जीवन शैली रोग मधुमेह २ में खानपान ,जोखिम और ....
रविकर फैजाबादी
अतिशय मोटी अक्ल में, आई मोटी बात |
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
जीवन शैली में बदलाव ,जोखिम क्या हैं इस बीमारी के इसकी समझ रखिये और खून में शक्कर की निगहबानी कीजिए , फिर मजे से रहिए मधु- मेह के साथ .
नाश्ता न करने या उपवास रखने ,किसी वक्त का खाना अदबदाके या मजबूरी वश मिस करने ,न खा पाने का मतलब क्या है मधुमेह में ?
खतरा क्या है खाना न खाने में ?
खून में शक्कर का स्तर यकायक गिर जाने से मिचली आ घेरेगी आपको ,कम्प पैदा होगा ,कमजोरी के अलावा सिर दर्द और दूसरे लक्षणों का भी प्रगटीकरण हो सकता है .पसीना छूटने के साथ हाथ पैर ठंडे पड़ सकतें हैं किम -कर्तव्य -विमूढ़ता ,भ्रम की स्थिति घेरे रह सकती है आपको .
हल क्या है इस स्थिति का ?
थोड़ा थोड़ा करके हरेक दो से तीन घंटे बाद खाइए ताकि खून में शक्कर का स्तर मान्य स्तरों पर कायम रहे .ये रणनीति इलाज़ का हिस्सा है जो डॉ .के नहीं आपके हाथ में है .स्वास्थ्यकर नाश्ता अपने साथ हर दम रखिए जब ज़रुरत हो खाया .ज़रूरत बोले तो शक्कर का खून में स्तर यकायक गिरते ही .
कई लाइलाज मरीजों की तीमारदारी की है मैंने जिनका रोग अब २०-२२ साला मेरे देखते देखते ही हो गया है .
सरल कार्बोहाईड्रेट (सफ़ेद चीज़ें चीनी ,चावल मैदा ,सोडा बोले तो पेप्सी ,कोक ,फैंटा आदि पीने ,केंडी ,आइसक्रीम आदि )खाने का मतलब ?क्या समस्या खड़ी कर सकता है सिम्पिल कार्बोहाईड्रेट ?
सीधे जल्दी से पचके खून में शक्कर झोंक देतें हैं ये सरल कार्ब्स .एक तरफ शक्कर में यकायक उछाला और उसके बाद तेज़ गिरावट खून में तैरती शक्कर में ला देतें हैं ये कार्ब्स .नतीजा होता है बेतहाशा भूख और बे -तहाशा ,बे -हिसाब खाना ,बिंज ईटिंग बोले तो मोटापा .फंस गए न कुचक्र में .भूख ,खाना, मोटापा .
हल क्या है इस स्थिति का ?
अमरीकी मधुमेह संघ की सिफारिशें मानिए .५५-६५ % खुराकी केलोरीज़ की आपूर्ति रेशा बहुल चीज़ों ,कोम्प्लेक्स कार्ब्स ,फल तरकारियाँ ,दालों से ,ब्राउन राईस से करें .जौ (बार्ले ,गेंहू के साथ जौ का आटा,)जै (ओट्स )का आटा आदि मिलालें ,सूखी फलियों (dry beans )का इस्तेमाल करें .
संतृप्त वसा (कमरे के तापमान पर जमने वाली चिकनाई ) तथा कोलेस्ट्रोल बहुल खाद्यों के स्तेमाल का मतलब क्या है ?
बासा /तुरता /कबाड़िया भोजन /फास्ट फ़ूड ,केंटुकी फ्राइड फ़ूड (बेहद तला भुना ),बकरे ,भेड़,गाय ,शूकर आदि का मांस (रेड मीट) का सेवन आपके लिए ब्लड वेसिल्स (रक्त वाहिनियों के रोग )के साथ दिल की बीमारियों के खतरे के वजन को बढा देंगें .जबकि कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का ख़तरा मधुमेही के लिए पहले से ही बढा हुआ रहता है अन्यों के बरक्स .
मोटापा ?क्या ख़तरा है मोटापे में तौल बढाते चले जाने में मधुमेह के साथ ?
टाइप -२ डायबिटीज़ बद से बदतर हो सकती है मोटापे ,बदन पे चढ़ती हुई चर्बी के साथ .
उदर की चर्बी (आमाशयीय फेट )हारमोन छोडती हैं .अन्य रसायन भी स्रावित होतें हैं एब्डोमिनल फेट से यह दोनों मिलके इंसुलिन के प्रति शरीर के रवैये ,प्रतिक्रिया करने के ढंग को ही बदल देतें हैं .नतीज़न खून में भी ज्यादा चर्बी तैरने लगती है .
बेहद मीठा खाना ,हर चीज़ में शक्कर लेना ,वह भी चिकनाई सनी चीज़ों के साथ (डोनट,बालूशाही ,सोहन हलुवा आदि वह भी देशी घी का ) ओबीसिटी की और ले जा सकता है .बस ऐसे में आप एक ऐसे कुचक्र में फंस जातें हैं जिसकी परिणिति होती है इंसुलिन प्रतिरोध यानी आपका शरीर या तो इंसुलिन बनाना ही कम कर देता है या फिर उसका ठीक से इस्तेमाल ही नहीं कर पाता .
समाधान क्या है ?
बदलिए रहनी सहनी खान पानी .तबदील कीजिए जीवन शैली .जीवन के प्रति रवैया ,कम कीजिये मोटापे को .एक बार में जित्ता(जितना )खाते आयें हैं उससे कम खाइए .थोड़ा थोड़ा करके ४-६ मर्तबा या और भी ज्यादा बार खाइए .ताकि अपचयन (मेटाबोलिज्म )एकसा रहे.रोजाना व्यायाम कीजिए ,भले लम्बी सैर या कुछ भी और .
बैठे ठाले /बैठे बैठे काम करना /भौतिक रूप से निष्क्रिय जीवन शैली और सारे दिन आगे पीछे टूंगना ? क्या ख़तरा है इस अंदाज़े ज़िन्दगी में मधुमेह के साथ ?
भौतिक रूप से निष्क्रिय बने रहना मोटापे की तरफ ठेलता है .शरीर की इंसुलिन को बरतने की क्षमता को बाधित करता है .खलल पैदा करता है शरीर द्वारा इंसुलिन के इस्तेमाल में .दिल के लिए खतरे को बढाता है ,रक्त चाप में इजाफा करता है .हाईपरटेंशन के खतरे के वजन को बढा देता है .
समाधान
चलते फिरते रहिये .अमरीकी मधुमेह संघ ज्यादा नहीं तो कमसे कम आधा घंटा नियमित व्यायाम की सिफारिश करता है रोजाना के लिए बिला नागा .आप सैर कर सकतें हैं साइकिल चला सकतें है (घर में स्टेशनरी साइकिल भी रख सकतें हैं ),अपने किचिन गार्डन में काम कर सकतें हैं .कुत्ता पाल सकतें हैं उसके साथ खुद भी अपनी एक नियमित चर्या बना सकतें हैं सुबह शाम की .आपकी भौतिक सक्रियता खून में शक्कर और खून में घुली चर्बी (कोलेस्ट्रोल )को भी कम कर सकती है .रक्त चाप को भी .खासकर कुत्ते का संग साथ ब्लड प्रेशर कम कर सकता है .इंसुलिन संवेदनशीलता को सुधार सकता है इंसुलिन के प्रति -अब आपका शरीर ठीक से प्रतिक्रिया करने लगेगा .
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .
पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .
फिर दोहरा दें इंसुलिन एक हारमोन है जो शर्करा (शक्कर )और स्टार्च (आलू ,चावल ,डबल रोटी जैसे खाद्यों में पाया जाने वाला श्वेत पदार्थ )को ग्लूकोज़ में तबदील कर देता है .यही ग्लूकोज़ ईंधन हैं भोजन है हरेक कोशिका का जो संचरण के ज़रिये उस तक पहुंचता रहता है .
टाइप १ या जूवनाइल (बाल ,अल्पव्यस्क या किशोरों का )मधुमेह
जन्मना चला आता है यह विकार जिसमें अग्नाशय इंसुलिन बनाता ही नहीं है ,
टाइप २ मधुमेह में भी समय बीतने के साथ शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या फिर यह इंसुलिन अपना असर ही खो देता है शरीर इसके प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं कर पाता है .यही है इंसुलिन प्रतिरोध जब इंसुलिन बे -असर हो जाता है .
मधुमेह का अन -चीन्हा (रोग निदान न हो पाना मधुमेह का ) रह जाना /इलाज़ न हो पाना
खतरनाक स्थिति तब हो जाती है जब आप मधु मेह से ग्रस्त रहतें हैं और बे -खबर रहतें हैं या ला -परवाह ,आधा अधूरा अनमने ढंग से इलाज़ कर वातें हैं या फिर इलाज़ करवाते ही नहीं हैं .बस ऐसे में दिल के रोगों की नींव पड़ने लगती है .आपके खून में शक्कर का स्तर बहुत ज्यादा बना रहता है .यह एक जोखिम भरी बात है जो दिल की बीमारी का ख़तरा पैदा करती है .
नर्व डेमेज की वजह भी बन सकता है खून में दीर्घावधि बढ़ा हुआ रहने वाला शक्कर का स्तर ,बीनाई भी जा सकती है इस स्थिति में .
खराब प्रबंधन मधुमेह का हाइपो-ग्लाईकीमिया की भी वजह बन सकता है
इस स्थिति में खून में शक्कर का स्तर यकायक बहुत नीचे चला आता है .खतरनाक भी हो सकती है यह स्थिति फ़ौरन तवज्जो न देने पर .
इस स्थिति के लक्षण हैं
(१)चक्कर आना
(२)चिडचिडापन
(३)हार्ट पल्पिटेशन
(४)घबराहट के साथ ,भ्रम ,पहचानने में गलती भी हो सकती है कुछ को बे -तहाशा पसीना छूटने के साथ हाथ पैर ठंडे भी पड़ सकतें हैं .
क्या जोखिम तत्व हैं (रिस्क फेक्टर्स हैं )मधु मेह के
(१)मोटापा
(२)बैठे ठाले ,निष्क्रिय जीवन ,धूम्रपान ,नींद न ले पाना पूरी
मतलब क्या है मधु मेह का ?कब माना जाए आपको मधुमेह है ?
जब आपका फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज़ लेविल (खाली पेट रहते खून की जांच से पता चला खून में शक्कर का स्तर ) बराबर दिनानुदिन हर पन्द्रह दस दिन बाद १२५ मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर पाया जाए .
मधुमेह से ठीक पहले की स्थिति (प्रीडायबेतिक )होने का मतलब ?
जब खाली पेट सुबह सवेरे उठते ही खून की जांच में शक्कर का स्तर हर बार १००और १२५ के बीच पाया जाए .महीने में दो बार तो होनी ही चाहिए यह जांच इस स्थिति के सही आकलन के लिए .
सारांश
मधु मेह हो या न हो भले आप प्रीडायबेतिक हों मधुमेह पैदा करने वाले कारकों की जानकारी इससे बचाव के लिए भी ज़रूरी है इलाज़ के समुचित प्रबधन के लिए भी .
(ज़ारी ...)
सन्दर्भ -सामिग्री :Connecting the Dots:Type 2 Diabetes /Family Wellness Lifestyle
September/October 2012 SamsClub.com/healthyliving/p27
5 टिप्पणियां:
अतिशय मोटी अक्ल में, आई मोटी बात |
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
जानकारी ही बचाव हो सकता है जैसा कि आपने कहा..
मधु मेह रोगी के लिये सावधानी वाली जानकारी।
निष्क्रियता विकारों को उजागर करती है, सक्रियता उन्हें कम करती है।
वीरू भाई राम-राम !
बहुत ज़रूरी और लाभदायक जानकारी के लिए ..
आभार !
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