"डिश " के रोग निदान की युक्तियाँ (पांचवीं एवं छटी किस्त संयुक्त )
ज़ाहिर है काया चिकित्सक (भौतिक चिकित्सक )यहाँ भी शुरुआत फिजिकल एग्जामिनेशन से ही करता है .चिकित्सक आपकी रीढ़ के थोरासिक (वक्षीय ),स्पाइनल (ग्रीवा सम्बन्धी भाग ),और लम्बर स्पाइन (निचली कमर से सम्बद्ध रीढ़ का हिस्सा )को हलके हाथ से दबा के देखेगा ,यहाँ वहां जोड़ों को भी अस्थि पंजर के कि कहीं कोई एब्नोर्मलइति तो नहीं है ,गडबड तो नहीं है .असामान्य बात तो नहीं है .ठीक ठाक है आपकी रीढ़ या नहीं .
दबाने पर यदि आप कराहतें हैं तो यह उसके लिए एक संकेत हो सकता है डिश का (Diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis )का . ये वही वही जगह हो सकतीं हैं जहां जहां आपके ऊतक(अस्थि बंध या लिगामेंट्स ) हड्डियों से आ जुड़तें हैं और वह हिस्सा केल्शियम ज़माव की वजह से सख्त पड़ चुका है ,बढ़ चुका है थोड़ा सा .उभार आगया है उस जगह की हड्डी में .
जहां जहां दर्द है वहां वहां मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों (Tendons) के साथ भी यही हुआ हो सकता है .
बोन स्पर्स (हड्डियों का कुब्ब )डॉ .के सधे हुए हाथ ताड़ लेते हैं .
एक्स रे उतरवाने से रोग निदान में और भी सुभीता हो जाता है .एक्स रे बोन स्पर्स को रेखांकित कर सकता हाँ ! बतला सकता है कहाँ कहाँ रीढ़ के किस किस हिस्से की हड्डियों की गुर्रियों पर(कशेरुकाओं पर ) केल्शियम लवण पर्त बनके चढ़ा है .
चिकित्सीय भाषा में इसकी मौजूदगी को कहा जाता है -Cascading or Flowing.
कुछ माहिर इसे रीढ़ रूपा मोमबत्ती से मोम के जलने के बाद की रिसन कहतें हैं .
Some experts compare the appearance to that of candle wax dripping and oozing down your spine.
Computerized tomography (CT) and Magnetic resonance imaging(MRI)
ANKYLOSING SPONDYLITIS को रुल आउट करने के लिए ये दोनों परीक्षण करवाए जातें हैं जिसके लक्षण उल्लेखित लक्षणों से मेल खातें हैं .
CT
Computerized axial tomography or computed tomography is a technique for producing images of cross sections of the body .In it a computer processes data from x -rays penetrating the body from many directions and projects the results on a screen .
ज़ाहिर है यह एक प्रकार का त्रि -आयामी एक्स रे ही है जिसमें एक्स रे कई तरफ से एक साथ डाला जाता है . बस आपके अंगों में ,अस्थि पंजर में ताक झाँक संभव हो जाती है .
MRI
It is a imaging technique that uses elctromagnetic radiation to obtain images of the body's soft tissues e.g . brain and spinal cord.
रोग निदान की इस प्राविधि में शरीर की बारीक पड़ताल के लिए चुम्बकों का सहारा लिया जाता है .ये शक्तिशाली चुम्बक (वास्तव में चुम्बकीय क्षेत्र )सुपर-कंडक्टर से पैदा किए जातें हैं.किसी विद्युत् सुचालक को जब बहत अधिक ठंडा किया जाता है तो एक सुनिश्चित तापमान पर वह बिजली अपने अन्दर से बिना प्रति -रोध के बहने देता है .गर्म नहीं होता है .इसका प्रतिरोध शून्य हो जाता है .इसके गिर्द अति -शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र खड़े हो जातें हैं .जब किसी आम सुचालक में आप बिजली भेजतें हैं वह इलेक्त्रोनों की आपस में टक्कर से गर्म हो जाता है .यहाँ ऐसा बिना प्रति -रोध के होता है .सारे इलेक्त्रोंन एक दम से व्यवस्थित गति करने लगते हैं फ़ुटबाल मैच के क्राउड में मची भगदड़ यहाँ एक दम से तीनों तीन आगे बढेगा वाले अंदाज़ में परेड करने लगती है .ऐसा है अति -चालकों का मायावी संसार .
एक्स रे भी एक प्रकार का विद्युत् चुम्बकीय विकिरण ही है .दृश्य रौशनी भी बस फर्क वेव की लम्बाई और आवृत्ति (फ्रिक्युवेंसी) का है. यहाँ विद्युत् चुम्बकीय अनुनाद (MAGNETIC RESONANCE IMAGING )में भी यही विद्युत् चुम्बकीय विकिरण है .चुम्बक और बिजली आपस में सगी बहनें हैं .जहां बिजली होती है वहां सहोदर जुडवा सा एक चुम्बकीय क्षेत्र भी रहता है .बस यही आधार है MRI द्वारा शरीर की सूक्ष्म और मृदु ऊतकीय पड़ताल का .
माहिर डिश के निदान को पुख्ता करने के लिए दोनों का सहारा लेता है .उसके साथ सहयोग कीजिए .पैसे नहीं बना रहा है वह .
(ज़ारी )
डिश का इलाज़ और दवा दारु (छटी किस्त )
डिश का इलाज़ और दवा दारु (छटी किस्त )
भले इस लाइलाज रोग का कोई इलाज़ न हो फिर भी दर्द से रहत के लिए आप बहुत कुछ कर सकतें हैं .यदि रोग के लक्षण प्रगटित हैं stiffness से भी ,जोड़ों की जकड़न से भी आप परेशान हैं :
(१)कई मामलों में माहिर कोई इलाज़ तजवीज़ नहीं करते
(२)दर्द से राहत और जोड़ों की हरकत ,जोड़ों के संचालन को बनाए रखने के लिए माहिर आपको दर्द और स्टिफनेस का इलाज़ भी बता सकतें हैं यदि लक्षण ज़ारी रहतें हैं तब .
(३)दर्दे दवा
जोड़ों के अन्य रोगों से जुदा नहीं हैं ये दवाएं .वैसी ही हैं .
आपको तजवीज़ की जा सकती है -Acetaminophane (Tylenol,others ),
Non-steroidal -anti -inflamatory drugs (NSAIDS),Ibuprofen (Advil ,Motrin,others)तथा दर्द की उग्रता अधिक होने पर corticosteroids injections का भी इस्तेमाल किया जाता है .
स्टिफनेस से राहत के लिए
फिजियोथिरेपी जकड़न को कम कर सकती है .कसरत जोड़ों की हरकत की रेंज को बढा सकती है .अपने लिए सिर्फ अपने लिए आप ख़ास कसरतों के बारे में अपने माहिर से जानकारी जुटा सकतें हैं .
आपको विशेष तवज्जो और सीखने के लिए फिजियो के पास भी भेजा जा सकता है रेफर किया जा सकता है .
मैं खुद ऐसे orthopaedist से भी मिल चुका हूँ जो मरीजों को खुद कसरत भी करके दिखलातें हैं .ऐसे ही एक नेक दिल इंसान हैं प्रोफ़ेसर तुली विमहांस अस्पताल नै दिल्ली (Vidyasagar institute of mental health and neurosciences).अमूमन प्रोफ़ेसर रेंक के लोग अपनी जगह से हिलते नहीं हैं .यह ८४ वर्षीय इंसान एक फ़रिश्ता है आपका आत्मविश्वास भी बढाता है .दवाओं का कमसे कम इस्तेमाल बतलाता है वह भी सीमित अवधि के लिए .
शल्य चिकित्सा (surgery)
डिश रोग माने diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis में जटिलताएं पेश आने पर ही शल्य चिकित्सा की सिफारिश की जाती है .आम तौर पर नहीं .
गले में जब आकार में बड़ा बोन स्पर आ बैठे और खाद्य -पेय सटकना निगलना सुडकना चुस्की लेना तक मुहाल हो जाए तब उसे काट के फैंकना ही शल्य द्वारा एक समाधान बचता है .सर्जरी सर्वाइकल स्पाइन पर से प्रेशर भी हटा सकती है .आवाज़ लौटा सकती है कर्कशा होने से बचा सकती है आपको .सोचो गवैयों का क्या होता होगा इस रोग में .
(ज़ारी )
4 टिप्पणियां:
आभार वीरू भाई ।
अनवरत आती रहें यह प्रस्तुतियाँ -
करते रहें लोक कल्याण ।।
इस लाइलाज बीमारी का बोलचाल की भाषा में विस्तारपूर्वक विवरण ही मरीजों को राहत प्रदान करने वाला हो सकता है।
आभार आपका।
डा. तुली जैसे फरिश्ते एक-आध ही होते हैं।
जहाँ का दर्द अधिक, वहीं सुधार की संभावनायें..बहुत ही सुन्दर कथन।
शानदार और सराहनीय प्रस्तुति
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