बुधवार, 28 सितंबर 2011

Eating fish helps lower risk of strokes :Study

Eating
fish helps lower risk of strokes :स्टडी
एक अंतर -राष्ट्रीय स्तर पर संपन्न अध्ययन के विश्लेषण के मुताबिक़ उनलोगों के लिए ब्रेन अटेक (सेरिब्रोवैस्क्युलर एक्सीडेंट या स्ट्रोक )की संभावना घटकर थोड़ा सा कम ज़रूर हो जाती है जो हफ्ते में एकाधिक बार मच्छी खाया करते हैं ।
वजह बनतें हैं ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स (ओमेगा-३ वसीय अम्ल ) जो मच्छी में मौजूद होतें हैं ।
ब्लड प्रेशर और खून में घुली चर्बी कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स स्ट्रोक के खतरे के वजन को कम करतें हैं .
स्वीडन के कैरोलिंस्का संस्थान (Sweden's Karolinska Institutet)के साइंसदान Susanna Larsson and Nicola Orsini ने संपन्न किया है यह अध्ययन .

बुधवार, २८ सितम्बर २०११

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk
साइंसदानों के मुताबिक़ दिन का आगाज़ एक ग्लास संशाधित जूस से करना कोई अकलमंदी नहीं है सेहत के लिए यह उतना मुफीद है नहीं ।
ऑस्ट्रेलियाई साइंसदानों ने कोई २००० लोगों की रोजमर्रा की खुराक का अध्ययन कर पता लगाया है कि रोज़ -बा - रोज़ जो लोग जूस लेते हैं वह कैंसर से बचाव न करके कई किस्म के कैंसरों की वजह भी बन सकता है क्योंकि इसमें ज़रुरत से ज्यादा शक्कर मौजूद रहती है .
संशाधन की प्रक्रिया तमाम तरह के पोषक मान और सेहत को होने वाले लाभ को ही ले उडती है ।
पर्थ स्थित पश्चिम औस्ट्रेलिया में चिकित्सा शोध संस्थान ने तरह तरह के जूस फल और तरकारियों की कैंसर को मुल्तवी रखने में कारगरता की पड़ताल करने के लिए तकरीबन २०० ० लोगों की खुराक की पड़ताल की .इन सभी से एक प्रश्नावली भरवाई गई .
रिसर्चरों की टोली ने इन सभी पर दो साल तक नजर रखी ।
जहां एपिल्स ,अंकुरित अनाज ,ब्रोक्काली ,फूल गोभी नियमित खाने वालों के लिए के bowel cancerखतरे का वजन कम हुआ वहीँ फ्रूट जूस का ज्यादा सेवन करने वालों के लिए bowel cancer risk बढ़ गया .
पोषक तत्वों को नष्ट करती है चीनी यह अनेक बार पुष्ट हुआ है ।

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the aged

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the एजिड
अधुनातन कार्य स्थलों पर काम का दवाब युवा भीड़ की सेहत पर ज्यादा भारी पड़ रहा है बरक्स उनके उम्र दराज़ सहकर्मियों के .तीन हज़ार लोगों पर किए गए एक ब्रितानी सर्वे में जहां तीस साल से नीचे नीचे के युवाकर्मियों में से
दो तिहाई कर्मियों ने गत वर्ष औसतन एक सिक लीव कोल्ड्सऔर फ्ल्यू ,एलर्जीज़ और इनटोल्रेंसिज़ ,बढ़ते दवाब से आजिज़ आकर तालमेल न बिठाने के कारण लीं वहीँ उम्र दराज़५५ साल से भी ऊपर के लोगों ने इसी एवज आधे दिन से भी कम का टाइम आउट या छुट्टी पूरे साल में की .
यह बात भी सामने आई काम के दौरान रन डाउन फीलिंग,रोज़ बा रोज़ बढती थकान ,एवं द्विगुणित होता दवाब सिक लीव लेने की वजह युवा भीड़ के लिए ही बना न कि उनके उम्र दार साथियों के लिए ।
डेली मेल ने इस सर्वे की रिपोर्ट को छापा है .पता चला १८-२९ साला हरेक पांच में से एक युवा बढ़ते दवाब से तालमेल न बिठा पाने के चलते अस्वस्थता अवकाश (आकस्मिक अवकाश )लेने को मजबूर हुआ ,काम की टूटन कारण बनी ।
कब्ज़ और कार सिकनेस जैसी वजहों से भी तंग आकर यह वर्ग आकस्मिक अवकास लेते देखा गया ।
जबकी ५५साल से ऊपर के ८५%लोगों का कहना था जब तक वे बिस्तर ही नहीं पकड़ लेते वह सिक लीव लेने की बात दिमाग में भी नहीं लातें हैं ।
यह भी पता चला युवा भीड़ नियमित तौर पर कबाड़िया जंक फ़ूड तुरता बासा भोजन ले रही थी इनके दिन भर में पांच फल और तरकारी का सेवन करने की संभावना भी उम्र दराज़ लोगों से आधी ही पाई गई .

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सागर सा हृदय हो जाता है।

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी बातें बताई है आपने।