स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
What both women and men need to know about hypertension
सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के अनुसार छ :करोड़ अस्सी लाख अमरीकी उच्च रक्त चाप या हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं और २० फीसद को इसका इल्म भी नहीं है .
क्योंकि इलाज़ न मिलने पर (शिनाख्त या रोग निदान ही नहीं हुआ है तब इलाज़ कहाँ से हो )हाइपरटेंशन अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं खड़ी कर सकता है ,दिल और दिमाग के दौरे के खतरे के वजन को बढा सकता है .दबे पाँव आतीं हैं ये आफत बारास्ता हाइपरटेंशन इसीलिए इस मारक अवस्था (खुद में रोग नहीं है जो उस हाइपरटेंशन )को "सायलेंट किलर "कहा जाता है .
माहिरों के अनुसार बिना लक्षणों के प्रगटीकरण के आप इस मारक रोग के साथ सालों साल बने रह सकतें हैं .इसीलिए इसकी(रक्त चाप की ) नियमित जांच करवाते रहना चाहिए .
क्या जोखिम तत्व हैं हाइपरटेंशन के लिए ?
उम्र ,नस्ल ,पारिवारिक पूर्ववृत्तांत या फेमिली हिस्ट्री ,मोटापा ,दीर्घकालिक बनी रहने वाली स्ट्रेस (मानसिक दवाब ),शराब और सिगरेट पीने की आदत .आपकी खुराक ,खासकर खुराकी नमक की मात्रा .कुल सोडियम इंटेक .
केवल मर्दों का रोग नहीं है हाइपरटेंशन
बेशक ४५ से कम उम्र के लोगों का जहां तक सवाल है तो आबादी के इस हिस्से में यह पुरुषों में आम तौर पर ज्यादा दिखलाई देता है लेकिन ६५ साल के पार यह रोग महिलाओं को ज्यादा निशाना बनाता है .
अमरीकी हृदय संघ के मुताबिक़ सभी अमरीकी बालिगों (वयस्कों ,एडल्ट्स )में से पचास फीसद महिलाएं हाइपरटेंशन से ग्रस्त है .यानी अमरीकी बालिगों (२१ से ऊपर उम्र के नागरिकों में ) में से आधी औरतें हैं जो इस रोग की गिरिफ्त में बनी रहतीं हैं .
इसीलिए सभी नर नारियों का इस बाबत अग्र-सक्रिय (प्रोएक्टिव ) बने रहना ज़रूरी है .खबरदारी ज़रूरी है अपने ब्लड प्रेशर की ,जोखिम तत्वों की तथा इलाज़ के तमाम विकल्पों की इस बाबत .
कुछ ख़ास रिस्क फेक्टर्स (यूनीक जोखिम तत्व )मौजूद रह सकतें हैं औरतों के मामले में
(१)गर्भनिरोधी टिकिया आपके नम्बर्स (ब्लड प्रेशर पाठ्यांकों,सिस्टोलिक /डायस्तोलिक )को असर ग्रस्त कर सकतीं हैं यदि आप महिला हैं और इनका इस्तेमाल करतीं हैं .इसकी इत्तला अपने चिकित्सक को ज़रूर दीजिए ,इनके स्तेमाल के संग संग अपने नम्बर्स पर भी नजर रखिए .
(२) गर्भ धारण करने पर महिलाओं को यह ज़रूर जानना चाहिए कहीं उनका ब्लड प्रेशर हाई तो नहीं है ,जिसका प्रबंधन करना ज़रूरी होता है .
(३) कुछ महिलायें गर्भ काल में हाइपरतेंसिव हो जाती हैं .यह एक ऐसी स्थिति है जिस पर बराबर नजर रखी जाती है एक ट्रीटमेंट प्लान के तहत .
Better numbers
स्वास्थ्यकर खुराक नियमित व्यायाम चर्या ,तौल को बनाए रखते हुए तथा सिगरेट के सेवन से बचे रहते हुए ,स्ट्रेस को भी काबू में रखें ,शराब का सेवन यदि करना ही है तो सीमित मात्रा में करें -बढ़िया नतीजे मिलेंगें .
मान्य सीमा में रहेंगें दोनों रक्त चाप पाठ्यांक ऊपरी (सिस्टोलिक )भी निचला (डायस्तोलिक )भी .
स्वास्थ्यकर जीवन शैली ,प्रेस्क्रिप्शन मेडिकेशन (नुसखे के अनुरूप ली जाने वाली दवाएं )तथा चंद सम्पूरण रक्त प्रवाह को मौजू बनाए रहेंगे -
Coenzyme Q10 ,L -Arginine ,Green tea ,Garlic
सहकिण्वक क्यु १० ,एल -आर्जिनिंन ,ग्रीन टी (बिना पोलिश वाली हरी चाय ),लहसुन ऐसे ही उपयोगी सम्पूरण हैं .
असल बात है इस रोग से वाकिफ रहना ,जांच करवाते रहना और आसपास के लोगों को भी इस बाबत बताते रहना बचावी कुंजी है .
8 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया स्वास्थ्य के प्रति सचेत करती प्रस्तुति ..
आभार
आज के समय की आवश्यकता अनुसार सचेत करता एक जानकारीप्रद लेख.
अब तो इसके और इसकी औषधि के साथ जीने की आदत-सी पड़ गई है।
bahut badhiya jankari ...abhar ...!!
aapke dwara dee gayi har jankari sangrahniy hai.bahut bahut dhanyawad.
बस टेंशन नई लेने का..
उपयोगी पोस्ट..जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उन्हें भी कुछ बताएं..
पूरे परिवार को ही ख्याल रखने की जरूरत है आजकल ... टेंशन ज्यादा लेने से बचना जरूरी है ...
जानकारी देती पोस्ट ...
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