साइंसदानों के मुताबिक़ दिन का आगाज़ एक ग्लास संशाधित जूस से करना कोई अकलमंदी नहीं है सेहत के लिए यह उतना मुफीद है नहीं ।
ऑस्ट्रेलियाई साइंसदानों ने कोई २००० लोगों की रोजमर्रा की खुराक का अध्ययन कर पता लगाया है कि रोज़ -बा - रोज़ जो लोग जूस लेते हैं वह कैंसर से बचाव न करके कई किस्म के कैंसरों की वजह भी बन सकता है क्योंकि इसमें ज़रुरत से ज्यादा शक्कर मौजूद रहती है .
संशाधन की प्रक्रिया तमाम तरह के पोषक मान और सेहत को होने वाले लाभ को ही ले उडती है ।
पर्थ स्थित पश्चिम औस्ट्रेलिया में चिकित्सा शोध संस्थान ने तरह तरह के जूस फल और तरकारियों की कैंसर को मुल्तवी रखने में कारगरता की पड़ताल करने के लिए तकरीबन २०० ० लोगों की खुराक की पड़ताल की .इन सभी से एक प्रश्नावली भरवाई गई .
रिसर्चरों की टोली ने इन सभी पर दो साल तक नजर रखी ।
जहां एपिल्स ,अंकुरित अनाज ,ब्रोक्काली ,फूल गोभी नियमित खाने वालों के लिए के bowel cancerखतरे का वजन कम हुआ वहीँ फ्रूट जूस का ज्यादा सेवन करने वालों के लिए bowel cancer risk बढ़ गया .
पोषक तत्वों को नष्ट करती है चीनी यह अनेक बार पुष्ट हुआ है ।
Work stress forcing youngsters to call in sick more than the aged
अधुनातन कार्य स्थलों पर काम का दवाब युवा भीड़ की सेहत पर ज्यादा भारी पड़ रहा है बरक्स उनके उम्र दराज़ सहकर्मियों के .तीन हज़ार लोगों पर किए गए एक ब्रितानी सर्वे में जहां तीस साल से नीचे नीचे के युवाकर्मियों में से
दो तिहाई कर्मियों ने गत वर्ष औसतन एक सिक लीव कोल्ड्सऔर फ्ल्यू ,एलर्जीज़ और इनटोल्रेंसिज़ ,बढ़ते दवाब से आजिज़ आकर तालमेल न बिठाने के कारण लीं वहीँ उम्र दराज़५५ साल से भी ऊपर के लोगों ने इसी एवज आधे दिन से भी कम का टाइम आउट या छुट्टी पूरे साल में की .
यह बात भी सामने आई काम के दौरान रन डाउन फीलिंग,रोज़ बा रोज़ बढती थकान ,एवं द्विगुणित होता दवाब सिक लीव लेने की वजह युवा भीड़ के लिए ही बना न कि उनके उम्र दार साथियों के लिए ।
डेली मेल ने इस सर्वे की रिपोर्ट को छापा है .पता चला १८-२९ साला हरेक पांच में से एक युवा बढ़ते दवाब से तालमेल न बिठा पाने के चलते अस्वस्थता अवकाश (आकस्मिक अवकाश )लेने को मजबूर हुआ ,काम की टूटन कारण बनी ।
कब्ज़ और कार सिकनेस जैसी वजहों से भी तंग आकर यह वर्ग आकस्मिक अवकास लेते देखा गया ।
जबकी ५५साल से ऊपर के ८५%लोगों का कहना था जब तक वे बिस्तर ही नहीं पकड़ लेते वह सिक लीव लेने की बात दिमाग में भी नहीं लातें हैं ।
यह भी पता चला युवा भीड़ नियमित तौर पर कबाड़िया जंक फ़ूड तुरता बासा भोजन ले रही थी इनके दिन भर में पांच फल और तरकारी का सेवन करने की संभावना भी उम्र दराज़ लोगों से आधी ही पाई गई .
7 टिप्पणियां:
जूस के बजाय साबुत फल खाने से फाइबर मिलता है जो कैंसर होने से रोकता है । सही कहा जूस में बहुत मीठा होता है जो diabitics के लिए विशेष रूप से सही नहीं है ।
युवा वर्ग पर काम का दबाव ज्यादा रहता है । लेकिन सिक लीव तो बिना सिक हुए भी ली जा सकती है । :)
diabetics पढ़ा जाए ।
nice post highlighting importance of less sugar
ये अंगरेजी में टाईटल क्यों ?
साबुत फल ही खाते हैं अब तो।
अरविन्द जी रीडरशिप बढ़ जाती है .दूसरे अंग्रेजी हम सभी जानतें हैं .वैसे कोई व्यावसायिक प्रति -बद्धता नहीं है NBT की तरह .
प्रवीण जी अच्छा करतें हैं साबुत फलों से खुराकी रेशे मिल जातें हैं जो पाचन को दुरुस्त रखतें हैं कोलेस्ट्रोल कम करतें हैं .
एक टिप्पणी भेजें