शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

Nothing to celebrate on Girl Child डे

Nothing to celebrate on Girl Child डे
Childs Rights and You (CRY)संस्था के अनुसार भारत में संपन्न २०११ की जनगणना के मुताबिक़ हरेक १३ लड़कियों में से एक :साल की उम्र को पार नहीं कर पाती हैं .उत्तर भारत की स्थिति ज्यादा सोचनीय हैं जहां हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में स्त्री -पुरुष अनुपात ज्यादा विषम बना हुआ है
गौर तलब है Pre -Natal Diagnostic Techniques (PNDT) Act १९९४के लागू होने के बाद से आजतक ले देके १३ लोगों के खिलाफ ही मामले दर्ज़ हुए हैं अपराध के इस एक्ट के उल्लघन के .यह कहना है Resource Mobilisation and Volunteer एक्शन की निदेशक योगिता वर्मा सहगल का
दिल्ली और मुंबई के अति विकसित इलाके यथा दक्षिण दिल्ली और दक्षिण मुंबई में स्थिति भी खराब है
भारत के ३५ राज्यों और संघ शासित क्षेत्रो में से २८ में औरत मर्द अनुपात विषम बना हुआ है
हरियाणा की स्थिति रसातल को छू रही है जहां हरेक १००० लड़कों के पीछे सिर्फ ८३८ लडकियां ही अब रह गईं हैं
कनागत लगने को है कोई हमें इस अंतर -राष्ट्रीय कन्या दिवस के मूल में क्या नज़रिया रहा है यह समझाए
क्या कन्या भ्रूण ह्त्या और जन्म पूर्व चोरी छिपे लिंग निर्धारण महज़ एक अपराध है ?
या फिर पाप है ?पाप बोध है जिसका प्रायश्चित किया जाना चाहिए सामाजिक तौर पर ?
क्या भारत को आज़ादी उस गांधी ने दिलवाई थी जो बेरिस्टर था या उसने जो महात्मा हो गया था जिसने धर्म चेतना जगाई थी .और वर्तमान में वैसी ही धर्म चेतना ,भारत धर्मी समाज में अन्ना हजारे साहब ने पैदा कर दिखाई
कन्या भ्रूण का मामला भी इसी धर्म चेतना से जुड़ा है .अब कनागत लगने को हैं नौ दिनों तक विविध रूपा शिव -शक्तियों का आराधन पूजन वंदन चलेगा
महज़ एक दिन अंतर -राष्ट्रीय कन्या दिवस को हर साल २४ सितम्बर को मनाने से क्या हो जाने वाला है ?
यहाँ वेलेन्ताइन्स डे भी है तो ओनर किलिंग भी है .प्रेम पर पाबंदी बदस्तूर ज़ारी है तो लिविंग टुगेदर भी है .सब चलता प्रवृत्ति बदस्तूर ज़ारी है

Friday, September 23, 2011

On equinox today ,measure the earth

On equinox today ,measure the earth
आज २३ सितम्बर है .आज दिन और रात की अवधि बराबर रहेगी .आज दोपहर सूरज की छाया भू -मध्य रेखा के गिर्द नहीं पड़ेगी ।
It is autumnal equinox when the length of the day and night is nearly equal and the sun casts no shadow at noon along the equator ।
यह एक ऐसी घटना है जो साल में दो बार संपन्न होती है 'स्प्रिंग एक्युइनोक्स 'हर बरस २० मार्च को पड़ती है ।
२३ सितम्बर पृथ्वी की परिधि (पेरिमीटर ,सर्कम्फ्रेंस) नापने का एक नायाब मौक़ा प्रदान करता है ।
इस मौके पर 'एक गैर सरकारी संस्था 'स्पेस ने जो खगोल विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने के अभियान में संलग्न है "प्रोजेक्ट परिधि "में शामिल होने के लिए आम जन खासकर स्कूल के बच्चों को बुलाया है .जंतर मंतर नै दिल्ली के प्रागण में।
'स्पेस 'के मुखिया सी .बी देवगन मानतें हैं विज्ञान ने हमें आच्छादित किया हुआ है ,आसपास की घटनाओं के प्रेक्षण में उसका प्रगटीकरण हो रहा है .विज्ञान का मतलब है करना और सीखना .सीखना और करना ,दोहराना ।
आज के दिन प्रोजेक्ट परिधि में शामिल सभी प्रेक्षक उन सभी स्थानों पर 'एंगिल ऑफ़ दी सन्स शेडो 'मापेंगे जो एक ही देशांतर पर पडतें हैं ।
देशांतर रेखाएं पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिण ध्रुवों को मिलानें वाली काल्पनिक रेखाओं को कहा जाता है .
इत्तेफाकन भारत में दिल्ली, भोपाल ,बेंगलुरु और कजाखिस्तान में अल्मा अटा एक ही देशान्तर पर हैं ।
अब यदि पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती तब एक ही देशांतर रेखा पर पड़ने वाले तमाम स्थानों के लिए "सूरज का छाया कौड़ "एगिल ऑफ़ दी सन्स शेडो यकसां (समान ) ,एक जैसा रहता ।
But since the Earth is curved ,the shadow angle would vary according to the distance of the spot from the equator ।
यानी उस स्थान की भूमध्य रेखा से दूरी के अनुरूप ही यह कौड़तबदील होता है क्योंकि पृथ्वी घुमावदार है कर्वेचर लिए है .अलग अलग दूरियों के लिए इसका माप अलग अलग रहता है ।
जुदा स्थानों के लिए छाया कौड़ का अंतर ही परिधि मापन का आधार बनता है ।
But since the Earth is curved ,the shadow angle would vary according to the distance of the spot from the equator ।
यह प्रयोग भारत के अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा सार्क के देश भी इसमें शिरकत करेंगे ,अल्मा अटा में भी यह एक्सपेरिमेंट संपन्न होगा ।
आखिरी गणना का आधार जुटाए गए आंकड़े ही बनेंगें .

Remember this :Kicking the butt boosts memory

Remember this :Kicking the butt boosts memory

STOP IT NOW :Smokers lose 1/3 of their every day memory
एक ब्रितानी अध्ययन के मुताबिक़ धूम्रपान करने वाले रोजाना की अपनी याददाश्त का एक तिहाई हिस्सा खो देते हैं .
अलबत्ता इस अध्ययन से प्राप्त एक अच्छी खबर यह है कि इस लत को छोड़ देने पर धीरे धीरे खोई हुई याददाश्त लौटने लगती है .आखिरकार याददाश्त का स्तर वही हासिल हो जाता है जो एक गैर धूम्रपानी का होता है .नुकसान की भरपाई हो रहती है ।
नोर्थाम्ब्रिया विश्वविद्यालय के रिसर्चरों का यह एक महत्वपूर्ण अन्वेषण समझा जा रहा है .अध्ययन के लिए ७० से भी ज्यादा लोगों को नियुक्त किया गया जिनकी उम्र १८-२५ साल तक थी .इन्होनें यूनिवर्सिटी कैम्पस के एक टूर में शिरकत की थी .
प्रतिभागियों को कुछ बातें याद करने स्मृति में लाने के लिए कहा गया जिनमें अलग अलग समयों पर संपन्न कुछ कामों के अलावा छात्र परिषद् में सुनवाए गए कुछ म्यूजिकल एक्ट्स भी शामिल थे .रियल वर्ल्ड मेमोरी टेस्ट्स भी इन कामों में शामिल किये गए थे ।
स्मोकर्स का प्रदर्शन बहुत कम दर्जे का रहा .केवल ५९%बातें ही ये लोग अपनी स्मृति में वापस ला सके .बेशक जिन लोगों ने धूम्रपान को अलविदा कह दिया था उनका प्रदर्शन सुधर कर ७४ %बातें याददाश्त में लौटा के ले आने का रहा .
जिन लोगों ने कभी धूम्रपान किया ही नहीं था उनका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा .८१ %टास्क्स ये दोबारा याद कर सके ।
विश्वविद्यालय के 'ड्रग एंड एल्कोहल रिसर्च ग्रुप के मुखिया डॉ .टॉम हेफर्नन अध्ययन के नतीजों को धूम्रपान छुड़ाई अभियानों के लिए बहुत एहम मानते हैं ।
रोज़ मर्रा के बोध सम्बन्धी ज्ञान ,संज्ञानात्मक कार्यों पर धूम्रपान का क्या असर पड़ता है कैसे स्मोकिंग "पर्सपेक्टिव मेमोरी "को असर ग्रस्त करती है इसकी जानकारी दुनिया भर में लाखों लाख लोगों तक पहुंचे यह बहुत ज़रूरी है ।
पहली मर्तबा इस बात की पड़ताल की गई है ,धूम्रपान छोड़ना याददाश्त को कैसे और कितना प्रभावित करता है .करता भी है या नहीं ।
बेशक धूम्रपान छोड़ने का शरीर पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है .यह जानकारी पहले भी थी लेकिन बोध सम्बन्धी सीख भी बढती है यह एक नया खुलासा हुआ है .

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दुखी होने का अधिकार पर किसने छीना है हमसे।