आज भारत के लोग बहुत उत्तप्त हैं .वर्तमान सरकार ने जो स्थिति बना दी है वह अब ज्यादा दुर्गन्ध देने लगी है .इसलिए जो संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्रमुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी या ब्लॉग जगत के आधा सच वाले महेंद्र श्रीवास्तव साहब .
असीम त्रिवेदी की शिकायत करने वाले ये वामपंथी वहीँ हैं जो आपातकाल में इंदिराजी का पाद सूंघते थे .और फूले नहीं समाते थे .
त्रिवेदी जी असीम ने सिर्फ अपने कार्टूनों की मार्फ़त सरकार को आइना दिखलाया है कि देखो तुमने देश की हालत आज क्या कर दी है .
अशोक की लाट में जो तीन शेर मुखरित थे वह हमारे शौर्य के प्रतीक थे .आज उन तमाम शेरों को सरकार ने भेड़ियाबना दिया है .और भेड़िया आप जानते हैं मौक़ा मिलने पर मरे हुए शिकार चट कर जाता है .शौर्य का प्रतीक नहीं हैं .
असीम त्रिवेदी ने अशोक की लाट में तीन भेड़िये दिखाके यही संकेत दिया है .
और कसाब तो संविधान क्या सारे भारत धर्मी समाज के मुंह पे मूत रहा है ये सरकार उसे फांसी देने में वोट बैंक की गिरावट महसूस करती है .
क्या सिर्फ सोनिया गांधी की जय बोलना इस देश में अब शौर्य का प्रतीक रह गया है .ये कोंग्रेसी इसके अलावा और क्या करते हैं ?
क्या रह गई आज देश की अवधारणा ?चीनी रक्षा मंत्री जब भारत आये उन्होंने अमर जवान ज्योति पे जाने से मना कर दिया .देश में स्वाभिमान होता ,उन्हें वापस भेज देता .
बात साफ है आज नेताओं का आचरण टॉयलिट से भी गंदा है .
टॉयलट तो फिर भी साफ़ कर लिया जाएगा .असीम त्रिवेदी ने कसाब को अपने कार्टून में संविधान के मुंह पे मूतता हुआ दिखाया है उसे नेताओं के मुंह पे मूतता हुआ दिखाना चाहिए था .ये उसकी गरिमा थी उसने ऐसा नहीं किया .
सरकार किस किसको रोकेगी .आज पूरा भारत धर्मी समाज असीम त्रिवेदी के साथ खड़ा है ,देश में विदेश में ,असीम त्रिवेदी भारतीय विचार से जुड़ें हैं .और भारतीय विचार के कार्टून इन वक्र मुखी रक्त रंगी लेफ्टियों को रास नहीं आते इसलिए उसकी शिकायत कर दी .इस देश की भयभीत पुलिस ने उसे गिरिफ्तार कर लिया .श्रीमान न्यायालय ने उसे पुलिस रिमांड पे भेज दिया .
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .
कितनी बार किस किस ने नहीं कहा है -"संविधान नेताओं की भाषण में पवित्र पुस्तक है व्यवहार में रखैल."वरना शाहबानों के लिए संविधान अलग नहीं होता .इस संविधान में पहला क्षेपक ज़बरिया जोड़ा गया "सेकुलर ",अध्यादेश वोटों की गिनती बढाने के लिए इस या उस वर्ग को ध्यान में रखके बारहा जोड़ें गए नाम दिया गया फलाना संविधान संशोधन और कई मर्तबा संशोधन पहले किया गया राष्ट्रपति के दस्तखत बाद में करवाए गए ,इमरजेंसी की रात ऐसा ही हुआ .भला हो थेगलिया(थेग-ड़ी-नुमा पैबंद लगी सरकारों का )अब ऐसा जुल्म नहीं हो सकता .
मकबूल फ़िदा हुसैन की नीयत ठीक नहीं थी वरना हिदू धर्म के प्रतीकों को अपमानित न करते सरस्वती -सीता किसको अगले ने छोड़ा .एक मोहम्मद साहब के कार्टून पर मुस्लिम जगत में आग लग जाती है .एक वर्ग नाराज़ हो जाएगा .साफ़ साफ़ कहने में फटती है दोगले लोगों की .
शंकर के कार्टून प्रतीकात्मक रहें हैं किसी को अपमानित करने की मंशा उनकी कभी नहीं रही .और असीम त्रिवेदी ने तो यही कहा है भैया कसाब हिदू धर्मी समाज का मुंह चिढा रहा है .शेर का शौर्य नष्ट करके इस सरकार ने उसे भेड़िया बना दिया है.जो इस देश में शौर्य का प्रतीक कभी नहीं रहा .
ऐसा न होता तो एंकाउन्टर स्पेशलिस्ट क़ी शहादत को कथित सेकुलर निशाने पे न लेते .
क्या होता नहीं है भारत देश की अस्मिता के साथ गैंग रैप रोज़ -बा -रोज़ जब अफज़ल गुरु .कसाब और एक आम फांसी शुदा एक ही पंक्ति में एक ही माफ़ी (मर्सी )की कतार में होतें हैं .नम्बर गिना ,बतलाते हैं वक्र मुखी दिग -विजये.और ओसामा बिन लादिन के सफाए पर अमरीका को भी पाठ पढातें हैं -ओसामा जी को ,प्रत्येक मृत व्यक्ति को ,कफन सबको मिलना चाहिए .दो गज ज़मीं भी इनका बस चले तो भोपाल में ओसामा बिन लादेन की समाधि बनवा दें .यही सब कहतें हैं असीम के कार्टून .बधाई उनको .कितनी तेज़ बोलतीं हैं असीम की कार्टूनी तस्वीरें जिनके कान पे कभी जूँ नहीं रेंगती उन्हें सुनाई देने लगा .
असीम ने किसकी भैंस खोल के बेच दी ?
नेता तिहाड़ खोर क्या डायना सौर से कम हैं इस दौर में जिनका स्विस बैंक खाता दिन दूना रात चौगुना हो रहा है और बेटे जी उनके जिनके हाथ में खुद प्रधान मंत्रीका रिमोट है खुद प्रधान मंत्री बनने का खाब देख रहें हैं . बतलादें आपको खाता इंदिराजी के ज़माने से चला आरहा था .इस योरोपी महिला के नाम से शुरु हुआ था ,इंदिरा जी में एक ईमानदारी थी उन्होंने साफ़ कहा भ्रष्टाचार तो आलमी रवायत है ग्लोबल फिनोमिना है कभी खुद को "मिस्टर क्लीन " बतलाने की कोशिश नहीं की और सोनिया जी ने कितनी बार नहीं कहा भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हाथ आज सबके काले ही नहीं गरीब की जेब में हैं .नारा है कोंग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ .हकीकत में उसकी जेब में है .
चोर पकड़ा जाता है रंगे हाथों सरकार कहती है पकड़ा गया तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत लाओ .कौन सी संसद का अपमान कर दिया असीम साहब ने वह जिसकी कोई साख ही नहीं बची है ?जो गंधाने लगी है नेताओं के भ्रष्ट आचरण से .
इस सरकार के प्रधान मंत्री को तो विदेशी मीडिया भी पूडल कह चुका है .देसी लोगों की तो बात छोडिये .बुरा नहीं लगा हमें अन्दर से गो वह हमारे प्रधान मंत्री हैं.ऐसा क्यों हुआ .विचारणीय प्रश्न यह भी होना चाहिए .
तो सवाल नीयत का है असीम की नीयत पे सवाल कुछ वक्र मुखी ही उठा सकतें हैं वही मामला भी कचहरी में ले गए थे .
ये वही लेफ्टिए हैं जिन्होनें देश आज़ाद होने पर तिरंगे को मान्यता देने से इनकार कर दिया था .किस मुंह से यह तिरंगे के अपमान की बात कर रहें हैं .और वैसे भी इन रक्त रंगियों का आज नाम लेवा भी कौन रहा है ?
बोलेगा तो बिंदास बोलेगा चाहो तो भैया जी मोडरेशन में डाल दो .
आपने खुला विमर्श आमंत्रित किया आपका शुक्रिया .आपकी उम्र दराज़ हो .प्रोफ़ेसर बने आप जल्दी बा -रास्ता रीडर .
वीरुभाई ,कैंटन (मिशगन ),यू एस ए .
टॉइलेट पेपर पर भी अशोक चक्र तो क्या सरकार भी है गुनहगार ?
SACCHAI
AAWAZ
" टॉइलेट पेपर पर जब सरकार खुद अशोक चक्र लगाती है तब वो क्यों नहीं कहलाती देशद्रोही ? और क्यों नहीं दिखता उस "अशोक चक्र" मे देश के "संविधान का अपमान " ? कमाल है जब एक कार्टूनिस्ट सच्चाई बताता है देश की तो सरकार उस कार्टूनिस्ट को देशद्रोही करार देती है मगर टॉइलेट पेपर पर सरकार के द्वारा ही लगाए गए अशोक चक्र के लिए क्या काँग्रेस सरकार देश के रेलमंत्री को भी देश द्रोही करार देगी क्या ? "
कितनी बार किस किस ने नहीं कहा है -"संविधान नेताओं की भाषण में पवित्र पुस्तक है व्यवहार में रखैल."वरना शाहबानों के लिए संविधान अलग नहीं होता .इस संविधान में पहला क्षेपक ज़बरिया जोड़ा गया "सेकुलर ",अध्यादेश वोटों की गिनती बढाने के लिए इस या उस वर्ग को ध्यान में रखके बारहा जोड़ें गए नाम दिया गया फलाना संविधान संशोधन और कई मर्तबा संशोधन पहले किया गया राष्ट्रपति के दस्तखत बाद में करवाए गए ,इमरजेंसी की रात ऐसा ही हुआ .भला हो थेगलिया(थेग-ड़ी-नुमा पैबंद लगी सरकारों का )अब ऐसा जुल्म नहीं हो सकता .
मकबूल फ़िदा हुसैन की नीयत ठीक नहीं थी वरना हिदू धर्म के प्रतीकों को अपमानित न करते सरस्वती -सीता किसको अगले ने छोड़ा .एक मोहम्मद साहब के कार्टून पर मुस्लिम जगत में आग लग जाती है .एक वर्ग नाराज़ हो जाएगा .साफ़ साफ़ कहने में फटती है दोगले लोगों की .
शंकर के कार्टून प्रतीकात्मक रहें हैं किसी को अपमानित करने की मंशा उनकी कभी नहीं रही .और असीम त्रिवेदी ने तो यही कहा है भैया कसाब हिदू धर्मी समाज का मुंह चिढा रहा है .शेर का शौर्य नष्ट करके इस सरकार ने उसे भेड़िया बना दिया है.जो इस देश में शौर्य का प्रतीक कभी नहीं रहा .
ऐसा न होता तो एंकाउन्टर स्पेशलिस्ट क़ी शहादत को कथित सेकुलर निशाने पे न लेते .
क्या होता नहीं है भारत देश की अस्मिता के साथ गैंग रैप रोज़ -बा -रोज़ जब अफज़ल गुरु .कसाब और एक आम फांसी शुदा एक ही पंक्ति में एक ही माफ़ी (मर्सी )की कतार में होतें हैं .नम्बर गिना ,बतलाते हैं वक्र मुखी दिग -विजये.और ओसामा बिन लादिन के सफाए पर अमरीका को भी पाठ पढातें हैं -ओसामा जी को ,प्रत्येक मृत व्यक्ति को ,कफन सबको मिलना चाहिए .दो गज ज़मीं भी इनका बस चले तो भोपाल में ओसामा बिन लादेन की समाधि बनवा दें .यही सब कहतें हैं असीम के कार्टून .बधाई उनको .कितनी तेज़ बोलतीं हैं असीम की कार्टूनी तस्वीरें जिनके कान पे कभी जूँ नहीं रेंगती उन्हें सुनाई देने लगा .
असीम ने किसकी भैंस खोल के बेच दी ?
नेता तिहाड़ खोर क्या डायना सौर से कम हैं इस दौर में जिनका स्विस बैंक खाता दिन दूना रात चौगुना हो रहा है और बेटे जी उनके जिनके हाथ में खुद प्रधान मंत्रीका रिमोट है खुद प्रधान मंत्री बनने का खाब देख रहें हैं . बतलादें आपको खाता इंदिराजी के ज़माने से चला आरहा था .इस योरोपी महिला के नाम से शुरु हुआ था ,इंदिरा जी में एक ईमानदारी थी उन्होंने साफ़ कहा भ्रष्टाचार तो आलमी रवायत है ग्लोबल फिनोमिना है कभी खुद को "मिस्टर क्लीन " बतलाने की कोशिश नहीं की और सोनिया जी ने कितनी बार नहीं कहा भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हाथ आज सबके काले ही नहीं गरीब की जेब में हैं .नारा है कोंग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ .हकीकत में उसकी जेब में है .
चोर पकड़ा जाता है रंगे हाथों सरकार कहती है पकड़ा गया तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत लाओ .कौन सी संसद का अपमान कर दिया असीम साहब ने वह जिसकी कोई साख ही नहीं बची है ?जो गंधाने लगी है नेताओं के भ्रष्ट आचरण से .
इस सरकार के प्रधान मंत्री को तो विदेशी मीडिया भी पूडल कह चुका है .देसी लोगों की तो बात छोडिये .बुरा नहीं लगा हमें अन्दर से गो वह हमारे प्रधान मंत्री हैं.ऐसा क्यों हुआ .विचारणीय प्रश्न यह भी होना चाहिए .
तो सवाल नीयत का है असीम की नीयत पे सवाल कुछ वक्र मुखी ही उठा सकतें हैं वही मामला भी कचहरी में ले गए थे .
ये वही लेफ्टिए हैं जिन्होनें देश आज़ाद होने पर तिरंगे को मान्यता देने से इनकार कर दिया था .किस मुंह से यह तिरंगे के अपमान की बात कर रहें हैं .और वैसे भी इन रक्त रंगियों का आज नाम लेवा भी कौन रहा है ?
बोलेगा तो बिंदास बोलेगा चाहो तो भैया जी मोडरेशन में डाल दो .
आपने खुला विमर्श आमंत्रित किया आपका शुक्रिया .आपकी उम्र दराज़ हो .प्रोफ़ेसर बने आप जल्दी बा -रास्ता रीडर .
वीरुभाई ,कैंटन (मिशगन ),यू एस ए .
टॉइलेट पेपर पर भी अशोक चक्र तो क्या सरकार भी है गुनहगार ?
SACCHAI
AAWAZ
" टॉइलेट पेपर पर जब सरकार खुद अशोक चक्र लगाती है तब वो क्यों नहीं कहलाती देशद्रोही ? और क्यों नहीं दिखता उस "अशोक चक्र" मे देश के "संविधान का अपमान " ? कमाल है जब एक कार्टूनिस्ट सच्चाई बताता है देश की तो सरकार उस कार्टूनिस्ट को देशद्रोही करार देती है मगर टॉइलेट पेपर पर सरकार के द्वारा ही लगाए गए अशोक चक्र के लिए क्या काँग्रेस सरकार देश के रेलमंत्री को भी देश द्रोही करार देगी क्या ? "
3 टिप्पणियां:
जिस तरीके से आपने इस विषयवस्तु को प्रस्तुत किया है, दिल को छोने वाला है. साधुवाद.
ekdam sahi kaha aapne .aseem ne to keval inhe aaina dikhaya hai ab inke chehre par dag hi dag hai to vo kya kare.nice presentation.
वाकई ..बहुत ही सच्चाई के साथ बेखौफ होकर अपनी बात रखी है .... आपसे पूर्णतया सहमत हूँ|
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