रमण करने वाला हमलावर घोषित करने से इनकार कर दिया था .आज़ादी के वक्त भारत का तिरंगा स्वीकार करने से मना कर दिया था इन रक्त रंगी वक्र मुखी ,दुर्मुखों ने .
राजनीति के ये बहरूपिये ये बौद्धिक भकुवे कल तक जिस सोवियत संघ का पिठ्ठू बने लाल सलाम ठोकते रहे अब तो वह साम्राज्य भी खंडित है .लेकिन वही बात हैं न बान हारे की बान न जाए ,कुत्ता मूते टांग उठाय .
असीम त्रिवेदी और यदि उनकी भारत धर्मी विचारधारा के लोग देशद्रोही हैं तो उस सूची में मेरा भी नामांकन होना चाहिए .
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८,१८८ ,यू एस ए .
राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड क्या उचित है ? ( चर्चा - 1001 )
आज की चर्चा में आपका स्वागत है
असीम त्रिवेदी का समर्थन हर ओर से हो रहा है , सबकी अपनी अपनी राय हो सकती है लेकिन जहां तक मेरा निजी विचार है राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड नहीं होनी चाहिए । भ्रष्ट देश के नेता हो सकते हैं लेकिन देश के प्रतीकों का उनमें क्या दोष ? अगर हम देश के प्रतीकों को इस रूप में प्रस्तुत करेंगे तो देश के दुश्मनों को देश को अपमानित करने से कैसे रोकेंगे ? ये मेरे विचार हैं, हो सकता है आप मेरी बजाए ये भारत है मेरे दोस्त ब्लॉग से भी सहमत हों, लेकिन मैं चाहता हूँ अन्धानुकरण करने के बजाए हमें विचार अवश्य करना चाहिए ।
असीम त्रिवेदी का समर्थन हर ओर से हो रहा है , सबकी अपनी अपनी राय हो सकती है लेकिन जहां तक मेरा निजी विचार है राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड नहीं होनी चाहिए । भ्रष्ट देश के नेता हो सकते हैं लेकिन देश के प्रतीकों का उनमें क्या दोष ? अगर हम देश के प्रतीकों को इस रूप में प्रस्तुत करेंगे तो देश के दुश्मनों को देश को अपमानित करने से कैसे रोकेंगे ? ये मेरे विचार हैं, हो सकता है आप मेरी बजाए ये भारत है मेरे दोस्त ब्लॉग से भी सहमत हों, लेकिन मैं चाहता हूँ अन्धानुकरण करने के बजाए हमें विचार अवश्य करना चाहिए ।
3 टिप्पणियां:
असीम का समर्थन है-
एक चित्र पर समर्थन नहीं कर पाता हूँ-
भारत माँ का रेप -
मकबूल को पड़ी गालियाँ
देने वालों में मैं भी शामिल रहा हूँ-
सादर
आपकी बात से सहमत हूँ ...
वीरू भाई आपके पीछे
मैं भी हूँ भाई !
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